




असम के लोकप्रिय गायक और अभिनेता जुबीन गर्ग के निधन ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। जहां एक ओर उनके प्रशंसक शोक में डूबे हैं, वहीं दूसरी ओर सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक इंसाफ की मांग उठ रही है। जुबीन गर्ग की मौत ने असम सहित पूरे उत्तर-पूर्व को भावनात्मक रूप से हिला दिया है। उनके चाहने वालों का कहना है कि इस घटना की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके।
जुबीन गर्ग सिर्फ एक कलाकार नहीं, बल्कि असम की सांस्कृतिक पहचान थे। उनके गीतों ने न केवल पूर्वोत्तर भारत बल्कि पूरे देश में अपनी छाप छोड़ी। उनके निधन के बाद से ही गुवाहाटी, जोरहाट, नगांव और तिनसुकिया जैसे कई शहरों में लोगों ने “Justice for Zubeen Garg” के बैनर तले शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। भीड़ में महिलाएं, युवा और बुजुर्ग सभी शामिल हैं। हर किसी की जुबान पर बस एक ही सवाल है — “जुबीन के साथ आखिर क्या हुआ?”
इस पूरे मामले पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी गहरा दुख जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर जुबीन गर्ग को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, “जुबीन गर्ग सिर्फ एक गायक नहीं थे, वे असम की आत्मा की आवाज थे। उनकी संगीत यात्रा ने भारत की विविधता को एक सूत्र में पिरोया। मैं उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं।” राहुल गांधी के इस संदेश के बाद सोशल मीडिया पर लाखों लोगों ने उनकी पोस्ट शेयर करते हुए ‘#JusticeForZubeenGarg’ ट्रेंड को और तेज कर दिया।
जुबीन गर्ग के निधन के बाद कई राजनीतिक और फिल्म जगत की हस्तियों ने भी प्रतिक्रिया दी है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ट्वीट कर कहा, “जुबीन हमारे असम की शान थे। उनकी कमी कभी पूरी नहीं हो सकती। सरकार मामले की जांच में पूरी पारदर्शिता बरतेगी और जनता को जल्द ही पूरी जानकारी दी जाएगी।” मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जांच टीम को सभी साक्ष्यों को सावधानीपूर्वक एकत्र करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि किसी तरह की लापरवाही न हो।
स्थानीय पुलिस ने इस मामले में फिलहाल पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को जांच के लिए रिजर्व रखा है। पुलिस के अनुसार, रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों पर अंतिम निष्कर्ष निकाला जाएगा। वहीं, सोशल मीडिया पर तरह-तरह की अफवाहें फैलने लगी हैं, जिन्हें रोकने के लिए प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे केवल आधिकारिक बयानों पर ही भरोसा करें।
जुबीन गर्ग के प्रशंसक इस घटना को लेकर बेहद भावुक हैं। गुवाहाटी के नेहरू पार्क, दीफू और डिब्रूगढ़ में हजारों की भीड़ एकत्र होकर मोमबत्ती जलाकर श्रद्धांजलि दे रही है। युवाओं का कहना है कि जुबीन ने उन्हें जीवन में उम्मीद दी थी, उनके गानों ने दर्द और प्रेम दोनों को समान रूप से व्यक्त किया। “या अली” और “मोइ आगोट” जैसे गीत आज भी लोगों के दिलों में गूंजते हैं।
जुबीन गर्ग की लोकप्रियता केवल असम तक सीमित नहीं थी। उन्होंने हिंदी, बंगाली, तमिल और नेपाली फिल्मों के लिए भी गाने गाए। उनके फैंस का कहना है कि जुबीन सिर्फ आवाज नहीं थे, बल्कि असम की सांस्कृतिक धरोहर थे, जिन्होंने स्थानीय भाषा को राष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई।
उनके निधन के बाद असम यूनिवर्सिटी और गुवाहाटी यूनिवर्सिटी में छात्रों ने क्लास के बीच मौन धारण किया। वहीं, संगीत जगत से कई दिग्गजों ने भी श्रद्धांजलि दी। मशहूर गायक सोनू निगम ने कहा, “जुबीन एक संवेदनशील कलाकार थे। उन्होंने संगीत को जीवन का उत्सव बना दिया। उनकी कमी पूरी नहीं की जा सकती।”
राज्य सरकार ने घोषणा की है कि जुबीन गर्ग के सम्मान में एक स्मारक गुवाहाटी के कलाक्षेत्र परिसर में बनाया जाएगा। यह स्मारक उनके योगदान और असम की सांस्कृतिक विरासत को यादगार बनाएगा। साथ ही सरकार ने उनके नाम पर एक संगीत छात्रवृत्ति योजना शुरू करने का भी ऐलान किया है, जिससे आने वाली पीढ़ियों के युवा कलाकारों को प्रोत्साहन मिल सके।
इस बीच सोशल मीडिया पर ‘Justice For Zubeen Garg’ मुहिम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया है। विदेशों में बसे असमिया समुदाय के लोग भी ऑनलाइन कैंपेन चला रहे हैं। इंस्टाग्राम और ट्विटर पर लाखों पोस्ट्स में जुबीन की तस्वीरों के साथ “We want truth” और “Voice of Assam lives forever” जैसे संदेश लिखे जा रहे हैं।
जुबीन गर्ग की अचानक हुई मौत से असम की जनता के बीच गुस्सा और दुख दोनों गहराते जा रहे हैं। सरकार और पुलिस प्रशासन पर पारदर्शी जांच का दबाव बढ़ रहा है। जहां एक ओर परिवार और प्रशंसक न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं, वहीं दूसरी ओर देश भर के कलाकार और राजनेता भी यह उम्मीद जता रहे हैं कि इस मामले की सच्चाई जल्द सामने आएगी।
अंत में, यह कहना गलत नहीं होगा कि जुबीन गर्ग का जाना सिर्फ एक व्यक्ति का खोना नहीं, बल्कि एक युग का अंत है। उनके संगीत ने पीढ़ियों को जोड़ा, दिलों को छुआ और असम को गौरवान्वित किया। आज जब लोग इंसाफ की मांग कर रहे हैं, तो यह केवल एक कलाकार के लिए नहीं, बल्कि उस आवाज़ के लिए है जिसने भारत की विविधता को एक धुन में पिरो दिया था।