




भारत और नेपाल के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक संबंध हमेशा से बेहद मजबूत रहे हैं। इन रिश्तों को और गहराई देने के लिए भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और नेपाली सेना के लेफ्टिनेंट जनरल प्रदीप जंग के बीच हाल ही में एक महत्वपूर्ण मुलाकात हुई। इस बैठक में दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और सुदृढ़ करने, साझा प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा देने और रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा देने पर विस्तृत चर्चा हुई।
नई दिल्ली स्थित सेना मुख्यालय में हुई इस वार्ता का उद्देश्य भारत और नेपाल की सेनाओं के बीच पहले से मौजूद पारंपरिक सहयोग को और मजबूत करना था। दोनों जनरलों ने एक-दूसरे के अनुभव साझा किए और यह भी चर्चा की कि कैसे बदलते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए सहयोग आवश्यक है।
सूत्रों के अनुसार, नेपाली सेना इस बैठक में भारत से संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण, आधुनिक सैन्य उपकरणों के आदान-प्रदान और सीमावर्ती समन्वय को और प्रभावी बनाने को लेकर चर्चा करना चाहती थी। नेपाल ने भारत के साथ अपने सैन्य शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को और व्यापक बनाने की इच्छा जताई।
जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इस मौके पर कहा कि भारत और नेपाल की सेनाओं के बीच संबंध केवल रणनीतिक नहीं, बल्कि भावनात्मक भी हैं। दोनों देशों के सैनिक लंबे समय से एक-दूसरे की सेनाओं में सम्मानित पदों पर कार्यरत हैं। यह परंपरा भारत और नेपाल की दोस्ती को और मजबूत करती है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि भारतीय सेना हमेशा नेपाल की रक्षा आवश्यकताओं को ध्यान में रखेगी और सहयोग के लिए तत्पर रहेगी।
नेपाली जनरल प्रदीप जंग ने भारत के साथ सैन्य सहयोग की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारतीय सेना ने हमेशा नेपाल को रक्षा प्रशिक्षण, आपदा प्रबंधन और सीमा सुरक्षा के मामलों में सहयोग दिया है। उन्होंने बताया कि नेपाल इस साझेदारी को और विस्तार देना चाहता है, विशेषकर पर्वतीय युद्ध प्रशिक्षण और शांति मिशन अभियानों के क्षेत्र में।
बैठक के दौरान दोनों सेनाओं के बीच संयुक्त अभ्यास (Joint Military Exercises) को और नियमित और व्यापक करने पर भी चर्चा हुई। वर्तमान में दोनों देशों के बीच “सूर्य किरण” नामक द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास हर साल आयोजित होता है। दोनों पक्षों ने इस अभ्यास के दायरे को और विस्तृत करने पर सहमति जताई, ताकि सैनिकों को नए युद्ध परिदृश्यों और आधुनिक तकनीकों की समझ बढ़ाई जा सके।
इसके अलावा, दोनों देशों ने सीमा सुरक्षा, खुफिया जानकारी साझा करने और आतंकवाद विरोधी अभियानों में सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दिया। नेपाल, जो भारत के साथ खुली सीमा साझा करता है, वहां दोनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय से सीमावर्ती अपराधों, अवैध व्यापार और तस्करी पर अंकुश लगाने में मदद मिल सकती है।
भारत-नेपाल के बीच रक्षा सहयोग की जड़ें बहुत गहरी हैं। आज भी हजारों नेपाली नागरिक भारतीय सेना में ‘गोर्खा रेजिमेंट’ का हिस्सा हैं। यही नहीं, दोनों देशों के बीच यह परंपरा भी कायम है कि भारत का सेना प्रमुख नेपाल की मानद सेना का प्रमुख और नेपाल का सेना प्रमुख भारत की मानद सेना का प्रमुख होता है। यह सम्मानजनक परंपरा दोनों सेनाओं के बीच विश्वास और आपसी सम्मान की प्रतीक है।
जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि भारत नेपाल के साथ सैन्य सहयोग को केवल रणनीतिक नहीं बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी देखता है। दोनों देशों के बीच साझा इतिहास, संस्कृति और भौगोलिक नजदीकी ऐसे कारक हैं जो इस रिश्ते को स्वाभाविक रूप से मजबूत बनाते हैं।
बैठक के बाद दोनों देशों के रक्षा मंत्रालयों ने संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि भारत और नेपाल आने वाले महीनों में कई नए सहयोगी प्रोजेक्ट शुरू करेंगे, जिनमें सैन्य प्रशिक्षण केंद्रों का आधुनिकीकरण, सीमा निगरानी तकनीक में सहयोग, और आपदा राहत प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल हैं।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब दक्षिण एशिया का सामरिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। भारत और नेपाल के बीच मजबूत सैन्य साझेदारी न सिर्फ दोनों देशों की सुरक्षा को सुदृढ़ करेगी, बल्कि इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
इस मुलाकात को भारत-नेपाल के सैन्य संबंधों के नए अध्याय के रूप में देखा जा रहा है। जहां भारत अपनी ‘Neighbourhood First Policy’ के तहत पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को प्राथमिकता दे रहा है, वहीं नेपाल भी भारत को एक भरोसेमंद साझेदार के रूप में देखता है।
इस प्रकार, भारतीय सेना प्रमुख और नेपाली जनरल की यह बैठक केवल एक औपचारिक मुलाकात नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया में स्थिरता, सुरक्षा और आपसी सम्मान के प्रतीक के रूप में इतिहास में दर्ज होने जा रही है। आने वाले महीनों में यह साझेदारी भारत-नेपाल के रिश्तों को और नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का काम करेगी।