




पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच चल रहे सीमा तनाव ने एक बार फिर दक्षिण एशिया की सुरक्षा स्थिति को नाजुक मोड़ पर ला खड़ा किया है। इस तनाव का केंद्र बना है तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) का प्रमुख — नूर वली मेहसूद।
9 अक्टूबर, 2025 को काबुल में एक संदिग्ध पाकिस्तानी एयरस्ट्राइक के बाद अफवाहें फैलीं कि इस हमले में नूर वली मारा गया है। हालांकि, TTP ने इस दावे को खारिज करते हुए वीडियो जारी कर दावा किया कि वह जिंदा है। इसके बाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच जमकर गोलीबारी हुई और एक अस्थायी युद्धविराम की घोषणा करनी पड़ी।
तो सवाल उठता है कि नूर वली मेहसूद आखिर है कौन? और क्यों यह व्यक्ति क्षेत्रीय शांति के लिए इतना बड़ा खतरा बन चुका है?
नूर वली मेहसूद का जन्म 26 जून 1978 को पाकिस्तान के दक्षिण वज़ीरिस्तान में हुआ था। वह पश्तून समुदाय की Mehsud जनजाति से आता है। उसने धार्मिक शिक्षा ली और बाद में अफगानिस्तान में तालिबान से जुड़ गया।
2000 के दशक की शुरुआत में उसने पाकिस्तान के खिलाफ एक वैचारिक और सशस्त्र संघर्ष में भाग लेना शुरू किया। 2007 में TTP की स्थापना के बाद वह संगठन के शुरुआती नेताओं में शामिल रहा।
TTP के पूर्व प्रमुख मौलाना फ़ज़लुल्लाह की 2018 में मौत के बाद, नूर वली मेहसूद को TTP का प्रमुख नियुक्त किया गया। इसके बाद उसने संगठन की रणनीति में बड़ा बदलाव किया — नागरिकों पर सीधे हमले कम किए और सैन्य ठिकानों व सरकारी संस्थानों को प्राथमिक लक्ष्य बनाया।
उसके नेतृत्व में TTP ने फिर से ताकत हासिल की और कई छोटे-छोटे गुटों को एकजुट कर संगठन को मजबूत किया।
2020 में संयुक्त राष्ट्र ने उसे वैश्विक आतंकवादी घोषित किया।
अमेरिका ने भी उसे “Specially Designated Global Terrorist” करार दिया।
इसके बाद नूर वली की गतिविधियों पर अंतरराष्ट्रीय निगरानी बढ़ गई, लेकिन वह अब तक गिरफ्तारी से बचता रहा।
9 अक्टूबर, 2025 को काबुल में एक बख़्तरबंद वाहन को निशाना बनाकर हमला किया गया। पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों का दावा था कि उस वाहन में नूर वली मेहसूद सवार था। हालांकि, कुछ ही दिनों बाद TTP ने एक वीडियो जारी कर दावा किया कि मेहसूद पूरी तरह सुरक्षित है और पाकिस्तान में ही है।
इस हमले के बाद अफगानिस्तान ने पाकिस्तान पर कड़ी आपत्ति जताई, इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया और जवाबी हमलों की धमकी दी।
दोनों देशों के बीच कई दिनों तक सीमा पर गोलीबारी हुई। हालात सामान्य करने के लिए अंततः 48 घंटे का युद्धविराम लागू किया गया।
नूर वली न केवल एक आतंकवादी नेता है, बल्कि एक धार्मिक विद्वान भी है। उसने “Inqilab Mehsud” नामक पुस्तक लिखी, जिसमें उसने TTP की विचारधारा, संघर्ष और संगठन के गठन के उद्देश्यों को बताया।
उसकी विचारधारा इस्लामिक शरीयत कानून के तहत शासन स्थापित करने पर केंद्रित है, जिसमें लोकतांत्रिक संस्थानों का विरोध किया जाता है।
अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के बाद TTP को पनाह मिलने की खबरें सामने आती रही हैं। पाकिस्तान का आरोप है कि अफगान तालिबान, विशेष रूप से काबुल सरकार, TTP नेताओं को संरक्षण देती है।
हालांकि अफगान तालिबान ने इन आरोपों को खारिज किया है, लेकिन पाकिस्तानी सेना इन संबंधों को क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती मानती है।
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पाकिस्तान TTP को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है।
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अफगानिस्तान के साथ संबंधों में इस मुद्दे को लेकर लगातार तनाव बना हुआ है।
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नूर वली की मौत की अफवाहों के बाद तनाव और गहराया है।
नूर वली मेहसूद केवल TTP का नेता नहीं, बल्कि अफगान-पाक रिश्तों में एक विवादित प्रतीक बन चुका है। उसकी गतिविधियाँ न केवल पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा को प्रभावित करती हैं, बल्कि दक्षिण एशिया की क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी गंभीर चुनौती बन चुकी हैं।