




पुणे के निकटवर्ती शेर गांव में दिवाली के अवसर पर एक प्रेरक सामाजिक पहल देखने को मिली। एशियन मशीन टूल कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड और ज्ञान ध्येया फाउंडेशन ने मिलकर आदिवासी समुदाय के जरूरतमंद परिवारों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया। इस अवसर को और भी विशेष बना दिया पद्म विभूषण रतन टाटा की पुण्यतिथि ने, जिनकी सेवा और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना से प्रेरित होकर यह कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस विशेष अवसर पर सैकड़ों आदिवासी परिवारों को आवश्यक राशन सामग्री वितरित की गई। वितरण में आटा, चावल, दाल, तेल, नमक, चीनी और अन्य जरूरत की वस्तुएं शामिल थीं। उद्देश्य था कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को त्योहार के दौरान राहत और खुशी मिल सके। यह कार्यक्रम सिर्फ सहायता नहीं बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का एक सशक्त उदाहरण बन गया।
कार्यक्रम के दौरान एशियन मशीन टूल कॉर्पोरेशन के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि भारत जैसे देश में कॉरपोरेट संस्थानों की सामाजिक जिम्मेदारी केवल लाभ कमाने तक सीमित नहीं है। कंपनियों को समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान में भागीदार बनना चाहिए। यही कारण है कि संस्था ने ज्ञान ध्येया फाउंडेशन के साथ मिलकर इस अभियान को सफल बनाया।
ज्ञान ध्येया फाउंडेशन के संस्थापक ने बताया कि उनका लक्ष्य केवल आर्थिक सहायता देना नहीं, बल्कि जरूरतमंद परिवारों में आत्मविश्वास और सम्मान की भावना जगाना है। “जब किसी के चेहरे पर त्योहार से पहले मुस्कान लौटती है, तो यह किसी पुरस्कार से कम नहीं होता,” उन्होंने कहा।
शेर गांव, जो पुणे के पिरंगुट क्षेत्र के पास स्थित है, में आदिवासी परिवार लंबे समय से सीमित संसाधनों में जीवन यापन कर रहे हैं। कई परिवार खेती, मजदूरी या छोटे कार्यों पर निर्भर हैं। ऐसे में त्योहारों के समय इस तरह की पहल उनके लिए वरदान साबित होती है। इस वर्ष की पहल खास इसलिए भी रही क्योंकि इसे दिवंगत उद्योगपति रतन टाटा की पुण्यतिथि पर आयोजित किया गया। टाटा समूह ने हमेशा समाज सेवा, नैतिक व्यवसाय और मानवीय मूल्यों की मिसाल कायम की है, और इस कार्यक्रम ने उसी परंपरा को आगे बढ़ाया।
स्थानीय निवासियों ने इस पहल की सराहना की। एक बुजुर्ग महिला ने भावुक होकर कहा, “हर साल दिवाली आती है, पर इस बार दिल से खुशी मिली। हमारे बच्चों के चेहरों पर जो मुस्कान है, वो इन लोगों की वजह से है।”
इस मौके पर बच्चों के लिए मिठाइयां और कपड़े भी वितरित किए गए। बच्चों ने रंगोली बनाई, गीत गाए और दिवाली मनाई। इससे कार्यक्रम का माहौल पूरी तरह से परिवार जैसा और उत्साहपूर्ण बन गया।
एशियन मशीन टूल के डायरेक्टर ने बताया कि कंपनी भविष्य में भी इसी तरह की सामाजिक पहलों को जारी रखेगी। “हमारा उद्देश्य सिर्फ उत्पादकता नहीं, बल्कि इंसानियत को भी आगे बढ़ाना है। समाज में बदलाव तभी आएगा जब हर वर्ग एक-दूसरे की मदद के लिए आगे आए,” उन्होंने कहा।
ज्ञान ध्येया फाउंडेशन पिछले कुछ वर्षों से शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में सक्रिय है। संस्था नियमित रूप से ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में जागरूकता अभियानों का संचालन करती है। इस कार्यक्रम के माध्यम से उन्होंने एक बार फिर साबित किया कि सामाजिक परिवर्तन के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति और सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं।
CSR (कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के तहत इस तरह के आयोजन कॉर्पोरेट जगत की सकारात्मक भूमिका को सामने लाते हैं। भारत में CSR का दायरा लगातार बढ़ रहा है और कंपनियां अब शिक्षा, पर्यावरण, स्वास्थ्य और समाज कल्याण के क्षेत्र में गंभीरता से निवेश कर रही हैं।
इस आयोजन के दौरान स्थानीय प्रशासन और पंचायत सदस्यों ने भी सहयोग दिया। सबने मिलकर सुनिश्चित किया कि सहायता सामग्री सही लोगों तक पहुँचे और वितरण में पारदर्शिता बनी रहे।
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी लोगों ने रतन टाटा की स्मृति में दो मिनट का मौन रखा और उनके योगदान को याद किया। आयोजकों का मानना था कि “अगर हम टाटा साहब की सोच को अपने कर्म में उतारें, तो भारत में गरीबी और अभाव की समस्या खत्म की जा सकती है।”
दिवाली जैसे पावन पर्व पर यह पहल सिर्फ राशन वितरण नहीं, बल्कि उम्मीद की किरण बनकर उभरी है। यह दिखाती है कि समाज में यदि संवेदनशीलता और सहयोग की भावना कायम रहे, तो कोई भी पर्व अधूरा नहीं रह सकता।