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अक्सर कहा जाता है कि खेती अब लाभ का सौदा नहीं रही, लेकिन लखनऊ के ऐश्वर्या भटनागर और प्रतीक रस्तोगी ने इस धारणा को पूरी तरह बदल दिया है। इस युवा कपल ने अपनी नई सोच और मेहनत से पारंपरिक खेती को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ते हुए एक ऐसा बिजनेस मॉडल तैयार किया, जिसने उन्हें सालाना 10 करोड़ रुपये की कमाई तक पहुंचा दिया है। उनकी यह कहानी न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी बताती है कि अगर सोच नई हो और इरादा मजबूत, तो किसी भी क्षेत्र में सफलता संभव है।
ऐश्वर्या और प्रतीक दोनों ही मूल रूप से लखनऊ के रहने वाले हैं। ऐश्वर्या ने पर्यावरण विज्ञान में मास्टर्स किया, जबकि प्रतीक ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद कुछ वर्षों तक कॉर्पोरेट सेक्टर में काम किया। लेकिन दोनों का सपना कुछ ऐसा करने का था, जिससे समाज को फायदा हो और देश की मिट्टी से जुड़ाव भी बना रहे। इसी सोच ने उन्हें कृषि क्षेत्र में कदम रखने के लिए प्रेरित किया।
शुरुआत में परिवार और दोस्तों ने उन्हें चेताया कि खेती में इतना पैसा नहीं है, लेकिन दोनों ने जोखिम उठाने का फैसला किया। उन्होंने 2016 में लखनऊ के बाहरी इलाके में ‘ग्रीनलाइफ ऑर्गेनिक्स’ नाम से अपनी कंपनी शुरू की। शुरुआत कुछ एकड़ जमीन से हुई, लेकिन आज उनका कारोबार 150 एकड़ से ज्यादा खेतों में फैला हुआ है।
इस कपल ने पारंपरिक खेती की जगह हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponics) और ऑर्गेनिक फार्मिंग को अपनाया — यानी मिट्टी के बिना खेती और रसायनमुक्त उत्पादन। इस तकनीक के जरिए उन्होंने सब्जियों, हर्ब्स और फलों की उच्च गुणवत्ता वाली फसलें उगानी शुरू कीं, जो न सिर्फ भारतीय बाजारों में, बल्कि दुबई और सिंगापुर जैसे देशों में भी निर्यात की जा रही हैं।
उनका बिजनेस मॉडल पूरी तरह सस्टेनेबल एग्रीकल्चर पर आधारित है। वे खेतों में सोलर पैनल से ऊर्जा प्राप्त करते हैं, पानी की बचत के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग करते हैं और जैविक खाद बनाकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहे हैं।
ऐश्वर्या बताती हैं, “हमने देखा कि किसान मेहनत तो बहुत करते हैं, लेकिन तकनीक और मार्केटिंग की जानकारी की कमी के कारण उन्हें उचित मुनाफा नहीं मिलता। हमने उसी अंतर को भरने की कोशिश की।”
आज उनके ब्रांड के अंतर्गत 30 से ज्यादा ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स बाजार में उपलब्ध हैं, जिनमें लेट्यूस, चेरी टमाटर, माइक्रोग्रीन्स, स्ट्रॉबेरी, तुलसी और पुदीना जैसी फसलें शामिल हैं। उनकी फसलें दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे शहरों के प्रीमियम स्टोर्स में बिकती हैं।
कंपनी के शुरुआती वर्षों में उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। बारिश के मौसम में हाइड्रोपोनिक ग्रीनहाउस को नुकसान हुआ, निवेश की कमी रही और मजदूरों को प्रशिक्षित करना भी चुनौती थी। लेकिन इस कपल ने हार नहीं मानी। उन्होंने इंटरनेट और सरकारी कृषि योजनाओं से सहायता ली, और धीरे-धीरे अपने मॉडल को मजबूत बनाया।
प्रतीक कहते हैं, “हमने कभी खेती को सिर्फ जमीन जोतने का काम नहीं समझा, बल्कि इसे एक एंटरप्राइज की तरह विकसित किया। हमने हर फसल की मार्केटिंग की रणनीति बनाई, पैकेजिंग पर ध्यान दिया और उपभोक्ताओं को यह भरोसा दिलाया कि वे शुद्ध और ताजे उत्पाद खरीद रहे हैं।”
उनकी इस सफलता ने कई युवा किसानों को प्रेरित किया है। आज उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश के करीब 200 किसान उनके नेटवर्क से जुड़ चुके हैं। ग्रीनलाइफ ऑर्गेनिक्स उन्हें तकनीकी प्रशिक्षण देती है और उनकी फसल को सीधे बाजार तक पहुंचाने में मदद करती है।
2022 में ऐश्वर्या और प्रतीक को केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा “युवा कृषि नवाचार पुरस्कार” से सम्मानित किया गया था। साथ ही, उनके मॉडल को कई बिजनेस स्कूलों में ‘सस्टेनेबल एग्रीकल्चर स्टार्टअप केस स्टडी’ के रूप में शामिल किया गया है।
भविष्य की योजनाओं के बारे में ऐश्वर्या बताती हैं कि वे अगले तीन वर्षों में अपने प्रोडक्शन को दोगुना करने और ऑर्गेनिक फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि नई सोच और तकनीक से खेती भी करोड़ों का कारोबार बन सकती है। ऐश्वर्या और प्रतीक की यह सफलता न सिर्फ किसानों के लिए, बल्कि उन युवाओं के लिए भी प्रेरणा है जो पारंपरिक रास्तों से हटकर कुछ बड़ा करने का सपना देखते हैं।








