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रोशनी और खुशियों के पर्व दिवाली की रात इस बार कई जगहों पर मातम में बदल गई। देश के अलग-अलग हिस्सों में हुई आग और पटाखों से जुड़ी दुर्घटनाओं ने त्योहार की खुशियों पर ग्रहण लगा दिया। राजधानी दिल्ली और राजस्थान की राजधानी जयपुर में पटाखों और आग की घटनाओं में 350 से ज्यादा लोग झुलस गए। वहीं, हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में लगी भीषण आग से करोड़ों रुपये की संपत्ति जलकर खाक हो गई।
दिल्ली के विभिन्न इलाकों में दिवाली की रात दर्जनों जगह आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं। दिल्ली फायर सर्विस के अनुसार, केवल 12 घंटे के भीतर 220 से अधिक कॉल आग लगने की घटनाओं को लेकर आईं। इनमें से अधिकांश घटनाएं पटाखों से हुई चिंगारी या खुले में फेंके गए जलते पटाखों के कारण हुईं। अस्पतालों में पटाखों से झुलसे लोगों की लंबी कतारें देखी गईं। सफदरजंग अस्पताल, एलएनजेपी और आरएमएल अस्पताल में एक ही रात में सौ से अधिक मरीज पहुंचे, जिनमें से कई की हालत गंभीर बताई जा रही है।
जयपुर में भी हालात कुछ अलग नहीं थे। शहर के कई इलाकों में पटाखों के शोर और धुएं के बीच हादसों का सिलसिला चलता रहा। जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के बर्न यूनिट में 150 से ज्यादा झुलसे मरीजों को भर्ती कराया गया। इनमें कई बच्चे और महिलाएं शामिल थीं, जिन्होंने पटाखों से खेलते समय गंभीर चोटें झेली। शहर के झोटवाड़ा, टोंक रोड और मानसरोवर इलाकों से आग लगने की घटनाओं की सबसे ज्यादा रिपोर्ट मिली। फायर ब्रिगेड की टीमों ने पूरी रात घटनास्थलों पर डटे रहकर आग बुझाने का काम किया।
इसी बीच, हिमाचल प्रदेश के शिमला से भी एक दर्दनाक खबर सामने आई। शहर के लोअर बाजार इलाके में दिवाली की रात अचानक आग लग गई जिसने देखते ही देखते पूरे क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया। बताया जा रहा है कि यह आग एक दुकान में शॉर्ट सर्किट से लगी, जो बाद में तेजी से फैल गई। आग इतनी भीषण थी कि अग्निशमन विभाग की टीमों को घंटों मशक्कत करनी पड़ी। करीब एक दर्जन दुकानों और घरों को इस आग ने पूरी तरह तबाह कर दिया। प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक इस हादसे में 8 से 10 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है। हालांकि, राहत की बात यह रही कि किसी की जान नहीं गई।
दिल्ली, जयपुर और शिमला में हुई इन घटनाओं ने प्रशासन की तैयारियों पर भी सवाल खड़े किए हैं। दिल्ली में फायर सर्विस ने पहले ही आग से बचाव के लिए विशेष गाइडलाइन जारी की थी और नागरिकों से अपील की थी कि वे खुले स्थानों पर ही सीमित मात्रा में ग्रीन पटाखे जलाएं। लेकिन नियमों की अनदेखी और निगरानी की कमी ने हालात को बिगाड़ दिया।
जयपुर में स्थानीय प्रशासन ने दिवाली से पहले संवेदनशील इलाकों में अग्निशमन गाड़ियों की तैनाती की थी, फिर भी घटनाओं की संख्या अधिक रही। कई स्थानों पर संकरी गलियों और बिजली की तारों के कारण फायर ब्रिगेड को आग बुझाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा। शिमला में भी पर्व की रात सड़कों पर भारी भीड़ के कारण दमकल गाड़ियों को मौके पर पहुंचने में देरी हुई, जिससे आग तेजी से फैल गई।
आगजनी की घटनाओं के बाद स्थानीय प्रशासन ने स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए आपातकालीन सेवाओं को अलर्ट कर दिया है। अस्पतालों में डॉक्टरों की अतिरिक्त टीमों को ड्यूटी पर बुलाया गया। दिल्ली सरकार ने झुलसे मरीजों के लिए विशेष मेडिकल वार्ड तैयार किए हैं। जयपुर प्रशासन ने भी सभी अस्पतालों को स्टैंडबाय मोड में रखा और लोगों से अपील की है कि वे पटाखे जलाते समय सुरक्षा का ध्यान रखें।
इन हादसों ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर किया है कि क्या हम त्योहारों को मनाने के तरीके में थोड़ी सावधानी नहीं बरत सकते? विशेषज्ञों का कहना है कि यदि लोग सुरक्षा नियमों का पालन करें, खुले स्थानों पर सीमित मात्रा में ग्रीन पटाखों का उपयोग करें और बच्चों को सतर्कता के साथ खेलने दें, तो ऐसे हादसों से काफी हद तक बचा जा सकता है।








