




भारतीय क्रिकेट में कप्तानी को लेकर एक बार फिर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। टीम इंडिया के युवा बल्लेबाज शुभमन गिल ने हाल ही में खुलासा किया है कि उन्हें वनडे टीम की कप्तानी के लिए अजीत अगरकर से पहले ही बातचीत कर ली गई थी। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आगामी वनडे सीरीज में रोहित शर्मा की गैरमौजूदगी में शुभमन गिल टीम की कमान संभालेंगे। यह फैसला जितना चौंकाने वाला है, उतना ही यह सवाल भी खड़ा करता है कि क्या यह निर्णय रोहित शर्मा के पीठ पीछे लिया गया?
गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों से टीम इंडिया में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चर्चाएँ लगातार जारी हैं। रोहित शर्मा के उम्रदराज होने और आने वाले विश्व कप की तैयारी को देखते हुए बीसीसीआई युवा नेतृत्व को आगे लाने के पक्ष में है। ऐसे में शुभमन गिल का कप्तान बनना कोई आश्चर्य की बात नहीं, लेकिन जिस तरह से यह प्रक्रिया हुई, उसने टीम के अंदरूनी माहौल पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
शुभमन गिल ने अपने हालिया बयान में कहा कि, “मुझे कप्तानी की जिम्मेदारी बहुत गर्व और उत्साह के साथ मिली है। अजीत सर (अगरकर) से इस पर बात पहले ही हो चुकी थी और मैं टीम को अपने तरीके से लीड करने के लिए तैयार हूँ।” गिल के इस बयान के बाद यह स्पष्ट हो गया कि कप्तानी को लेकर बीसीसीआई और चयन समिति के बीच यह निर्णय पहले ही फाइनल हो चुका था, जबकि रोहित शर्मा को इसकी जानकारी शायद बाद में दी गई।
सूत्रों के अनुसार, बीसीसीआई की चयन समिति ने यह योजना दो महीने पहले ही तैयार कर ली थी। बोर्ड चाहता था कि आने वाली सीरीजों में गिल को नेतृत्व का अनुभव दिया जाए ताकि भविष्य में उन्हें स्थायी कप्तान के रूप में तैयार किया जा सके। वहीं, रोहित शर्मा इस सीरीज के लिए आराम पर भेजे गए हैं, लेकिन इस निर्णय के पीछे की टाइमिंग और प्रक्रिया पर अब सवाल उठने लगे हैं।
क्रिकेट विशेषज्ञों का कहना है कि शुभमन गिल को कप्तानी देना भारत के क्रिकेट के भविष्य के लिहाज से सही फैसला है। वह एक समझदार और शांत स्वभाव के खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपने छोटे से करियर में ही बड़ी परिपक्वता दिखाई है। लेकिन इस पूरे प्रकरण ने टीम के भीतर पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, कप्तानी के इस फैसले पर रोहित शर्मा और बीसीसीआई के बीच संवाद की कमी रही। वरिष्ठ खिलाड़ियों के साथ चर्चा किए बिना निर्णय लेने की यह प्रक्रिया कई बार टीम के मनोबल को प्रभावित कर सकती है। यही वजह है कि अब यह मामला सिर्फ कप्तानी का नहीं, बल्कि टीम की एकता और नेतृत्व संरचना का प्रतीक बन गया है।
अजीत अगरकर के नेतृत्व में चयन समिति ने स्पष्ट किया कि यह कदम भविष्य की तैयारी के तहत उठाया गया है। उनका मानना है कि रोहित शर्मा आने वाले महीनों में बड़े टूर्नामेंट्स पर ध्यान देंगे, इसलिए युवा खिलाड़ियों को जिम्मेदारी देकर उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परखा जाना चाहिए। शुभमन गिल को कप्तानी का यह मौका इसी नीति का हिस्सा बताया जा रहा है।
शुभमन गिल की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज टीम इंडिया के लिए एक नए युग की शुरुआत हो सकती है। युवा कप्तान के तौर पर गिल के सामने चुनौती होगी कि वह न केवल टीम को जीत की राह पर ले जाएं, बल्कि टीम के सीनियर खिलाड़ियों के साथ तालमेल भी बनाए रखें।
क्रिकेट फैंस के बीच यह खबर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई है। कई लोगों ने शुभमन गिल को भारत का अगला दीर्घकालिक कप्तान बताते हुए उनका समर्थन किया, वहीं कुछ प्रशंसकों ने कहा कि रोहित शर्मा जैसे अनुभवी खिलाड़ी के रहते इस तरह की “डील” करना अनुचित और जल्दबाज़ी भरा फैसला है।
टीम के भीतर भी इस निर्णय को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ हैं। कुछ खिलाड़ियों ने गिल को नेतृत्व के लिए योग्य बताया, जबकि कुछ वरिष्ठ खिलाड़ियों ने इस प्रक्रिया को लेकर अपनी असहमति जताई। यह स्थिति टीम प्रबंधन के लिए संवेदनशील और रणनीतिक चुनौती बन चुकी है।
बीसीसीआई के सूत्रों के मुताबिक, यह तय योजना का हिस्सा है कि अगले दो वर्षों में शुभमन गिल, हार्दिक पंड्या और ऋतुराज गायकवाड़ जैसे युवा खिलाड़ियों को कप्तानी के विकल्प के रूप में तैयार किया जाए। यह भविष्य की सोच है ताकि आने वाले विश्व कप और प्रमुख टूर्नामेंट्स में भारत के पास मजबूत नेतृत्व विकल्प हों।