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महाराष्ट्र की महायुति सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘माझी लाडकी बहिन योजना’ इन दिनों विवादों में है। राज्य में महिलाओं को आर्थिक सहायता देने के उद्देश्य से शुरू की गई इस योजना में 164 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। यह खुलासा सामने आने के बाद उद्धव ठाकरे गुट के नेता और विधायक आदित्य ठाकरे ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि यह भ्रष्टाचार बिना “राजनीतिक कृपा” के संभव ही नहीं हो सकता।
लाडकी बहिन योजना को जून 2024 में शुरू किया गया था। इस योजना के तहत 21 से 65 वर्ष की उम्र की महिलाओं को, जिनकी पारिवारिक वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है, मासिक ₹1,500 की आर्थिक सहायता देने का वादा किया गया था। इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और परिवार की आय में सहयोग देना बताया गया था। लेकिन अब इस योजना में भारी वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं, जिसने पूरे राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है।
RTI (सूचना का अधिकार) के तहत प्राप्त आंकड़ों से यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि इस योजना का लाभ 12,431 पुरुषों ने उठाया, जबकि यह योजना केवल महिलाओं के लिए थी। इसके अलावा, 77,980 अयोग्य महिलाओं ने भी इस योजना के तहत भुगतान प्राप्त किया। इन दोनों वर्गों को मिलाकर करीब 164.52 करोड़ रुपये का अनधिकृत भुगतान हुआ। यानी कि योजना का एक बड़ा हिस्सा फर्जी लाभार्थियों के खातों में चला गया।
आदित्य ठाकरे ने इस मुद्दे पर सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि “इस प्रकार का बड़ा घोटाला केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं हो सकता। यह स्पष्ट रूप से राजनीतिक स्तर पर मिलीभगत का परिणाम है। बिना राजनीतिक कृपा के ऐसा घोटाला संभव ही नहीं है।” उन्होंने सरकार से इस पूरे प्रकरण की उच्च-स्तरीय और स्वतंत्र जांच की मांग की है ताकि सच्चाई जनता के सामने आ सके।
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) गुट के इस युवा नेता ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इस मुद्दे पर जवाब देना चाहिए कि आखिर इतनी बड़ी गड़बड़ी कैसे हुई। ठाकरे ने यह भी कहा कि इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक सहयोग देना था, लेकिन सरकार ने इसे राजनीतिक प्रचार का हथियार बना दिया और चुनावी लाभ के लिए जनता के पैसों का दुरुपयोग किया।
वहीं, सरकारी सूत्रों का कहना है कि यह गलती तकनीकी खामियों और आधार लिंकिंग की समस्याओं के कारण हुई है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने दावा किया है कि अब तक लगभग 13 लाख लाभार्थियों के खातों की पुनः जांच की जा चुकी है, और फर्जी लाभार्थियों की पहचान कर उन्हें योजना से बाहर किया जा रहा है। अधिकारियों ने यह भी कहा कि सरकार ने आगे से e-KYC प्रक्रिया को अनिवार्य कर दिया है ताकि भविष्य में इस प्रकार की त्रुटियां न हों।
लेकिन विपक्ष इस स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं है। कांग्रेस और राकांपा (शरद पवार गुट) के नेताओं ने इस मामले को “जनता के टैक्स के पैसे की लूट” करार दिया है। विपक्ष का कहना है कि यह योजना मत खरीदने की रणनीति के तौर पर चुनाव से पहले चलाई गई थी। अब जब गड़बड़ियां सामने आई हैं, तो सरकार अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रही है।
राज्य के राजनीतिक गलियारों में यह मुद्दा अब गर्मी पकड़ चुका है। सोशल मीडिया पर भी लोग इस पर अपनी नाराजगी जता रहे हैं। कई उपयोगकर्ताओं ने सवाल किया है कि जब सरकार के पास डिजिटल वेरिफिकेशन की पूरी व्यवस्था थी, तो पुरुष लाभार्थियों के नाम और खाते कैसे पास हो गए। यह सवाल भी उठ रहा है कि जिन अधिकारियों ने यह भुगतान स्वीकृत किया, क्या उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई की जाएगी।
राज्य सरकार ने हालांकि कहा है कि जांच जारी है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। लेकिन विपक्ष का मानना है कि जब तक इस मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी को नहीं सौंपी जाती, तब तक सच्चाई सामने नहीं आएगी।
आदित्य ठाकरे ने कहा, “यह केवल एक योजना में भ्रष्टाचार का मामला नहीं है, बल्कि यह जनता के विश्वास की हत्या है। यह सरकार अपनी गलतियों को छिपाने के लिए बहाने बना रही है, लेकिन जनता सब देख रही है। महिलाओं के नाम पर किए गए इस घोटाले से यह साबित होता है कि सरकार को केवल वोटों की चिंता है, महिलाओं के सशक्तिकरण की नहीं।”
राज्य की राजनीति में यह मुद्दा अब आने वाले चुनावों तक गूंजता रहेगा। लाडकी बहिन योजना की साख पर उठे सवालों ने न केवल सरकार की विश्वसनीयता को झटका दिया है, बल्कि महिलाओं में भी नाराजगी बढ़ाई है। अब देखना यह होगा कि क्या सरकार इस वित्तीय घोटाले की परतें खोलकर दोषियों को सजा दिला पाएगी या यह मामला भी राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की भेंट चढ़ जाएगा।








