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भारतीय क्रिकेट टीम के चयन को लेकर इस बार मैदान से बाहर भी घमासान मचा हुआ है। युवा बल्लेबाज़ सरफराज खान को टीम इंडिया की ताज़ा टेस्ट टीम में शामिल नहीं किए जाने के बाद यह मामला अब राजनीतिक रंग ले चुका है। कांग्रेस नेता ने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि सरफराज खान को सिर्फ उनके “सरनेम” यानी खान होने की वजह से टीम से बाहर रखा गया। इस बयान ने सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में नई बहस छेड़ दी है।
कांग्रेस नेता के इस बयान में अप्रत्यक्ष रूप से भारत के पूर्व क्रिकेटर और वर्तमान में भारतीय टीम के मेंटर गौतम गंभीर पर निशाना साधा गया है। नेता ने कहा कि सरफराज खान ने घरेलू क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन किया है, फिर भी उन्हें टीम में जगह नहीं दी गई। “अगर उनका नाम खान न होता, तो शायद अब तक वह टीम इंडिया के लिए खेल रहे होते,” उन्होंने कहा।
इस बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कांग्रेस पर करारा पलटवार किया। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस नेताओं को क्रिकेट के चयन जैसे पेशेवर मामलों में धर्म और सरनेम को नहीं घसीटना चाहिए। उन्होंने कहा कि चयन पूरी तरह से प्रदर्शन और फिटनेस पर आधारित होता है, न कि जाति या धर्म पर। “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस जैसी पार्टी खेल को भी धर्म की नज़र से देखने लगी है,” बीजेपी नेता ने कहा।
गौतम गंभीर ने खुद इस विवाद पर सीधे प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन उनके करीबी सूत्रों के अनुसार, गंभीर इस बयान से बेहद नाराज हैं। सूत्रों का कहना है कि गंभीर हमेशा से मेरिट-आधारित चयन के पक्षधर रहे हैं और उन्होंने कभी भी किसी खिलाड़ी के साथ भेदभाव नहीं किया।
सरफराज खान का प्रदर्शन
सरफराज खान पिछले कुछ वर्षों में घरेलू क्रिकेट में लगातार शानदार प्रदर्शन करते आए हैं। रणजी ट्रॉफी में उन्होंने औसतन 80 से अधिक की बल्लेबाज़ी औसत के साथ कई बार सेंचुरी और डबल सेंचुरी जड़ी है। क्रिकेट विश्लेषकों का मानना है कि इतने अच्छे प्रदर्शन के बावजूद उनका लगातार टीम से बाहर रहना कई सवाल खड़े करता है।
हालांकि, चयनकर्ताओं ने उनकी जगह नए खिलाड़ियों को मौका देने का फैसला किया है। चयन समिति का कहना है कि टीम में संतुलन बनाए रखने और युवाओं को अवसर देने के लिए यह कदम उठाया गया है। लेकिन सोशल मीडिया पर क्रिकेट प्रेमियों का एक बड़ा तबका इस निर्णय को अन्याय बता रहा है।
राजनीतिक रंग क्यों चढ़ा मामला
जहां सरफराज के प्रशंसक और क्रिकेट विश्लेषक इसे चयन प्रक्रिया पर सवाल के रूप में देख रहे थे, वहीं कांग्रेस नेता के बयान ने इसे धर्म और राजनीति से जोड़ दिया। यह कहना कि खिलाड़ी को ‘सरनेम’ की वजह से बाहर किया गया, न केवल विवादास्पद है बल्कि इससे खेल के क्षेत्र में राजनीति के दखल को लेकर भी सवाल उठे हैं।
बीजेपी ने कहा कि यह बयान देश के उन खिलाड़ियों का अपमान है जो मेहनत के दम पर टीम तक पहुंचे हैं। पार्टी ने कांग्रेस से इस बयान पर माफी की मांग की है। वहीं कांग्रेस की ओर से सफाई दी गई है कि नेता ने केवल “भावनात्मक प्रतिक्रिया” दी थी और उनका मकसद किसी को व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाना नहीं था।
सोशल मीडिया पर बहस तेज़
इस विवाद ने सोशल मीडिया पर भी ज़ोर पकड़ लिया है। ट्विटर (X) पर #SarfarazKhan और #GautamGambhir ट्रेंड कर रहे हैं। कई क्रिकेट फैंस ने सरफराज के पक्ष में ट्वीट करते हुए चयन समिति से पारदर्शिता की मांग की है। वहीं, कुछ लोगों ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वह धार्मिक कार्ड खेलकर राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रही है।
पूर्व क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग और आकाश चोपड़ा जैसे खिलाड़ियों ने भी सरफराज खान के समर्थन में ट्वीट किया है। सहवाग ने कहा कि सरफराज जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी को अब टीम इंडिया में मौका मिलना ही चाहिए, क्योंकि उन्होंने घरेलू स्तर पर अपने प्रदर्शन से सब कुछ साबित कर दिया है।
क्रिकेट विश्लेषक हर्षा भोगले ने कहा कि सरफराज खान के चयन का मुद्दा क्रिकेटिंग दृष्टि से जरूर गंभीर है, लेकिन इसे धर्म या राजनीति से जोड़ना गलत है। उन्होंने कहा कि चयन में कभी-कभी टीम की ज़रूरत और परिस्थितियाँ भी भूमिका निभाती हैं, इसलिए हर बार इसे भेदभाव कहना उचित नहीं है।
सरफराज खान का चयन न होना एक खेल संबंधी निर्णय है, लेकिन इस पर उठी राजनीतिक प्रतिक्रियाओं ने इसे विवाद का रूप दे दिया है। क्रिकेट और राजनीति के इस टकराव ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या खेल के क्षेत्र में भी अब धर्म और सरनेम जैसी बातें हावी हो रही हैं? जहां एक ओर विपक्ष इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश में है, वहीं सत्तारूढ़ दल इसे “राजनीतिक चाल” बता रहा है।
देशभर के क्रिकेट प्रेमी उम्मीद कर रहे हैं कि सरफराज खान को जल्द ही टीम इंडिया की जर्सी पहनने का मौका मिले, ताकि यह विवाद सिर्फ एक चर्चा बनकर रह जाए और असली फोकस वापस क्रिकेट पर आ सके।








