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    मुंबई कांग्रेस ने बदली पूरी जिला कार्यकारिणी, वर्षा गायकवाड की जंबो टीम पर नेताओं में नाराजगी

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    मुंबई कांग्रेस ने बीएसमी चुनावों को ध्यान में रखते हुए नई जंबो कार्यकारिणी की घोषणा की है, जिसमें सभी जिला अध्यक्षों को बदलकर नए नामों की नियुक्ति की गई है। इस नई कार्यकारिणी के तहत वरिष्ठ उपाध्यक्ष 4, उपाध्यक्ष 34 और महासचिव 57 बनाए गए हैं। इस बड़े फेरबदल के बावजूद पार्टी के भीतर नाराजगी की स्थिति देखने को मिल रही है।

    मुंबई कांग्रेस की यह नई कार्यकारिणी वर्षा गायकवाड के नेतृत्व में बनाई गई है। उन्होंने अपनी टीम में कई वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ अपने परिवार के सदस्यों को भी शामिल किया है। खासकर उनके परिवार के सदस्यों—बहन और भाई—को कार्यकारिणी में शामिल करने को लेकर पार्टी के कुछ नेताओं ने विरोध जताया है। उनका मानना है कि यह निर्णय पारदर्शिता और न्यायसंगत चयन की भावना के खिलाफ है।

    बीएसमी चुनावों को देखते हुए यह बदलाव कांग्रेस के लिए रणनीतिक कदम माना जा रहा है। पार्टी नेतृत्व का उद्देश्य स्पष्ट है कि नई कार्यकारिणी के जरिए चुनावों में बेहतर तैयारी और संगठनात्मक मजबूती लाई जाए। हालांकि, पार्टी के भीतर इस कदम को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रिया सामने आ रही हैं। कुछ नेताओं ने इसे सकारात्मक कदम बताते हुए कहा कि नए नेतृत्व से चुनावों में गति और अनुशासन आएगा। वहीं, कई पुराने और वरिष्ठ नेताओं ने अपनी नाराजगी जाहिर की है।

    विशेषज्ञों का कहना है कि कांग्रेस ने मुंबई में जंबो टीम बनाकर केंद्रीय नेतृत्व के संकेतों के अनुरूप कदम उठाया है। वर्षा गायकवाड की कार्यशैली में परिवार और करीबी सहयोगियों को शामिल करना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार पार्टी नेताओं की नाराजगी इसलिए बढ़ी क्योंकि उन्हें लगा कि पुराने और अनुभवी नेताओं को नजरअंदाज किया गया है।

    मुंबई कांग्रेस के अंदरूनी सियासत की बात करें तो यह बदलाव कुछ नेताओं के लिए आश्चर्यजनक था। वे मानते हैं कि कार्यकारिणी में सिर्फ जंबो टीम बनाना पर्याप्त नहीं है; बल्कि चुनावों में सभी स्तरों पर नेता और कार्यकर्ताओं की भागीदारी भी जरूरी है। इस नाराजगी ने पार्टी के अंदर खींचतान और असंतोष की स्थिति पैदा कर दी है।

    नई कार्यकारिणी में शामिल वरिष्ठ उपाध्यक्ष और उपाध्यक्षों को जिम्मेदारियां दी गई हैं कि वे जिला और ब्लॉक स्तर पर संगठन को मजबूत करें, चुनावी रणनीति तैयार करें और बूथ स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं को सक्रिय बनाएं। महासचिवों की संख्या बढ़ाने का उद्देश्य संगठन के कामकाज में पारदर्शिता और तेजी लाना है।

    हालांकि, नाराज नेताओं का कहना है कि वर्षा गायकवाड ने अपने करीबी सहयोगियों को अधिक महत्व दिया, जिससे संगठनात्मक ढांचे में असंतोष बढ़ा है। उनके मुताबिक, अगर पार्टी इस स्थिति को संभाल नहीं पाई तो यह आगामी बीएसमी चुनावों पर नकारात्मक असर डाल सकता है।

    विशेषज्ञों का मानना है कि मुंबई कांग्रेस के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय है। जंबो टीम बनाने का उद्देश्य चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करना है, लेकिन पार्टी के भीतर असंतोष और नाराजगी को शांत करना भी उतना ही जरूरी है। अगर अंदरूनी विवादों को समय रहते सुलझा लिया गया, तो यह कदम चुनावों में लाभकारी साबित हो सकता है।

    अंततः कहा जा सकता है कि मुंबई कांग्रेस ने बीएसमी चुनावों के मद्देनजर संगठन को नया रूप देने की कोशिश की है। वर्षा गायकवाड की जंबो टीम को लेकर नाराजगी, असंतोष और आलोचनाएं यह संकेत देती हैं कि पार्टी को चुनावी तैयारियों के साथ-साथ आंतरिक संतुलन बनाए रखना होगा। आगामी महीनों में पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण होगी कि वह नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच विश्वास बहाल करे और नई कार्यकारिणी के प्रयासों को सकारात्मक दिशा में ले जाए।

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