




तमिलनाडु के करूर जिले में 27 सितंबर को अभिनेता से नेता बने विजय की पार्टी तमिलगा वेत्त्री कज़गम (TVK) द्वारा आयोजित एक रैली के दौरान मची भगदड़ में 41 लोगों की मौत हो गई थी। अब इस दुखद घटना की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को जिम्मेदारी सौंपी है।
न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने इस गंभीर मामले में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अजय रस्तोगी की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय निगरानी समिति गठित करने का भी निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान अदालत ने स्पष्ट किया कि यह मामला अब सामान्य प्रशासनिक चूक या हादसे से कहीं ज्यादा है। यह जन सुरक्षा की बड़ी विफलता है और इसकी निष्पक्ष जांच अत्यंत आवश्यक है। इसलिए SIT की जगह CBI को जांच सौंपी गई है।
निगरानी समिति में शामिल होंगे:
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अध्यक्ष: न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी (पूर्व SC जज)
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दो वरिष्ठ IPS अधिकारी (तमिलनाडु कैडर के, लेकिन राज्य के मूल निवासी नहीं)
CBI को हर महीने इस समिति को रिपोर्ट सौंपनी होगी, और समिति सुनिश्चित करेगी कि जांच निष्पक्षता से आगे बढ़े।
इस याचिका की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट की आलोचना भी की। कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने उस याचिका की सीमा से बाहर जाकर SIT गठित कर दी थी, जबकि मूल याचिका में केवल राजनीतिक रैलियों के लिए SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) बनाने की मांग थी।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया:
“हमारे विचार में, हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की मांग से परे जाकर आदेश पारित किया है।“
“जांच केवल निष्पक्ष एजेंसी द्वारा ही की जा सकती है, जो राज्य से स्वतंत्र हो।“
तमिल अभिनेता और अब राजनेता थलपति विजय की पार्टी TVK के लिए यह एक गंभीर राजनीतिक चुनौती बन गई है। हालांकि विजय ने हादसे के तुरंत बाद शोक जताया था और पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देने की घोषणा की थी, लेकिन विपक्ष और नागरिक समाज संगठनों ने रैली में सुरक्षा व्यवस्था की विफलता को लेकर पार्टी की भूमिका पर सवाल उठाए थे।
TVK ने ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर SIT पर आपत्ति जताई थी, जिससे अब उन्हें CBI जांच का सामना करना पड़ेगा।
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27 सितंबर 2025: करूर में TVK द्वारा रैली आयोजित की गई।
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भीड़ अत्यधिक बढ़ने से भगदड़ मच गई, जिसमें 41 लोग मारे गए, कई घायल हुए।
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TVK और राज्य सरकार ने मुआवजे की घोषणा की।
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मद्रास हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर SIT गठित की।
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TVK ने सुप्रीम कोर्ट में SIT को चुनौती दी।
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13 अक्टूबर: सुप्रीम कोर्ट ने SIT को हटाकर CBI को जांच सौंपी।
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि रैली स्थल पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतज़ाम नहीं थे।
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भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अलग से निकासी मार्ग नहीं बनाए गए थे।
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भीड़ अचानक बढ़ने से लोगों में अफरातफरी मच गई।
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स्थानीय प्रशासन और आयोजकों के बीच समन्वय की कमी स्पष्ट रूप से सामने आई।
विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि इससे सच्चाई सामने आएगी।
डीएमके और एआईएडीएमके नेताओं ने मांग की कि अगर विजय या TVK की लापरवाही सामने आती है, तो उन पर कार्रवाई होनी चाहिए।