




उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में मिशन शक्ति 5.0 के तहत एक अनोखा और प्रेरणादायक दृश्य देखने को मिला जब बिल्ली गांव की कक्षा आठ की छात्रा कुमारी सुहानी ने एक दिन के लिए उप जिलाधिकारी (एसडीएम) की कुर्सी संभाली। आत्मविश्वास और उत्साह से भरी इस नन्हीं बालिका ने न केवल सरकारी कार्यालय की कार्यप्रणाली को समझा बल्कि फरियादियों की समस्याएं सुनकर संबंधित अधिकारियों को समाधान के निर्देश भी दिए।
यह पहल न केवल सोनभद्र जिले के लिए, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए गर्व का क्षण थी। सुहानी का यह साहसिक कदम बेटियों के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक मजबूत संदेश बनकर सामने आया है।
मिशन शक्ति 5.0 का प्रभावशाली परिणाम
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शुरू किया गया मिशन शक्ति 5.0 कार्यक्रम महिलाओं और बेटियों को आत्मनिर्भर, शिक्षित और नेतृत्व के अवसर प्रदान करने की दिशा में एक अभिनव पहल है। इसी योजना के अंतर्गत विभिन्न जिलों में प्रतिभाशाली छात्राओं को प्रशासनिक जिम्मेदारी का अनुभव कराने के लिए एक दिन के लिए उच्च पदों पर बैठाया जा रहा है। सोनभद्र में यह जिम्मेदारी कुमारी सुहानी को सौंपी गई, जिसने अपने आत्मविश्वास और व्यवहार से सभी को प्रभावित किया।
फरियादियों की सुनीं समस्याएं, अधिकारियों को दिए दिशा-निर्देश
एक दिन की एसडीएम बनीं सुहानी सुबह कार्यालय पहुंचीं, जहाँ अधिकारियों और कर्मचारियों ने उनका स्वागत किया। उन्होंने बाकायदा एसडीएम की कुर्सी पर बैठकर कार्यभार संभाला और विभिन्न फरियादियों की समस्याएं सुनीं। सुहानी ने समस्याओं को ध्यानपूर्वक सुना और अधिकारियों से कहा कि “हर शिकायत का समाधान समय पर होना चाहिए ताकि जनता का प्रशासन पर विश्वास बना रहे।”
उनकी यह बात सुनकर मौजूद अधिकारी और कर्मचारी भी उनकी परिपक्व सोच से प्रभावित हुए। कई लोगों ने कहा कि सुहानी की यह समझ उम्र से कहीं अधिक परिपक्व है और यह भविष्य के नेतृत्व की झलक दिखाती है।
सपनों को साकार करने का मंच बना मिशन शक्ति
कुमारी सुहानी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्हें बचपन से ही प्रशासनिक अधिकारी बनने का सपना था। जब उन्हें मिशन शक्ति के तहत यह अवसर मिला, तो यह उनके लिए किसी सपने के सच होने जैसा था। उन्होंने कहा, “मैं चाहती हूं कि सभी बेटियां पढ़ें और अपने सपनों को पूरा करें। मेहनत और आत्मविश्वास से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।”
उनकी इस बात पर जिलाधिकारी ने भी कहा कि “मिशन शक्ति जैसी योजनाओं का यही उद्देश्य है — बेटियों को यह एहसास कराना कि उनमें किसी से कम होने की कोई बात नहीं। सुहानी जैसी बेटियां हमारे समाज का भविष्य हैं।”
गांव और स्कूल में जश्न का माहौल
सुहानी के एक दिन के एसडीएम बनने की खबर जैसे ही उनके गांव बिल्ली पहुंची, पूरा इलाका खुशी से झूम उठा। स्कूल में शिक्षकों और सहपाठियों ने मिठाइयां बांटीं और गर्व से कहा कि “हमारी सुहानी ने गांव का नाम रोशन कर दिया।” सुहानी के माता-पिता की आँखों में भी गर्व और खुशी दोनों झलक रही थीं। उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा अपनी बेटी को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया और अब उनका सपना सच हो गया है।
प्रशासन ने की पहल की सराहना
सोनभद्र प्रशासन ने इस पहल को बेहद सफल बताया और कहा कि मिशन शक्ति के तहत बेटियों को नेतृत्व का अनुभव देना समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक बड़ी पहल है। जिलाधिकारी ने बताया कि “ऐसी गतिविधियाँ न केवल आत्मविश्वास बढ़ाती हैं, बल्कि बेटियों को यह एहसास कराती हैं कि वे भी प्रशासनिक निर्णयों का हिस्सा बन सकती हैं।”
बेटियों के सशक्तिकरण का प्रतीक बनी सुहानी
सुहानी अब सिर्फ एक नाम नहीं रही, बल्कि एक प्रेरणा बन गई हैं। उन्होंने साबित कर दिया कि उम्र छोटी हो सकती है, लेकिन सोच बड़ी होनी चाहिए। उनके इस कदम ने हजारों बेटियों को यह संदेश दिया है कि यदि वे ठान लें, तो हर पद, हर मुकाम उनकी पहुंच में है।
मिशन शक्ति के तहत सुहानी जैसी बेटियों का आगे आना इस बात का प्रमाण है कि उत्तर प्रदेश में महिला सशक्तिकरण अब केवल नारा नहीं, बल्कि एक साकार होती हकीकत है।
सोनभद्र की नन्हीं एसडीएम सुहानी की यह उपलब्धि सिर्फ एक प्रतीकात्मक पहल नहीं, बल्कि समाज में परिवर्तन का संदेश है। जब एक छोटी बच्ची प्रशासनिक कुर्सी पर बैठकर जनता की समस्याएं सुनती है और समाधान का निर्देश देती है, तो यह सिर्फ एक दिन की घटना नहीं रहती — यह उस नए भारत की झलक होती है, जहाँ बेटियाँ अब नेतृत्व कर रही हैं, फैसले ले रही हैं और भविष्य लिख रही हैं।