




दीपावली से पहले मिठाइयों की बढ़ती मांग के बीच गाजीपुर से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। जिले के महुआबाग इलाके में खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 1439 किलो मिलावटी देसी घी जब्त किया है। यह कार्रवाई अग्रवाल स्वीट्स नामक प्रसिद्ध मिठाई प्रतिष्ठान के कारखाने में की गई। मौके पर बरामद किए गए घी की कीमत लगभग 9.35 लाख रुपये आंकी गई है।
दिवाली के नजदीक आते ही बाजारों में मिठाइयों और घी की मांग चरम पर होती है, लेकिन इसी मौके का फायदा उठाकर मिलावटखोर सक्रिय हो जाते हैं। प्रशासन को आशंका थी कि कई जगह पर नकली घी और मिलावटी मिठाइयाँ बाजार में धड़ल्ले से बेची जा रही हैं। इसी कड़ी में जिलाधिकारी के निर्देश पर खाद्य विभाग की टीम ने विशेष अभियान चलाया और कई प्रतिष्ठानों पर छापेमारी की।
महुआबाग क्षेत्र में स्थित अग्रवाल स्वीट्स के उत्पादन केंद्र पर जब अधिकारियों ने छापा मारा, तो वहां अवैध रूप से रखे गए घी के बड़े ड्रम पाए गए। जांच के दौरान घी की गंध और रंग में असामान्यता देखी गई। जब अधिकारियों ने सैंपल जांच के लिए लिया, तो प्राथमिक परीक्षण में पता चला कि यह घी पूर्णतः मिलावटी है और मानव उपभोग के योग्य नहीं है।
फूड सेफ्टी ऑफिसर राहुल श्रीवास्तव ने बताया कि “छापेमारी के दौरान कुल 1439 किलो घी बरामद किया गया है। यह घी स्थानीय बाजारों में विभिन्न नामों से मिठाई बनाने में इस्तेमाल किया जा रहा था। हमने घी के नमूने को प्रयोगशाला में भेज दिया है, जहां से रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।”
बताया गया कि जब टीम ने छापा मारा, उस समय वहां मजदूर बड़ी मात्रा में मिठाई तैयार कर रहे थे। अधिकारियों के पूछताछ करने पर कई कर्मचारियों ने यह स्वीकार किया कि यह घी बाहर से सस्ते दामों में खरीदा गया था और मिठाई बनाने के लिए उपयोग में लाया जा रहा था। मौके से टीम ने कई खाली टिन और पैकेजिंग सामग्री भी बरामद की है, जिन पर किसी ब्रांड का नाम नहीं लिखा था।
इस कार्रवाई से शहर के मिठाई कारोबारियों में हड़कंप मच गया है। दीपावली के अवसर पर यह अभियान मिलावटखोरों के लिए बड़ा झटका साबित हुआ है। प्रशासन का कहना है कि यह सिर्फ शुरुआत है और आने वाले दिनों में जिले के अन्य प्रतिष्ठानों की भी कड़ी जांच की जाएगी।
खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने कहा, “हमारा मकसद लोगों की सेहत की रक्षा करना है। दीपावली के दौरान हर साल नकली घी, रंग, और रासायनिक मिश्रणों का उपयोग बढ़ जाता है। ऐसे में हम लगातार निगरानी रख रहे हैं ताकि कोई भी मिलावटखोर जनता की जान से खिलवाड़ न कर सके।”
स्थानीय लोगों ने खाद्य विभाग की इस कार्रवाई की सराहना की है। कई उपभोक्ताओं ने कहा कि प्रशासन का यह कदम बेहद जरूरी था, क्योंकि दीपावली पर लोग भरोसे के साथ मिठाई खरीदते हैं, लेकिन यदि उसमें मिलावट हो, तो यह सीधा जहर साबित हो सकता है।
जांच अधिकारियों के मुताबिक, प्राथमिक रिपोर्ट में यह भी संकेत मिले हैं कि घी में वनस्पति तेल, कृत्रिम सुगंधित रासायनिक पदार्थ और पेट्रोलियम बेस्ड केमिकल्स का इस्तेमाल किया गया था, जो लंबे समय तक सेवन करने पर लिवर, किडनी और हार्ट पर बुरा असर डाल सकते हैं।
डीएम गाजीपुर ने इस पूरे मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि जिले में खाद्य सुरक्षा कानूनों का उल्लंघन करने वाले किसी भी प्रतिष्ठान को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि मिलावटखोरी में शामिल लोगों पर एफआईआर दर्ज कर कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए।
इस बीच, अग्रवाल स्वीट्स के संचालक ने प्रारंभिक पूछताछ में यह दावा किया कि घी सप्लायर द्वारा धोखा दिया गया है और उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि यह घी नकली या मिलावटी है। हालांकि, प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि उत्पादन स्थल पर गुणवत्ता की जिम्मेदारी व्यवसायी की ही होती है, और जांच पूरी होने तक प्रतिष्ठान को अस्थायी रूप से सील कर दिया गया है।
गाजीपुर शहर के लोग अब सतर्क हो गए हैं। कई ग्राहकों ने स्थानीय दुकानों से घी और मिठाई खरीदने से पहले एफएसएसएआई (FSSAI) लाइसेंस की जानकारी मांगनी शुरू कर दी है। प्रशासन ने भी अपील की है कि लोग अनब्रांडेड या बिना लेबल वाले उत्पादों से बचें और किसी भी संदिग्ध वस्तु की सूचना तुरंत खाद्य विभाग को दें।
दीपावली के त्योहार से ठीक पहले मिली इस सफलता ने खाद्य विभाग के अभियान को बल दिया है। अधिकारी अब जिले के अन्य मिठाई निर्माताओं और डेयरी उत्पाद विक्रेताओं पर भी नज़र बनाए हुए हैं। उम्मीद है कि ऐसी कार्रवाइयाँ मिलावटखोरों के खिलाफ कड़ा संदेश देंगी और त्योहारों के मौसम में जनता की सेहत सुरक्षित रखी जा सकेगी।