




पश्चिम बंगाल की राजनीतिक पृष्ठभूमि में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है, जब हत्या के गंभीर आरोपों से बरी हुए भाजपा नेता निर्मल घोष ने आधिकारिक रूप से तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सदस्यता ग्रहण की। यह कदम पश्चिम बंगाल की राजनीतिक दुनिया में हलचल मचा रहा है और आगामी चुनावी रणनीतियों पर असर डाल सकता है।
निर्मल घोष उस हत्या मामले में आरोपी थे जिसमें तृणमूल कांग्रेस के पार्षद सत्याज़ित बिस्वास की हत्या हुई थी। इस मामले में कुल छह आरोपी थे, जिनमें से निर्मल घोष को कोर्ट ने बाद में आरोपों से मुक्त कर दिया। गिरफ्तारी के दौरान और जेल की अवधि में राजनीतिक बहसें तेज रहीं, लेकिन अब उन्होंने BJP को छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में प्रवेश कर एक नया राजनीतिक अध्याय शुरू किया है।
13 अक्टूबर, 2025 को नदिया जिले के हंसखली के बागुला में आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम में निर्मल घोष का तृणमूल कांग्रेस में स्वागत भव्य तरीके से किया गया। इस मौके पर पार्टी के राज्य उपाध्यक्ष जय प्रकाश मजूमदार और विधायक मुकुटमणि अधिकारी भी उपस्थित थे। यह दोनों नेता भी पहले भाजपा से थे और बाद में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे।
निर्मल घोष को पार्टी का झंडा सौंपा गया और पार्टी की ओर से गर्मजोशी से उनका स्वागत किया गया। पार्टी नेताओं ने इस घटना को संगठन की मजबूती और चुनावी संभावनाओं के लिहाज से महत्वपूर्ण बताया।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि निर्मल घोष का तृणमूल कांग्रेस में शामिल होना नदिया क्षेत्र में पार्टी के जनाधार को और मजबूत करेगा। इससे भाजपा के लिए चुनौती बढ़ेगी क्योंकि निर्मल घोष के पास उस इलाके में अच्छी पकड़ है। यह बदलाव आगामी विधानसभा चुनावों के परिणामों को प्रभावित कर सकता है।
यह घटना इस बात का संकेत भी है कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक दलों के बीच तालमेल और गठजोड़ के नए रूप सामने आ रहे हैं। दल-बदल की राजनीति ने यहां की राजनीति को और भी प्रतिस्पर्धात्मक और जटिल बना दिया है।
स्थानीय जनता में इस बदलाव को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग इसे क्षेत्रीय राजनीति में सुधार और विकास की दिशा में एक सकारात्मक कदम मानते हैं, जबकि कुछ इसे केवल राजनीतिक स्वार्थ और सत्ता के लिए उठाया गया कदम बता रहे हैं।
वहीं राजनीतिक विश्लेषक इस बदलाव को आगामी चुनावी लड़ाई में तृणमूल कांग्रेस के लिए एक रणनीतिक बढ़त के रूप में देख रहे हैं।
पश्चिम बंगाल की राजनीति लगातार बदल रही है और ऐसे घटनाक्रम इसके उथल-पुथल भरे चरित्र को दर्शाते हैं। निर्मल घोष के भाजपा छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने से दोनों प्रमुख दलों के बीच टक्कर और तेज होगी। आने वाले महीनों में इस बदलाव के राजनीतिक नतीजे साफ तौर पर सामने आएंगे।