इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

भारत अब अपने पहले घरेलू यात्री विमान के निर्माण की ओर कदम बढ़ा रहा है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने रूस की एयरोस्पेस कंपनी यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन के साथ समझौता किया है। दोनों कंपनियां मिलकर SJ-100 पैसेंजर जेट का निर्माण भारत में करेंगी। यह परियोजना न केवल भारत की विमान निर्माण क्षमता को बढ़ाएगी, बल्कि मेक इन इंडिया अभियान को भी मजबूती प्रदान करेगी।
SJ-100 जेट, जिसे रूस में पहले से विकसित किया जा चुका है, छोटे और मध्यम दूरी के लिए उपयुक्त विमान है। इसका उद्देश्य घरेलू और क्षेत्रीय एयरलाइन मार्गों पर यात्री सेवा को सुलभ और आधुनिक बनाना है। HAL और रूसी साझेदार मिलकर इसे भारत में उत्पादन के लिए अनुकूल बनाएंगे।
इस समझौते के अनुसार, भारत में विमान का असेंबली, तकनीकी अनुकूलन और अंतिम उत्पादन HAL के प्लांट में किया जाएगा। रूसी विशेषज्ञ तकनीकी सहयोग और प्रशिक्षण प्रदान करेंगे। इस पहल से भारत की एयरोस्पेस इंडस्ट्री को नई दिशा मिलेगी और घरेलू विमान निर्माण में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि SJ-100 जेट का निर्माण भारत में शुरू होना मेक इन इंडिया अभियान की बड़ी सफलता है। पिछले कई वर्षों से भारत ने रक्षा विमान निर्माण में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन अब यह परियोजना सिविल एविएशन क्षेत्र में भी भारत की क्षमता को दर्शाएगी।
इस परियोजना के तहत भारत न केवल विमान का निर्माण करेगा, बल्कि भविष्य में इसके घटकों, तकनीकी उपकरणों और प्रणाली का स्थानीयकरण भी करेगा। इसका मतलब है कि भारत धीरे-धीरे विमान निर्माण में पूरी तरह आत्मनिर्भर बन जाएगा। यह कदम देश के लिए सैन्य और नागरिक दोनों क्षेत्रों में रणनीतिक महत्व रखता है।
SJ-100 जेट की विशेषताएं इसे छोटे शहरों और हवाई अड्डों के लिए आदर्श बनाती हैं। इसके हल्के वजन और कम ईंधन खपत वाले इंजनों के कारण एयरलाइन कंपनियों के लिए यह किफायती और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प होगा। HAL के अधिकारियों का कहना है कि इस परियोजना से भारत में नौकरी के अवसर भी बढ़ेंगे और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में युवाओं के लिए नए रास्ते खुलेंगे।
इस विमान निर्माण परियोजना को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देखा जा रहा है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह परियोजना अमेरिका और यूरोप के विमान उद्योग को चुनौती देने वाली है। विशेष रूप से ट्रम्प प्रशासन के दौरान अमेरिका और रूस के बीच तनाव को देखते हुए, यह भारत के लिए तकनीकी और रणनीतिक बढ़त का संकेत है।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि SJ-100 जेट परियोजना को भारत सरकार की सिविल एविएशन नीति और रक्षा उत्पादन नीति के तहत समर्थन मिलेगा। HAL और यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन दोनों कंपनियों के बीच तकनीकी समझौता और उत्पादन रोडमैप भी अंतिम चरण में है। इसके तहत विमान का पहला प्रोटोटाइप अगले दो वर्षों में तैयार होने की उम्मीद है।
यह परियोजना न केवल भारत की एयरोस्पेस तकनीकी क्षमता को बढ़ाएगी बल्कि अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को भी आकर्षित करेगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि SJ-100 के सफल उत्पादन से भारत में हवाई यात्रा के लिए लागत कम होगी और छोटे शहरों को भी वायु संपर्क के माध्यम से जोड़ने में मदद मिलेगी।
HAL के अधिकारी ने कहा,
“यह परियोजना भारत के एयरोस्पेस उद्योग के लिए ऐतिहासिक कदम है। SJ-100 का निर्माण भारत में होने से हम सिविल एविएशन में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम उठा रहे हैं। रूस के तकनीकी सहयोग से यह परियोजना और अधिक मजबूती पाएगी।”
इस पहल से मेक इन इंडिया अभियान को नई पहचान मिलेगी। यह न केवल तकनीकी और औद्योगिक क्षमता को बढ़ाएगा बल्कि देश की अंतरराष्ट्रीय छवि को भी मजबूत करेगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले वर्षों में भारत में ऐसे और कई विमान परियोजनाएं सामने आ सकती हैं।
इस प्रोजेक्ट के साथ भारत में विमान निर्माण और तकनीकी अनुसंधान का दायरा बढ़ेगा, जिससे स्थानीय उद्योग और स्टार्टअप्स को भी लाभ मिलेगा। यह पहल देश को वैश्विक विमान निर्माण मानचित्र पर मजबूत स्थिति दिलाने में मदद करेगी।
अंत में, SJ-100 जेट का भारत में निर्माण न केवल एयरोस्पेस उद्योग की प्रगति बल्कि देश की तकनीकी आत्मनिर्भरता और अंतरराष्ट्रीय महत्व को दर्शाता है। यह परियोजना भारत को वैश्विक विमान उद्योग में सशक्त खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगी और मेक इन इंडिया के विजन को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।







