• Create News
  • Nominate Now

    चीन का दबदबा, भारत का दोस्ताना कदम: ASEAN देशों को दी बड़ी चेतावनी

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

    दक्षिण-पूर्व एशिया में चीन की साम्राज्यवादी नीतियों के बढ़ते दबाव के बीच भारत ने ASEAN देशों के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करने की रणनीति अपनाई है। भारत लगातार यह चेतावनी देता रहा है कि चीन इन देशों के बाजार और संसाधनों पर अपना प्रभाव बढ़ा रहा है, जिससे इन देशों की आर्थिक स्वतंत्रता और राजनीतिक संतुलन प्रभावित हो रहा है।

    विशेषज्ञों का मानना है कि चीन अपना कचरा और सस्ते कच्चे माल ASEAN देशों में भेजकर उन्हें डंपिंग ग्राउंड में बदल रहा है। यह कार्रवाई न केवल स्थानीय उद्योगों को कमजोर करती है, बल्कि व्यापार समझौतों के माध्यम से इन उत्पादों को सीधे भारत तक पहुंचाने की संभावना भी बढ़ाती है। इस रणनीति से दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की कमर टूट रही है और वे चीन के दबाव के आगे झुकते नजर आ रहे हैं।

    भारत ने लंबे समय से इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया है। भारतीय विदेश नीति के अनुसार, ASEAN देशों के साथ मजबूत और भरोसेमंद साझेदारी बनाने से न केवल क्षेत्रीय संतुलन कायम रहेगा, बल्कि चीन की बढ़ती आर्थिक और राजनीतिक शक्ति के खिलाफ भी सामूहिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।

    हाल ही में मलेशिया में आयोजित 23वें ASEAN-भारत शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधन दिया। उन्होंने इस अवसर पर यह घोषणा की कि भारत और ASEAN देशों ने वर्ष 2026 को समुद्री सहयोग वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इसका उद्देश्य क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा, व्यापारिक मार्गों की सुरक्षा और समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग को सुनिश्चित करना है।

    प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत और ASEAN देशों के बीच भरोसेमंद साझेदारी और सहयोग से क्षेत्रीय शांति और समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने यह भी बताया कि भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ मिलकर समुद्री व्यापार, सुरक्षा और तकनीकी सहयोग के क्षेत्र में नए कदम उठाएगा, जिससे चीन के दबाव के बावजूद दक्षिण-पूर्व एशिया में संतुलन बना रहेगा।

    विशेषज्ञों का कहना है कि ASEAN देशों की चिंताएं वास्तविक हैं। चीन का बढ़ता दबदबा और आर्थिक हस्तक्षेप इन देशों के आर्थिक स्वतंत्रता और घरेलू उद्योगों के लिए चुनौती बन रहा है। भारत की सक्रिय नीति और सहयोगी रवैया ASEAN देशों के लिए एक सुरक्षित और स्थिर विकल्प प्रदान करता है।

    व्यापारिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो चीन का यह दबाव ASEAN देशों को केवल निर्मित उत्पादों और कच्चे माल के डंपिंग के माध्यम से प्रभावित नहीं कर रहा, बल्कि यह उनके व्यापारिक निर्णयों और बाजार रणनीति पर भी असर डाल रहा है। इस स्थिति में भारत का सहयोग उनके लिए महत्वपूर्ण और संतुलनकारी साबित हो रहा है।

    समुद्री सहयोग वर्ष 2026 की घोषणा से क्षेत्रीय देशों को सुरक्षा और आर्थिक सहयोग में नई दिशा मिली है। यह पहल समुद्री मार्गों, व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा और समुद्री संसाधनों के सतत प्रबंधन के लिए ASEAN देशों और भारत के बीच मजबूत रणनीतिक गठजोड़ को दर्शाती है।

    कुल मिलाकर, दक्षिण-पूर्व एशिया में चीन के बढ़ते दबाव और साम्राज्यवादी कदमों के बीच भारत की नीति विश्वसनीयता और सामूहिक सुरक्षा की दृष्टि से अहम साबित हो रही है। ASEAN देशों के साथ भारत की साझेदारी केवल आर्थिक सहयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राजनीतिक, समुद्री और रणनीतिक संतुलन बनाए रखने की दिशा में भी निर्णायक भूमिका निभाती है।

    भारत और ASEAN देशों का यह गठजोड़ न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि चीन के दबाव के खिलाफ समान विचारधारा और साझेदारी का भी प्रतीक है। आने वाले वर्षों में यह सहयोग दक्षिण-पूर्व एशिया में शांति, सुरक्षा और आर्थिक समृद्धि सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाएगा।

    न्यूज़ शेयर करने के लिए क्लिक करें .
  • Advertisement Space

    Related Posts

    नोएडा एयरपोर्ट के लिए जमीन देने वाले गरीब बेहाल: 2000 TDS वाला पानी और रोजगार की कमी से जूझ रहे विस्थापित

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण के लिए जमीन देने वाले गरीब और विस्थापित परिवारों की हालत गंभीर हो गई है।…

    Continue reading
    मिताक्षरा हिंदू लॉ: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने बेटी को पिता की संपत्ति में हिस्सेदारी से किया वंचित

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। हाल ही में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मिताक्षरा हिंदू लॉ के तहत एक अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि अगर…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *