• Create News
  • Nominate Now

    परिवार के पहले वकील से देश के अगले CJI तक का सफर: हरियाणा के जस्टिस सूर्यकांत की कहानी, जिन्होंने बनाई कई मिसालें

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

    भारत को जल्द ही एक ऐसे मुख्य न्यायाधीश (CJI) मिलने जा रहे हैं जिनका सफर प्रेरणा से भरपूर है। जस्टिस सूर्यकांत, जो वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश हैं, देश के अगले मुख्य न्यायाधीश बनने वाले हैं। वे न केवल हरियाणा से आने वाले पहले CJI होंगे, बल्कि अपने परिवार के भी पहले सदस्य हैं जिन्होंने कानून को अपना पेशा चुना। उनका जीवन संघर्ष, लगन और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक है।

    हरियाणा के हिसार जिले के छोटे से कस्बे से निकलकर भारत की सर्वोच्च अदालत तक पहुंचना आसान नहीं था। लेकिन जस्टिस सूर्यकांत ने यह साबित किया कि सीमित संसाधनों के बावजूद यदि इच्छाशक्ति मजबूत हो तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

    साधारण परिवार से असाधारण मुकाम तक

    जस्टिस सूर्यकांत का जन्म हरियाणा के हिसार में हुआ था। उनके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे और परिवार का माहौल बिल्कुल सामान्य था। वे अपने परिवार में पहले व्यक्ति थे जिन्होंने वकालत को करियर के रूप में चुना। शुरुआती शिक्षा हिसार से पूरी करने के बाद उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की। पढ़ाई के दौरान ही उनका झुकाव सामाजिक न्याय और संवैधानिक अधिकारों की ओर बढ़ा।

    उनका शुरुआती दौर संघर्षों से भरा रहा। वकालत शुरू करने के बाद उन्होंने कई वर्षों तक छोटे-मोटे मामलों में पैरवी की, लेकिन उनकी मेहनत और ईमानदारी ने उन्हें जल्दी ही पहचान दिला दी। जल्द ही वे हरियाणा के कानूनी जगत का जाना-पहचाना नाम बन गए।

    हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल

    जस्टिस सूर्यकांत ने अपने करियर की शुरुआत बतौर वकील पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से की। उनकी कानूनी समझ और तर्कशक्ति ने उन्हें जल्दी ही अलग पहचान दी। वर्ष 2000 में वे हरियाणा राज्य के सबसे युवा एडवोकेट जनरल बने। यह पद किसी भी वकील के लिए अत्यंत प्रतिष्ठित माना जाता है। इस नियुक्ति ने न केवल उनके करियर को नई ऊँचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि हरियाणा की न्यायिक परंपरा में भी एक नया अध्याय जोड़ा।

    एडवोकेट जनरल के रूप में उन्होंने कई संवैधानिक और जनहित के मामलों में सरकार की पैरवी की। वे अपने संतुलित दृष्टिकोण, सटीक तर्क और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं।

    न्यायाधीश के रूप में नया अध्याय

    2004 में जस्टिस सूर्यकांत को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। जज के रूप में उनकी पहचान ऐसे न्यायाधीश की रही जो परंपरागत सोच से अलग, व्यावहारिक और मानवीय दृष्टिकोण से निर्णय लेते हैं। उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले दिए, जिनमें शिक्षा, पर्यावरण और मानवाधिकार से जुड़े मामलों में उल्लेखनीय योगदान रहा।

    2018 में वे हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। इस दौरान उन्होंने न्यायपालिका की पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए। अदालतों में लंबित मामलों को निपटाने के लिए विशेष “फास्ट ट्रैक” व्यवस्था शुरू की और ग्रामीण इलाकों में न्याय तक आसान पहुंच सुनिश्चित की।

    2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। सर्वोच्च अदालत में रहते हुए उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की और अपने निर्णयों से न्याय के सिद्धांतों को और मजबूती दी।

    लीक से हटकर फैसलों के लिए जाने जाते हैं जस्टिस सूर्यकांत

    जस्टिस सूर्यकांत की पहचान ऐसे जज के रूप में है जो भीड़ से अलग सोचते हैं। वे सिर्फ कानून के अक्षर नहीं बल्कि उसके आत्मा को भी समझने में विश्वास रखते हैं। उन्होंने हमेशा समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा की है और कई ऐसे आदेश दिए हैं जो सामाजिक न्याय की भावना को मजबूत करते हैं।

    उनके कुछ निर्णयों में यह स्पष्ट झलकता है कि वे कानून को सिर्फ दंडात्मक व्यवस्था नहीं, बल्कि समाज सुधार का माध्यम मानते हैं। न्यायालय में उनके फैसले हमेशा संतुलित और मानवीय दृष्टिकोण पर आधारित रहे हैं। यही कारण है कि वे न्यायपालिका में “संतुलित और करुणामय न्यायाधीश” के रूप में प्रसिद्ध हैं।

    हरियाणा के लिए गर्व का क्षण

    हरियाणा से पहली बार कोई व्यक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद तक पहुंच रहा है। यह न केवल राज्य के लिए बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। इससे पहले पंजाब, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों से कई CJI हुए, लेकिन हरियाणा से यह पहली ऐतिहासिक नियुक्ति होगी।

    राज्य के कानूनी जगत में जस्टिस सूर्यकांत की यह उपलब्धि प्रेरणा का स्रोत बन गई है। युवा वकील उन्हें एक रोल मॉडल के रूप में देख रहे हैं, जिन्होंने न केवल कठिन परिश्रम से मुकाम हासिल किया, बल्कि न्याय को आम जनता तक पहुंचाने के मिशन को अपनी प्राथमिकता बनाया।

    जस्टिस सूर्यकांत का जीवन संघर्ष और सफलता का सुंदर संगम है। वे उस सोच का प्रतिनिधित्व करते हैं जो कहती है कि “न्याय सिर्फ कानून के लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए होना चाहिए।” उनका अब तक का सफर दिखाता है कि समर्पण, सादगी और न्याय के प्रति ईमानदारी से काम करने वाला व्यक्ति कितनी ऊँचाइयाँ छू सकता है।

    हरियाणा के इस सपूत का देश का मुख्य न्यायाधीश बनना न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि भारतीय न्यायपालिका की विविधता और समावेशिता का भी प्रतीक है। जस्टिस सूर्यकांत का नेतृत्व निश्चय ही भारत की न्यायिक प्रणाली को और अधिक पारदर्शी, संवेदनशील और जनोन्मुख बनाएगा।

    न्यूज़ शेयर करने के लिए क्लिक करें .
  • Advertisement Space

    Related Posts

    ‘मैं भारत के विकास की कहानी पर बहुत उत्साहित था, लेकिन अब नहीं’ — स्टार्टअप फाउंडर धवल जैन की ईमानदार पीड़ा

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। भारत में विकास की कहानी के साथ-साथ भ्रष्टाचार की कहानी भी गहराई से जुड़ी रही है। सरकारी सिस्टम में सुधार…

    Continue reading
    पढ़ाई में गोल्ड मेडल से करोड़ों के बिजनेस तक… जानिए पंकज मिश्रा की संघर्ष से सफलता तक की प्रेरक कहानी

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। सफलता की कहानियां हमेशा प्रेरणा देती हैं, लेकिन कुछ कहानियां ऐसी होती हैं जो यह साबित करती हैं कि सपनों…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *