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राजस्थान में मौसम एक बार फिर करवट लेने जा रहा है। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से उठे मोथा चक्रवात (Montha Cyclone) ने अब देश के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों की ओर रुख कर लिया है। मौसम विभाग (IMD) ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अगले 48 घंटे राज्य के कई जिलों के लिए बेहद अहम होंगे, क्योंकि इस दौरान भारी बारिश और तेज हवाएं चलने की संभावना है।
राजस्थान के कई इलाकों में पहले ही आसमान में बादल छा गए हैं, और हल्की बूंदाबांदी का दौर शुरू हो चुका है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, यह चक्रवात अब कमजोर पड़ते हुए डिप्रेशन में तब्दील हो गया है, लेकिन इसका असर कई जिलों में देखने को मिलेगा।
राजस्थान के इन जिलों में होगी बारिश
भारतीय मौसम विभाग ने बताया है कि नागौर, अजमेर, अलवर, बांसवाड़ा, बारां, ब्यावर, भरतपुर, चित्तौड़गढ़, दौसा, धौलपुर, डूंगरपुर, जयपुर, झालावाड़, करौली, खैरथल-तिजारा, कोटपूतली-बहरोड़, प्रतापगढ़, सवाई माधोपुर, टोंक, जालौर और पाली में बारिश की संभावना जताई गई है।
कई जिलों में अगले दो दिनों तक गर्जन के साथ बारिश, आंधी और बिजली गिरने के आसार हैं। खासतौर पर जयपुर, अजमेर, नागौर और अलवर में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है।
मौसम विभाग के अनुसार, “राजस्थान के पूर्वी हिस्सों में अगले 24 से 48 घंटों के दौरान मध्यम से तेज बारिश हो सकती है। कुछ इलाकों में तेज हवाओं के साथ ओलावृष्टि की भी संभावना है।”
कैसे बना ‘मोथा’ चक्रवात
‘मोथा’ चक्रवात अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के बीच बने निम्न दबाव के क्षेत्र से विकसित हुआ था। यह चक्रवात पहले दक्षिण भारत के तटीय इलाकों से होते हुए मध्य भारत की ओर बढ़ा। अब यह कमजोर रूप में उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ते हुए राजस्थान के ऊपर सक्रिय हो गया है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस चक्रवात का असर समुद्री नमी के कारण बढ़ रहा है। इससे राज्य में तापमान में गिरावट और हवा में नमी का स्तर बढ़ गया है। कई जिलों में दिन का तापमान 3 से 5 डिग्री सेल्सियस तक घट गया है।
कृषि पर पड़ सकता है असर
राजस्थान में रबी फसलों की तैयारी के बीच यह बारिश किसानों के लिए मिश्रित असर लेकर आ सकती है। जहां एक ओर यह बारिश मिट्टी की नमी बढ़ाएगी और फसल की तैयारी में मदद करेगी, वहीं दूसरी ओर जिन इलाकों में तेज हवाएं या ओलावृष्टि होगी, वहां नुकसान की संभावना भी है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि “बारिश हल्की रहे तो फायदेमंद होगी, लेकिन यदि तेज आंधी या ओले गिरे तो यह तैयार हो रही फसलों के लिए हानिकारक साबित हो सकती है।”
कई इलाकों में किसानों ने पहले ही अपनी फसलें ढकना शुरू कर दिया है और पशुओं को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है।
जयपुर और आसपास के क्षेत्रों में क्या स्थिति है
राजधानी जयपुर में मंगलवार सुबह से ही बादल छाए हुए हैं। हवा में नमी की मात्रा बढ़ी है और हल्की फुहारें पड़ रही हैं। मौसम केंद्र जयपुर के निदेशक ने बताया कि “अगले 48 घंटे राजधानी और आसपास के जिलों जैसे टोंक, दौसा, अलवर और भरतपुर में मध्यम बारिश की संभावना है।”
जयपुर नगर निगम ने भी अपने स्तर पर ड्रेन साफ करने और जलभराव से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है। प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि अनावश्यक यात्रा से बचें और मौसम विभाग के निर्देशों का पालन करें।
तेज हवाओं से यातायात प्रभावित होने की आशंका
मोथा चक्रवात के असर से राजस्थान के पश्चिमी हिस्सों में तेज हवाएं चल सकती हैं, जिनकी रफ्तार 40 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच सकती है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि इन हवाओं के चलते पेड़ गिरने, बिजली की लाइन टूटने और छोटे वाहनों के पलटने की घटनाएं हो सकती हैं।
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने जिलाधिकारियों को अलर्ट पर रखा है और सभी आपातकालीन सेवाओं को सक्रिय मोड में रखा गया है। साथ ही ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को चेतावनी दी गई है कि वे पुराने या कमजोर मकानों में रहने से बचें।
जनजीवन पर असर और स्कूलों की छुट्टी पर विचार
कई जिलों में बारिश और हवाओं के कारण जनजीवन प्रभावित हो सकता है। कुछ इलाकों में प्रशासन ने स्कूलों की छुट्टी पर भी विचार शुरू कर दिया है। जयपुर, अलवर और टोंक जिलों में शिक्षा विभाग की बैठक में इस पर निर्णय जल्द लिया जा सकता है।
बिजली विभाग ने भी अलर्ट जारी किया है कि वज्रपात के दौरान खुले स्थानों पर खड़े न हों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग सीमित करें।
मौसम विभाग की अपील
मौसम विभाग ने लोगों से सतर्क रहने और प्रशासनिक निर्देशों का पालन करने की अपील की है। विभाग ने कहा है कि अगले दो दिनों में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो जाएगी, लेकिन तब तक सभी जिलों में निगरानी रखी जा रही है।
विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि “राजस्थान के लिए यह बारिश दीर्घकालिक रूप से सकारात्मक होगी क्योंकि इससे भूजल स्तर में सुधार होगा और सर्दियों में तापमान सामान्य रहेगा।”
मोथा चक्रवात का असर भले ही कमजोर हो गया हो, लेकिन इसका प्रभाव राजस्थान के मौसम और जनजीवन पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। आने वाले 48 घंटे राज्य के कई हिस्सों के लिए अहम साबित होंगे। प्रशासन पूरी तरह सतर्क है और लोगों को भी सुरक्षा के प्रति जागरूक रहने की सलाह दी जा रही है।
राजस्थान में मौसम की यह करवट सर्दी की दस्तक के साथ-साथ यह याद भी दिला रही है कि प्रकृति का मिजाज कभी भी बदल सकता है — और इसके सामने तैयारी ही सबसे बड़ा बचाव है।







