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    कफ सिरप विवाद : राजस्थान सरकार ने ड्रग कंट्रोलर को निलंबित किया, Kaysons Pharma की दवाओं का वितरण रोका

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    राजस्थान में कथित तौर पर दूषित कफ सिरप के सेवन से कई बच्चों की मौत और गंभीर बीमारियों की खबरें सामने आने के बाद राज्य सरकार ने कड़ी कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मामले की गहन जांच के आदेश देते हुए राज्य ड्रग कंट्रोलर राजाराम शर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। साथ ही, जयपुर की Kaysons Pharma कंपनी द्वारा निर्मित 19 दवाओं के वितरण पर रोक लगा दी गई है।

    इस गंभीर प्रकरण ने राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं और सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है कि वह दवा आपूर्ति प्रणाली को पारदर्शी और जवाबदेह बनाए।

    मामले की शुरुआत तब हुई जब राज्य के अलग-अलग जिलों—जैसे कि सीकर, भरतपुर और बांसवाड़ा—में कई छोटे बच्चों में कफ सिरप के सेवन के बाद गंभीर लक्षण देखने को मिले। उल्टी, चक्कर आना, बेहोशी और अंततः मौत जैसी घटनाओं ने चिकित्सा विभाग को सतर्क कर दिया।

    शुरुआती जांच में सामने आया कि ये कफ सिरप Kaysons Pharma द्वारा निर्मित थे और इन्हें राज्य की मुफ्त दवा वितरण योजना के तहत अस्पतालों में वितरित किया गया था।

    ड्रग कंट्रोलर राजाराम शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने गुणवत्ता परीक्षण में फेल हो चुकी दवाओं को फिर से अनुमति दी थी। 2023 और 2024 के दौरान Kaysons Pharma की 10,000 से अधिक दवाओं के नमूने लिए गए थे, जिनमें से 40 से अधिक नमूने गुणवत्ता परीक्षण में फेल हो गए थे। इसके बावजूद कंपनी को टेंडर देना और बाजार में दवाएं उपलब्ध कराना गंभीर लापरवाही मानी गई।

    सरकार ने इसे “अनदेखी और लापरवाही का गंभीर मामला” मानते हुए तत्काल निलंबन का आदेश जारी किया।

    राज्य सरकार ने Kaysons Pharma द्वारा निर्मित 19 प्रकार की दवाओं के वितरण को तुरंत प्रभाव से रोका है। इनमें Dextromethorphan आधारित कफ सिरप भी शामिल हैं, जिनके सेवन से बच्चों में विषैले प्रभाव देखे गए।

    साथ ही, राज्य सरकार ने सभी जिला अस्पतालों को यह निर्देश भी दिया है कि वे कंपनी की कोई भी दवा उपयोग न करें जब तक जांच पूरी न हो जाए।

    सरकारी लैबों में भेजे गए दवाओं के सैंपलों की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट से पता चला है कि कुछ दवाओं में विषैले तत्व मौजूद थे, जो बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं।

    राज्य के औषधि नियंत्रण विभाग ने केंद्रीय एजेंसियों को भी जांच में शामिल किया है। इस मामले की राष्ट्रीय स्तर पर भी निगरानी की जा रही है।

    मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि:

    “राज्य की हर एक जान कीमती है। बच्चों की मौत को किसी भी हालत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।”

    उन्होंने निर्देश दिए हैं कि जांच निष्पक्ष, तेज़ और पारदर्शी होनी चाहिए ताकि जनता का विश्वास कायम रह सके। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर आवश्यक हुआ तो पूरे दवा आपूर्ति तंत्र की समीक्षा की जाएगी।

    जनता में भय और आक्रोश का माहौल है। माता-पिता अपने बच्चों के इलाज को लेकर सशंकित हो गए हैं। कई जगहों पर लोगों ने स्थानीय प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया और दोषियों को सजा दिलाने की मांग की।

    विपक्षी दलों ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि पहले से खराब साबित हो चुकी कंपनी को कैसे फिर से सरकारी आपूर्ति में शामिल किया गया? क्या दवा वितरण प्रक्रिया में पारदर्शिता है?

    राज्य के चिकित्सा विभाग ने सभी अस्पतालों को निर्देश जारी किए हैं कि:

    • 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को Dextromethorphan युक्त कोई भी दवा न दी जाए।

    • सभी दवाओं की प्रयोगपूर्व लेबल और निर्माता कंपनी की पुष्टि की जाए।

    • संदिग्ध दवाओं को वापस मंगवाया जाए और रिपोर्ट विभाग को दी जाए।

    इस प्रकरण की गूंज अब अन्य राज्यों तक भी पहुंच चुकी है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और बिहार सहित कई राज्य सरकारों ने Kaysons Pharma की दवाओं की जांच शुरू कर दी है।

    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को सतर्क रहने और ऐसी किसी भी घटना की रिपोर्ट तुरंत देने का निर्देश जारी किया है।

    राजस्थान का यह कफ सिरप विवाद एक गहरी चेतावनी है कि दवा प्रणाली में अगर पारदर्शिता, गुणवत्ता नियंत्रण और जिम्मेदारी न हो, तो नतीजे जानलेवा हो सकते हैं।

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