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देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी एवं सटीक बनाने की दिशा में निर्वाचन आयोग ने 21 साल बाद एक बार फिर मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) की प्रक्रिया शुरू की है। इस बार यह प्रक्रिया 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू की जा रही है। इसे SIR Phase 2 के नाम से जाना जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य है – मतदाता सूची को अद्यतन और त्रुटिरहित बनाना ताकि आगामी चुनावों में किसी भी पात्र मतदाता का नाम सूची से न छूटे और किसी भी अपात्र व्यक्ति का नाम सूची में न हो।
चुनाव आयोग के अनुसार, SIR Phase 2 की यह प्रक्रिया 2025 के अंत तक चलेगी और 7 फरवरी 2026 तक अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। इसमें बूथ लेवल ऑफिसर (BLO), इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ERO) और असिस्टेंट इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (AERO) की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होगी। यह सभी अधिकारी घर-घर जाकर मतदाताओं से जरूरी जानकारी लेंगे, पुराने रिकॉर्ड की जांच करेंगे और नए मतदाताओं का नाम जोड़ा जाएगा।
12 राज्यों में शुरू हुआ दूसरा चरण
चुनाव आयोग द्वारा घोषित दूसरे चरण के अंतर्गत जिन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को शामिल किया गया है, उनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, गोवा, पुडुचेरी, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप शामिल हैं। इन सभी राज्यों में BLO स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें मतदाताओं की पहचान, उनके निवास स्थान की पुष्टि और परिवार के सदस्यों की पात्रता की जांच की जा रही है।
यह प्रक्रिया 4 नवंबर से 4 दिसंबर 2025 तक चलेगी। इस दौरान BLO घर-घर जाकर मतदाताओं से संबंधित जानकारी एकत्र करेंगे। इसके बाद 9 दिसंबर 2025 को मसौदा मतदाता सूची (Draft Voter List) प्रकाशित की जाएगी और अंतिम सूची 7 फरवरी 2026 को जारी की जाएगी।
कौन से दस्तावेज होंगे जरूरी
निर्वाचन आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि SIR के दौरान सभी मतदाताओं से दस्तावेज मांगने की आवश्यकता नहीं होगी। यदि किसी व्यक्ति का नाम पुराने मतदाता सूची और नए ड्राफ्ट में दोनों जगह पाया जाता है, तो उसे कोई दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं होगी।
लेकिन जिन लोगों का नाम पिछली सूची में नहीं था या जिनकी जानकारी में बदलाव हुआ है, उन्हें कुछ दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। पात्रता साबित करने के लिए चुनाव आयोग ने 12 तरह के दस्तावेज मान्य किए हैं। इनमें शामिल हैं —
जन्म प्रमाणपत्र, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, पेंशन ऑर्डर, बैंक या पोस्ट ऑफिस द्वारा जारी प्रमाणपत्र, शैक्षणिक प्रमाणपत्र, बिजली या पानी का बिल, रेजिडेंस सर्टिफिकेट और सरकारी पहचान पत्र आदि।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि आधार कार्ड को पहचान का प्रमाण माना गया है, लेकिन इसे जन्मतिथि या नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, आधार केवल पहचान के लिए उपयोग में लाया जा सकता है, न कि जन्म या निवास के प्रमाण के रूप में।
यूपी में विशेष निगरानी और बदलाव
उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में SIR का प्रभाव विशेष रूप से देखने को मिलेगा। यहां BLO अधिकारियों को घर-घर जाकर मतदाता फॉर्म वितरित करने और उनसे जानकारी जुटाने के निर्देश दिए गए हैं। यदि किसी मतदाता का नाम पुराने रिकॉर्ड में नहीं मिलता है, तो उनसे पात्रता प्रमाण के लिए दस्तावेज मांगे जाएंगे।
राज्य निर्वाचन अधिकारियों ने बताया कि यूपी में मतदाता केंद्रों की संख्या और बूथों की संरचना में भी सुधार किए जा रहे हैं ताकि आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में किसी मतदाता को परेशानी न हो।
क्या होगा SIR प्रक्रिया का फायदा
SIR Phase 2 की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह प्रक्रिया तकनीक और जमीनी दोनों स्तर पर आधारित है। इसमें डिजिटल और मैनुअल दोनों तरह की जांच होगी। BLO मोबाइल एप के माध्यम से जानकारी दर्ज करेंगे, जिससे डेटा तुरंत ERO के पास पहुंचेगा और त्रुटियों की संभावना कम होगी।
इस अभियान से उन लाखों लोगों को भी फायदा होगा जिनके नाम किसी वजह से पिछले चुनावों में मतदाता सूची से छूट गए थे। इसके अलावा, डुप्लीकेट या मृत मतदाताओं के नाम हटाकर सूची को साफ किया जाएगा।
निर्वाचन आयोग की सख्त निगरानी
निर्वाचन आयोग ने सभी राज्यों को निर्देश दिए हैं कि इस बार मतदाता सूची को लेकर कोई भी चूक बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हर राज्य में विशेष निगरानी टीमें बनाई गई हैं, जो नियमित रूप से रिपोर्ट आयोग को भेजेंगी। इसके साथ ही राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को भी पूरी प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर दिया जाएगा ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
SIR Phase 2 का उद्देश्य केवल मतदाता सूची को अपडेट करना नहीं है, बल्कि लोकतंत्र के सबसे महत्वपूर्ण आधार — मतदाता पहचान — को मजबूत बनाना है। यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी पात्र नागरिक को मतदान के अधिकार से वंचित न किया जाए और कोई अपात्र व्यक्ति सूची में शामिल न हो।
21 साल बाद शुरू हुई यह प्रक्रिया लोकतांत्रिक व्यवस्था में नागरिक भागीदारी का नया अध्याय खोलने जा रही है। निर्वाचन आयोग ने देशभर के नागरिकों से अपील की है कि वे इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लें और अपने नाम को मतदाता सूची में जांचकर सुनिश्चित करें कि वे आने वाले चुनावों में अपने मताधिकार का उपयोग कर सकें।








