




मिस्र के शार्म एल शेख में आयोजित गाज़ा शांति सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसा बयान दिया जिसने भारत के राजनीतिक और कूटनीतिक हलकों में चर्चा छेड़ दी। ट्रंप ने खुले मंच से कहा कि “भारत एक महान देश है और उसके शीर्ष पर मेरे एक बहुत अच्छे दोस्त नरेंद्र मोदी हैं, जिन्होंने शानदार काम किया है।”
ट्रंप का यह बयान तब और रोचक हो गया जब उसी मंच पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ भी मौजूद थे। ट्रंप ने अपनी बात के दौरान शरीफ की ओर देखकर मुस्कुराते हुए कहा — “मुझे विश्वास है कि भारत और पाकिस्तान दोनों महान देश हैं और वे बहुत अच्छे तरीके से साथ रह सकते हैं। दोनों परमाणु संपन्न राष्ट्र हैं, इसलिए शांति और समझदारी के साथ आगे बढ़ना ही उनके लिए सबसे अच्छा रास्ता है।”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब दक्षिण एशिया में भारत-पाकिस्तान संबंध एक बार फिर सुर्खियों में हैं। सीमा पार तनाव और कश्मीर मुद्दे पर लगातार मतभेद के बावजूद, ट्रंप का यह सकारात्मक संदेश उम्मीद की नई किरण लेकर आया है।
ट्रंप ने अपने भाषण में पीएम नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि मोदी “एक दूरदर्शी और निर्णायक नेता” हैं जिन्होंने भारत को “आर्थिक और वैश्विक मंच पर नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।” उन्होंने कहा कि “भारत तेजी से विकास कर रहा है और अमेरिका को गर्व है कि उसके पास भारत जैसा महान साझेदार है।”
ट्रंप का यह वक्तव्य भारतीय जनमानस में भी चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि अमेरिका और भारत के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी को यह बयान और मजबूत करता है। भारत की विदेश नीति पिछले कुछ वर्षों में आत्मनिर्भरता, वैश्विक सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता पर केंद्रित रही है, और ट्रंप के इन शब्दों ने इस नीति की पुष्टि कर दी।
दूसरी ओर, शाहबाज शरीफ ने भी मंच पर बोलते हुए ट्रंप की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने में सकारात्मक भूमिका निभाई है। शरीफ ने कहा, “अगर डोनाल्ड ट्रंप जैसे नेताओं ने पहल न की होती, तो शायद स्थिति और बिगड़ जाती। उन्होंने दोनों देशों को बातचीत की दिशा में आगे बढ़ने का मौका दिया।”
उन्होंने ट्रंप को “शांति निर्माता” (Peacemaker) बताया और कहा कि पाकिस्तान उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करेगा। इस पर ट्रंप ने हल्के अंदाज़ में जवाब दिया — “शाहबाज, यह आपकी बड़ी मेहरबानी है, लेकिन मैं चाहता हूं कि भारत और पाकिस्तान खुद अपने रिश्तों को बेहतर बनाएं, ताकि इस क्षेत्र में शांति कायम हो।”
अंतरराष्ट्रीय मंच पर इस बातचीत को वैश्विक मीडिया ने व्यापक रूप से कवरेज दिया। अमेरिकी और ब्रिटिश मीडिया ने इसे ट्रंप की “डिप्लोमैटिक स्टाइल” कहा, जबकि भारतीय मीडिया ने इसे भारत की बढ़ती वैश्विक छवि का प्रमाण बताया।
ट्रंप ने कहा कि “भारत और पाकिस्तान दोनों की सैन्य शक्ति प्रभावशाली है, लेकिन सच्ची शक्ति शांति और प्रगति में है। जब दो देश समझदारी से काम करते हैं, तो पूरा क्षेत्र स्थिरता महसूस करता है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि “अमेरिका चाहता है कि दक्षिण एशिया में विकास, शांति और साझेदारी का नया युग शुरू हो।”
विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रंप के इस बयान का मकसद केवल भारत-पाक संबंधों को सुधारना नहीं था, बल्कि अमेरिका की नई एशिया नीति को मजबूत करना भी है। अमेरिका अब भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक भागीदार के रूप में देखता है। वहीं, पाकिस्तान के साथ ट्रंप प्रशासन के रिश्ते हाल के वर्षों में उतार-चढ़ाव से गुजरे हैं, इसलिए यह बयान संतुलन साधने का प्रयास भी माना जा रहा है।
भारत की विदेश नीति विशेषज्ञ डॉ. मनीषा जोशी ने इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “ट्रंप का बयान कूटनीतिक दृष्टि से भारत के लिए सकारात्मक संकेत है। यह भारत की सशक्त वैश्विक छवि और नेतृत्व की मान्यता का प्रतीक है। जब दुनिया के शीर्ष नेता किसी देश के प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत रूप से तारीफ करते हैं, तो उसका असर वैश्विक नीति निर्माण पर पड़ता है।”
वहीं पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक इसे “राजनयिक संतुलन” बताते हैं। उनके अनुसार ट्रंप भारत की तारीफ कर रहे थे, लेकिन साथ ही उन्होंने पाकिस्तान के साथ संवाद का रास्ता भी खुला रखने की कोशिश की।
भारत सरकार की ओर से इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, लेकिन विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार यह बयान भारत-अमेरिका संबंधों की गहराई और विश्वास का प्रतीक है।
अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में इस तरह के बयान अक्सर व्यापक संदेश देते हैं — खासकर तब, जब मंच पर दोनों पड़ोसी देशों के नेता मौजूद हों। ट्रंप का यह कथन न सिर्फ भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को पुष्ट करता है, बल्कि दक्षिण एशिया में शांति और सहयोग के नए अध्याय की संभावना भी खोलता है।
अंत में, मिस्र के मंच से गूँजी ट्रंप की यह बात — “India is a great country, and PM Modi is a great friend” — न सिर्फ एक राजनीतिक टिप्पणी थी, बल्कि एक कूटनीतिक सन्देश भी था। यह संदेश साफ है कि भारत अब केवल दक्षिण एशिया की नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति की एक प्रमुख धुरी बन चुका है, और दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति का यह स्वीकारोक्ति इसका प्रमाण है।