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भारतीय क्रिकेट टीम एक बार फिर टी20 प्रारूप में अपने कौशल की परीक्षा देने जा रही है। 29 अक्टूबर से शुरू हो रही भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया की 5 मैचों की टी20 सीरीज टीम इंडिया के लिए न केवल एक तैयारी का मौका है, बल्कि वर्ल्ड कप से पहले आत्मविश्वास बनाए रखने का भी। इस सीरीज की सबसे बड़ी बात यह है कि कप्तान सूर्यकुमार यादव के सामने एक बड़ा चैलेंज है — भारत का ना हारने का रिकॉर्ड बरकरार रखना और साथ ही टीम को संतुलित बनाए रखना।
सूर्यकुमार यादव, जिन्हें क्रिकेट जगत में “मिस्टर 360” के नाम से जाना जाता है, पिछले कुछ वर्षों में भारत के सबसे भरोसेमंद टी20 बल्लेबाजों में से एक बन चुके हैं। अपनी नवाचार भरी बल्लेबाजी और शांत स्वभाव के लिए प्रसिद्ध सूर्यकुमार अब एक ऐसे दौर में कप्तानी संभाल रहे हैं जब टीम इंडिया परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। कई वरिष्ठ खिलाड़ियों को आराम दिया गया है और नए चेहरों को मौका मिल रहा है। ऐसे में कप्तान के रूप में सूर्या के सामने यह चुनौती है कि वे युवा खिलाड़ियों के आत्मविश्वास को बढ़ाते हुए टीम के प्रदर्शन को भी ऊंचाई पर ले जाएं।
टीम इंडिया ने हाल के महीनों में टी20 में शानदार प्रदर्शन किया है। घरेलू सीरीज में उसने न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसी टीमों को हराया है, वहीं एशिया कप में भी उसका प्रदर्शन दमदार रहा था। भारत ने अपने पिछले 10 टी20 मैचों में से कोई भी नहीं हारा है, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। अब सवाल यही है कि क्या यह सिलसिला ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम के खिलाफ भी जारी रहेगा?
ऑस्ट्रेलिया का टी20 स्क्वाड हमेशा से ही खतरनाक रहा है। पैट कमिंस और ग्लेन मैक्सवेल जैसे खिलाड़ी न केवल बल्लेबाजी बल्कि रणनीति में भी माहिर हैं। ऐसे में सूर्यकुमार यादव को बल्लेबाज के साथ-साथ कप्तान के रूप में भी अपनी रणनीतिक समझ दिखानी होगी। यह सीरीज उन्हें बतौर कप्तान परखने का एक सुनहरा मौका है, क्योंकि वर्ल्ड कप 2025 नज़दीक है और चयन समिति को भी इस सीरीज से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
सूर्यकुमार यादव की कप्तानी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वे दबाव में भी शांत रहते हैं। चाहे बल्लेबाजी के दौरान टीम मुश्किल में हो या विपक्षी टीम आक्रामक खेल दिखा रही हो, सूर्या अपने खिलाड़ियों पर भरोसा बनाए रखते हैं। उनके साथी खिलाड़ी बताते हैं कि वह हर स्थिति में सकारात्मक सोच रखते हैं और यही उनकी कप्तानी की सबसे बड़ी ताकत है।
टी20 क्रिकेट में कप्तानी आसान नहीं होती। हर ओवर, हर गेंद मैच की दिशा बदल सकता है। खासकर ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम के खिलाफ, जहां एक गलती पूरे मैच को पलट सकती है, सूर्यकुमार को अपनी फील्ड प्लेसमेंट, गेंदबाजों के बदलाव और रणनीति में सटीक रहना होगा। यही कारण है कि यह सीरीज उनके नेतृत्व कौशल की असली परीक्षा साबित होगी।
वहीं, टीम इंडिया के लिए यह सीरीज वर्ल्ड कप से पहले कई संयोजनों को परखने का भी मौका है। जसप्रीत बुमराह और हार्दिक पांड्या जैसे वरिष्ठ खिलाड़ी आराम पर हैं, जिससे युवा गेंदबाजों को अपनी क्षमता दिखाने का मौका मिलेगा। बल्लेबाजी में सूर्यकुमार यादव, यशस्वी जायसवाल, ऋतुराज गायकवाड़ और संजू सैमसन जैसे खिलाड़ी टीम के प्रमुख स्तंभ रहेंगे।
टीम प्रबंधन का मानना है कि यह सीरीज भारत की तैयारियों को नई दिशा देगी। अगर सूर्यकुमार यादव इस सीरीज में टीम को जीत की राह पर बनाए रखते हैं, तो यह उनके नेतृत्व को लेकर चयनकर्ताओं का भरोसा और मजबूत करेगा। वहीं, अगर भारत जीत की लय कायम रखता है, तो टी20 वर्ल्ड कप में उसका मनोबल चरम पर रहेगा।
वर्ल्ड कप से पहले इस सीरीज का नतीजा न केवल कप्तान सूर्या के आत्मविश्वास को प्रभावित करेगा, बल्कि यह तय करेगा कि भारतीय टीम किस मानसिकता के साथ मेगा टूर्नामेंट में उतरती है। ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम के खिलाफ जीत भारत को एक मजबूत संदेश देगी कि वह सिर्फ घरेलू परिस्थितियों में नहीं, बल्कि किसी भी मंच पर जीतने में सक्षम है।








