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    भारत में अब AI रोकेगा साइबर फ्रॉड, सरकार का बड़ा प्लान — ऑनलाइन ठगी पर लग सकती है बड़ी लगाम

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    भारत में तेजी से बढ़ती ऑनलाइन ठगी और साइबर अपराधों को रोकने के लिए अब सरकार ने एक बड़ा और आधुनिक कदम उठाया है। सरकार ने घोषणा की है कि अब देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल साइबर फ्रॉड की निगरानी और रोकथाम के लिए किया जाएगा। यह तकनीक फ्रॉड डिटेक्शन में मदद करेगी और संदेहास्पद ऑनलाइन लेनदेन को रियल टाइम में पहचानने की क्षमता रखेगी।

    सरकार का यह कदम ऐसे समय में आया है जब देश में डिजिटल पेमेंट्स और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है। लेकिन इसके साथ ही साइबर फ्रॉड के मामले भी तेजी से बढ़े हैं, जिनमें लोगों के बैंक खातों, UPI IDs, और सोशल मीडिया अकाउंट्स को निशाना बनाया जा रहा है।

    AI से कैसे रुकेगा साइबर फ्रॉड

    इस योजना के तहत AI-आधारित मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित किया जा रहा है जो लाखों ट्रांजेक्शन को सेकंडों में स्कैन करेगा। यह सिस्टम ट्रांजेक्शन के पैटर्न, लोकेशन, टाइमिंग और व्यवहार के आधार पर यह पहचान सकेगा कि कोई गतिविधि संदिग्ध है या नहीं।

    उदाहरण के तौर पर, यदि किसी व्यक्ति के खाते से अचानक किसी अजनबी जगह से या असामान्य समय पर बड़ी रकम ट्रांसफर होती है, तो AI तुरंत अलर्ट जारी करेगा। साथ ही यह बैंक और साइबर सेल को सूचित कर देगा ताकि ट्रांजेक्शन रोका जा सके।

    इसके अलावा, यह सिस्टम डार्क वेब और फेक वेबसाइट्स की भी निगरानी करेगा, जहां से अक्सर फ्रॉड की शुरुआत होती है। AI इन प्लेटफॉर्म्स पर होने वाली संदिग्ध गतिविधियों का विश्लेषण कर तुरंत रिपोर्ट तैयार करेगा।

    सरकार की डिजिटल सुरक्षा रणनीति

    इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, इस पहल के तहत ‘AI-Powered National Cyber Security Grid’ तैयार किया जा रहा है। इसका मकसद है — देशभर की बैंकिंग, फिनटेक, और डिजिटल सर्विस कंपनियों को एक केंद्रीकृत मॉनिटरिंग सिस्टम से जोड़ना।

    इससे न सिर्फ फ्रॉड की पहचान जल्दी होगी बल्कि अपराधियों तक पहुंचने में भी समय कम लगेगा। अधिकारी के अनुसार, सरकार का लक्ष्य अगले एक साल में इसे देश के हर राज्य की साइबर यूनिट से कनेक्ट करना है।

    सरकार ने इस प्रोजेक्ट को “साइबर सुरक्षित भारत” (Cyber Surakshit Bharat) अभियान का हिस्सा बताया है।

    आम लोगों को भी मिलेगा फायदा

    AI आधारित यह सिस्टम सिर्फ बैंकों और एजेंसियों के लिए ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी मददगार साबित होगा। सरकार की योजना है कि एक AI-Enabled Mobile App भी लॉन्च किया जाए, जो यूजर्स को किसी संदिग्ध लिंक, वेबसाइट या कॉल के बारे में तुरंत चेतावनी दे सके।

    यह ऐप यूजर्स को बताएगा कि कोई लिंक या QR कोड सुरक्षित है या नहीं। इसके अलावा, अगर कोई फ्रॉड कॉल करता है तो यह सिस्टम तुरंत उसकी पहचान कर रिपोर्ट करेगा।

    इससे आम नागरिकों को उन साइबर ठगों से बचने में मदद मिलेगी जो ‘KYC अपडेट’, ‘बैंक वेरिफिकेशन’ या ‘इनाम जीतने’ के नाम पर लोगों से पैसे ठग लेते हैं।

    पिछले साल बढ़े थे साइबर फ्रॉड के मामले

    भारत में डिजिटल लेनदेन जितनी तेजी से बढ़े हैं, उतनी ही तेजी से साइबर ठगी के मामले भी सामने आए हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में भारत में लगभग 6.5 लाख साइबर क्राइम केस दर्ज किए गए थे, जिनमें से लगभग 40% मामले ऑनलाइन फ्रॉड से जुड़े थे।

    इनमें से कई मामलों में अपराधियों ने AI और डीपफेक तकनीक का भी इस्तेमाल किया था। कई बार लोगों की आवाज और चेहरा बदलकर ठगी की गई। यही वजह है कि सरकार अब तकनीक को तकनीक से ही मात देने की तैयारी में है।

    AI सिस्टम की खासियतें

    सरकार के नए AI साइबर मॉनिटरिंग सिस्टम की कुछ प्रमुख विशेषताएं हैं —

    • रियल टाइम अलर्ट सिस्टम: सेकंडों में संदिग्ध ट्रांजेक्शन की पहचान।

    • डेटा एनालिटिक्स: यूजर्स के ट्रांजेक्शन पैटर्न का विश्लेषण कर फ्रॉड की संभावना का आकलन।

    • मल्टी-सोर्स इंटीग्रेशन: बैंकों, फिनटेक कंपनियों और डिजिटल वॉलेट्स से डेटा का सीधा कनेक्शन।

    • AI ट्रेनिंग मॉडल्स: हर नए फ्रॉड पैटर्न को सीखने और भविष्य में पहचानने की क्षमता।

    विशेषज्ञों की राय

    साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार का यह कदम सही दिशा में है। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ राकेश कुमार सिंह के अनुसार, “आज के दौर में फ्रॉड करने वाले अपराधी भी AI का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में सरकार द्वारा AI की मदद से सुरक्षा को मजबूत करना बेहद जरूरी है। यह सिस्टम न सिर्फ अपराध रोकने में मदद करेगा बल्कि साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन को भी आसान बनाएगा।”

    वहीं, IIT दिल्ली के कंप्यूटर विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. नीरज चौधरी का कहना है कि यह कदम तभी सफल होगा जब इसके लिए डेटा गोपनीयता और साइबर एथिक्स का भी ध्यान रखा जाए। उन्होंने कहा, “AI से निगरानी जरूरी है, लेकिन इसके साथ नागरिकों के डेटा की सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।”

    डिजिटल इंडिया को नई दिशा

    भारत ने पिछले एक दशक में डिजिटल लेनदेन के क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी स्थान हासिल किया है। UPI के जरिये हर महीने 1000 करोड़ से ज्यादा ट्रांजेक्शन हो रहे हैं। लेकिन इसी के साथ साइबर अपराध भी बढ़ा है।

    AI तकनीक के आने से अब उम्मीद है कि भारत न केवल डिजिटल रूप से सशक्त बनेगा बल्कि सुरक्षित डिजिटल राष्ट्र के रूप में भी उभरेगा। यह योजना देश की डिजिटल इकोनॉमी को और भरोसेमंद बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी।

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