




संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के मंच से भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब किया है। इस बार यह हमला किसी कूटनीतिक या सैन्य गतिविधि पर नहीं, बल्कि बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन के मुद्दे पर हुआ है।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद निशिकांत दुबे ने सोमवार को UNGA में अपने संबोधन के दौरान पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र के CAC (Children and Armed Conflict) एजेंडा का सबसे बड़ा उल्लंघनकर्ता बताया।
अपने भाषण में दुबे ने दो टूक शब्दों में कहा:
“पाकिस्तान ना केवल अपने देश के भीतर बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन करता है, बल्कि भारत और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में भी शिक्षा संस्थानों पर हमले कर रहा है। यह Children and Armed Conflict (CAC) के सिद्धांतों का सीधा उल्लंघन है।”
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के माध्यम से भारत में स्कूलों और सार्वजनिक स्थलों को निशाना बना रहा है, जिससे न केवल जान-माल की हानि होती है, बल्कि बच्चों का मानसिक विकास भी प्रभावित होता है।
दुबे ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव की 2025 की CAC रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इसमें स्पष्ट रूप से पाकिस्तान द्वारा किए गए उल्लंघनों का जिक्र है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठनों ने बच्चों की जबरन भर्ती, स्कूलों पर हमले, और उनके मानसिक स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया है।
“ऐसे देश को दुनिया को बच्चों के अधिकारों पर उपदेश देने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।”
निशिकांत दुबे ने अफगानिस्तान में पाकिस्तानी आतंकी नेटवर्क द्वारा किए गए हवाई हमलों और आत्मघाती हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि इन हमलों में बड़ी संख्या में बच्चों की जान गई और कई स्कूल पूरी तरह तबाह हो गए।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों ने भारत के जम्मू-कश्मीर, पंजाब और दिल्ली जैसे राज्यों में भी स्कूलों और छात्रों को निशाना बनाया है।
UNGA के मंच से बोलते हुए दुबे ने भारत की ओर से बच्चों की सुरक्षा के लिए किए गए उपायों की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया:
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भारत में “चाइल्ड हेल्पलाइन 1098” जैसी सेवाओं का विस्तार किया गया है।
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बाल तस्करी और बाल श्रम के खिलाफ सख्त कानून और विशेष अदालतें बनाई गई हैं।
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स्कूल सुरक्षा और बाल शिक्षा को प्राथमिकता दी गई है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत “बोलने से पहले करने में विश्वास रखता है”, और बच्चों के अधिकारों की रक्षा उसका कर्तव्य ही नहीं, नैतिक जिम्मेदारी भी है।
दुबे ने पाकिस्तान को स्पष्ट शब्दों में कहा:
“जो देश खुद बच्चों के खिलाफ अत्याचार कर रहा है, उसे दूसरों को उपदेश देने से पहले आईने में खुद को देखना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का प्रयास रहा है कि वह UNGA जैसे मंचों का दुरुपयोग कर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाए, लेकिन अब भारत तथ्य और प्रमाण के साथ उसका जवाब देगा।
निशिकांत दुबे का यह बयान अब अंतरराष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियाँ बटोर रहा है। कूटनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भारत ने इस बार पाकिस्तान को नैतिक धरातल पर भी घेरा है, जहां उसकी छवि को गहरा नुकसान पहुँच सकता है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव कार्यालय से जुड़े एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा:
“यदि भारत CAC रिपोर्ट में उठाए गए मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार सामने लाता है, तो पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय निगरानी बढ़ सकती है।”
संयुक्त राष्ट्र महासभा में निशिकांत दुबे का यह भाषण केवल एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि एक नैतिक चेतावनी है — उन सभी देशों के लिए जो मानवाधिकारों की दुहाई तो देते हैं, लेकिन अपने घर में बच्चों को शिक्षा, सुरक्षा और सम्मान से वंचित रखते हैं।