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बंगाल की सियासत एक बार फिर गरमाई है। आसनसोल दक्षिण से विधायक अग्निमित्रा पॉल ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं शत्रुघ्न सिन्हा और कीर्ति आजाद पर तंज कसते हुए आरोप लगाया कि उनके सांसद स्थानीय मुद्दों से दूर हैं। पॉल ने कहा कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (TMC) हमेशा जनता की भलाई के लिए काम करती रही है, लेकिन भाजपा सांसद लापता रहने की आदत छोड़ें।
अग्निमित्रा पॉल ने अपने बयान में कहा कि जब यूपी और बिहार से लोग अपने परिवार के साथ आसनसोल आकर छठ महापर्व मनाने आते हैं, तो भाजपा के सांसद कहीं नजर नहीं आते। उन्होंने कहा,
“हमारे सांसदों की अनुपस्थिति के कारण जनता को स्थानीय समस्याओं के समाधान के लिए मजबूरी में भवानी भवन तक जाना पड़ता है। सांसदों को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होना चाहिए।”
उन्होंने शत्रुघ्न सिन्हा और कीर्ति आजाद के व्यवहार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ये नेता केवल सार्वजनिक मंचों और सोशल मीडिया पर दिखावा करते हैं, लेकिन वास्तविक मुद्दों और जनता की समस्याओं पर ध्यान नहीं देते। पॉल ने आरोप लगाया कि भाजपा ने आसनसोल जैसे संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्र में जनता की उपेक्षा की है।
इस बयान के साथ ही बंगाल की सियासत में एक बार फिर राजनीतिक खींचतान तेज हो गई है। TMC ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वे स्थानीय समस्याओं से ध्यान भटकाकर केवल चुनावी बयानबाजी कर रहे हैं। अग्निमित्रा पॉल ने कहा कि भाजपा को अपने सांसदों की जिम्मेदारी सुनिश्चित करनी चाहिए और जनता के बीच समय बिताना चाहिए।
स्थानीय जनता भी इस स्थिति को लेकर चिंतित दिखाई दे रही है। कई लोग पॉल के समर्थन में बोलते हुए कहते हैं कि सांसदों की उपस्थिति स्थानीय विकास और सामाजिक कल्याण के लिए जरूरी है। अगर सांसद समय पर उपलब्ध नहीं होते हैं, तो क्षेत्रीय विकास और समस्याओं का समाधान प्रभावित होता है।
पॉल ने यह भी कहा कि TMC हमेशा जनता के हित में काम करेगी और भाजपा की इस गैर-जिम्मेदाराना भूमिका को उजागर किया जाएगा। उनका मानना है कि चुनावी बयानबाजी से अधिक महत्वपूर्ण वास्तविक काम और जनता के बीच उपस्थिति है।
बंगाल में छठ महापर्व का समय राजनीतिक दृष्टिकोण से भी संवेदनशील माना जाता है, क्योंकि इस दौरान बड़ी संख्या में उत्तर भारत से लोग राज्य में आते हैं। यह मौका स्थानीय नेताओं के लिए जनता के बीच खुद को दिखाने और उनकी समस्याओं को समझने का भी होता है। ऐसे में सांसदों की अनुपस्थिति पर टीएमसी ने भाजपा पर तीखा हमला बोला है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अग्निमित्रा पॉल का यह बयान केवल एक राजनीतिक रणनीति नहीं बल्कि भाजपा के स्थानीय नेतृत्व और सांसदों की गैर-उपस्थिति पर सटीक कटाक्ष है। इसके जरिए टीएमसी यह संदेश देना चाहती है कि जनता के मुद्दे केवल उनके लिए प्राथमिक हैं, न कि विपक्ष के लिए।
भाजपा ने अभी तक इस बयान पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन पार्टी सूत्रों के अनुसार वे इसे चुनावी माहौल बनाने की कोशिश मान रहे हैं। इसके अलावा, शत्रुघ्न सिन्हा और कीर्ति आजाद की गतिविधियों और उनके क्षेत्र में उपस्थिति पर सवाल उठना अब राजनीतिक बहस का हिस्सा बन गया है।
पॉल के बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बंगाल में स्थानीय मुद्दों और सांसदों की जवाबदेही पर सियासत तेज होती जा रही है। आने वाले महीनों में यह राजनीतिक खींचतान और अधिक बढ़ सकती है, खासकर जब राज्य और केंद्र की नीतियां आम जनता पर असर डालती हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि अग्निमित्रा पॉल का यह कदम टीएमसी की रणनीति का हिस्सा है, जिसमें भाजपा के नेताओं की सार्वजनिक उपस्थिति और उनके योगदान पर ध्यान केंद्रित कर जनता का ध्यान खींचा जा रहा है। इससे पार्टी की सक्रियता और स्थानीय मुद्दों में भूमिका स्पष्ट रूप से सामने आ रही है।
बंगाल की राजनीति में इस बयान का असर आने वाले दिनों में देखा जाएगा। सांसदों की गैर-उपस्थिति पर यह तंज केवल भाजपा पर ही नहीं बल्कि पूरे विपक्षी राजनीतिक माहौल पर चर्चा का विषय बन गया है। जनता और राजनीतिक दल दोनों ही इस पर नजर बनाए हुए हैं।
अग्निमित्रा पॉल ने अंत में कहा कि TMC अपने क्षेत्र और राज्य में जनता की समस्याओं के समाधान के लिए हमेशा तत्पर रहेगी और किसी भी सांसद की गैर-उपस्थिति से जनता के अधिकारों और हितों को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा।







