




उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में एक AI वीडियो ने अचानक हंगामा मचा दिया है। वायरल हुए वीडियो में कार्टून कैरेक्टर डोरेमॉन को मंदिर के गर्भगृह में जाते हुए दिखाया गया है। इस वीडियो ने मंदिर के पुजारियों, श्रद्धालुओं और मंदिर समिति के बीच गहरी चिंता और आपत्ति पैदा कर दी है।
वीडियो में न केवल डोरेमॉन को गर्भगृह में प्रवेश करते दिखाया गया है, बल्कि गार्ड को जूते पहनकर खड़ा होने के रूप में भी प्रस्तुत किया गया है। यह मंदिर के नियमों और धार्मिक आचार-व्यवहार के खिलाफ माना जा रहा है। मंदिर में गर्भगृह के भीतर जूते पहनना सख्त वर्जित है और इस प्रकार के प्रदर्शन ने श्रद्धालुओं के धार्मिक भावनाओं को आहत किया है।
मंदिर समिति ने वीडियो के वायरल होने के बाद इसे आपत्तिजनक करार दिया और कहा कि यह धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है। समिति ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से वीडियो को हटाने और भविष्य में ऐसे कंटेंट पर नियंत्रण रखने की मांग की है। पुजारियों ने भी इस वीडियो के खिलाफ आवाज उठाई और कहा कि मंदिर के धार्मिक स्थानों में किसी प्रकार की उपेक्षा या अनुचित प्रस्तुति बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है।
श्रद्धालुओं ने सोशल मीडिया पर वीडियो को साझा करने और इसे आलोचना का विषय बनाने के बाद चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि मंदिर और उसके धार्मिक स्थानों का सम्मान सभी के लिए अनिवार्य है और किसी भी प्रकार के AI या डिजिटल कंटेंट के माध्यम से इसे हल्का दिखाना अनुचित है।
टेक्नोलॉजी विशेषज्ञों का कहना है कि AI के माध्यम से बनाया गया यह वीडियो जैविक सत्य और डिजिटल फिक्शन के बीच की सीमा को चुनौती देता है। हालांकि यह केवल एक डिजिटल प्रस्तुति है, लेकिन इसका प्रभाव वास्तविक धार्मिक भावनाओं और सांस्कृतिक मान्यताओं पर पड़ सकता है। ऐसे वीडियो यह दर्शाते हैं कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर धार्मिक और संवेदनशील विषयों का प्रदर्शन अत्यंत सावधानी और जिम्मेदारी के साथ किया जाना चाहिए।
इस घटना ने समाज में एक चर्चा भी शुरू कर दी है कि AI और डिजिटल कंटेंट का धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलता के संदर्भ में क्या स्थान होना चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में इस तरह के AI जनित वीडियो के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश और नियंत्रण आवश्यक होंगे ताकि धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचे।
मंदिर के अधिकारियों ने कहा कि वे सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म्स के साथ संपर्क में हैं ताकि वीडियो को हटाया जा सके और इसके कारण होने वाले किसी भी धार्मिक और सामाजिक विवाद को नियंत्रित किया जा सके। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मंदिर परिसर में धार्मिक नियमों का पालन सख्ती से किया जाता है और किसी भी प्रकार के उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इस घटना ने यह भी दर्शाया है कि डिजिटल टेक्नोलॉजी और AI के माध्यम से बनाई गई सामग्री का प्रभाव वास्तविक जीवन और धार्मिक भावनाओं पर पड़ सकता है। इससे स्पष्ट है कि डिजिटल दुनिया में मनोरंजन और तकनीक का इस्तेमाल करते समय सांस्कृतिक और धार्मिक संवेदनाओं का सम्मान करना अत्यंत आवश्यक है।