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    भारत के पहले प्राइवेट रॉकेट की लॉन्चिंग का काउंटडाउन शुरू! जानिए स्काईरूट एयरोस्पेस के ‘भारतीय एलन मस्क’ कौन हैं

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    भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक और ऐतिहासिक अध्याय जुड़ने वाला है। जनवरी 2026 में देश का पहला निजी रॉकेट ‘विक्रम-1’ लॉन्च होने जा रहा है, जिसे हैदराबाद स्थित स्टार्टअप स्काईरूट एयरोस्पेस (Skyroot Aerospace) ने तैयार किया है। यह लॉन्च भारत के स्पेस सेक्टर में निजी कंपनियों के प्रवेश की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।

    भारत अब तक इसरो (ISRO) के जरिये ही अंतरिक्ष में उपग्रहों और रॉकेटों का प्रक्षेपण करता रहा है, लेकिन स्काईरूट का यह मिशन दिखा रहा है कि अब निजी क्षेत्र भी स्पेस इनोवेशन की दौड़ में पूरी तरह तैयार है।

    ‘विक्रम-1’ रॉकेट पूरी तरह से भारत में विकसित किया गया है और इसे स्काईरूट एयरोस्पेस की इंजीनियरिंग टीम ने डिजाइन किया है। इस रॉकेट का नाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। यह एक स्मॉल-लिफ्ट लॉन्च व्हीकल (Small Lift Launch Vehicle) है, जो छोटे सैटेलाइट्स को लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) में स्थापित करने की क्षमता रखता है। स्काईरूट के अनुसार, विक्रम-1 हर लॉन्च में लगभग 300 से 500 किलोग्राम तक का पेलोड अंतरिक्ष में भेज सकेगा। इस रॉकेट में कई अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है, जैसे—कार्बन कंपोज़िट स्ट्रक्चर, 3D प्रिंटेड इंजन और मॉड्यूलर डिज़ाइन सिस्टम। इसकी सबसे खास बात यह है कि इसे तैयार करने और लॉन्च करने में लागत पारंपरिक सरकारी रॉकेटों की तुलना में 70% तक कम है।

    स्काईरूट एयरोस्पेस की स्थापना 2018 में दो युवा पूर्व इसरो वैज्ञानिकों पी. श्रीनाथ रवि और नागा भरत डाका ने की थी। दोनों ने इसरो में काम करने के बाद तय किया कि भारत में निजी स्तर पर भी अंतरिक्ष तकनीक को विकसित किया जा सकता है। कंपनी का नाम “Skyroot” इस बात को दर्शाता है कि “आकाश ही हमारी जड़ें हैं” — यानी अंतरिक्ष अब केवल वैज्ञानिकों का नहीं, बल्कि नए युग के उद्यमियों का भी क्षेत्र है। इन दोनों संस्थापकों को भारतीय मीडिया ने “भारत के एलन मस्क” का नाम दिया है, क्योंकि जिस तरह अमेरिका में एलन मस्क की कंपनी SpaceX ने निजी अंतरिक्ष क्षेत्र में क्रांति की, उसी तरह स्काईरूट भी भारत में एक नई अंतरिक्ष क्रांति की नींव रख रही है।

    स्काईरूट का विज़न बेहद महत्वाकांक्षी है। कंपनी का कहना है कि उसका लक्ष्य हर महीने एक रॉकेट लॉन्च करना है। इसके जरिए वह वैश्विक स्पेस मार्केट में अपनी जगह मजबूत बनाना चाहती है। कंपनी की योजना है कि विक्रम-1 की सफलता के बाद, वे विक्रम-2 और विक्रम-3 सीरीज के रॉकेट्स भी लॉन्च करेंगे, जो बड़े पेलोड्स और मल्टीपल सैटेलाइट लॉन्च करने में सक्षम होंगे। हर लॉन्च से कंपनी को लगभग 50 लाख डॉलर (करीब 42 करोड़ रुपये) का रेवेन्यू मिलने की उम्मीद है। स्काईरूट ने पहले ही कई अंतरराष्ट्रीय क्लाइंट्स के साथ लॉन्च कॉन्ट्रैक्ट साइन किए हैं।

    इसरो ने स्काईरूट को लॉन्च इंफ्रास्ट्रक्चर, डेटा और टेक्निकल सपोर्ट प्रदान किया है। 2020 में भारत सरकार ने निजी स्पेस सेक्टर के लिए IN-SPACe (Indian National Space Promotion and Authorization Centre) की स्थापना की थी, जिससे स्काईरूट जैसी कंपनियों को अधिक स्वतंत्रता और तकनीकी सहायता मिली। IN-SPACe की मदद से स्काईरूट को इसरो के लॉन्च पैड और टेस्टिंग सुविधाओं का उपयोग करने की अनुमति मिली। यही वजह है कि विक्रम-1 का निर्माण और परीक्षण बेहद कम समय में पूरा किया जा सका।

    भारत का स्पेस सेक्टर तेज़ी से प्राइवेट इनोवेशन की दिशा में आगे बढ़ रहा है। पहले जहां केवल इसरो को लॉन्च की अनुमति थी, वहीं अब AgniKul Cosmos, Bellatrix Aerospace, Dhruva Space और Pixxel जैसी कंपनियाँ भी इस क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही हैं। लेकिन स्काईरूट एयरोस्पेस अपनी तेज प्रगति और तकनीकी क्षमता के कारण इस दौड़ में सबसे आगे है। यह भारत को “स्पेस मैन्युफैक्चरिंग हब” बनाने की दिशा में अहम योगदान दे रही है।

    स्काईरूट को अब तक कई दिग्गज निवेशकों से फंडिंग मिली है। कंपनी में सिंगापुर, अमेरिका और भारत के कई वेंचर कैपिटल फर्मों ने निवेश किया है। 2023 में स्काईरूट ने सीरीज-बी फंडिंग राउंड में करीब 1,200 करोड़ रुपये जुटाए थे। इसके साथ ही, कंपनी को कई अंतरराष्ट्रीय सैटेलाइट स्टार्टअप्स से लॉन्च ऑर्डर्स भी मिल चुके हैं, जो इसकी क्षमता पर भरोसे को दर्शाता है।

    जनवरी 2026 में जब विक्रम-1 अंतरिक्ष में उड़ान भरेगा, तो यह सिर्फ एक रॉकेट लॉन्च नहीं होगा — यह भारत की निजी स्पेस यात्रा की शुरुआत का प्रतीक होगा। स्काईरूट एयरोस्पेस के संस्थापक श्रीनाथ रवि और नागा भरत डाका ने जो सपना देखा था, वह अब साकार होने जा रहा है। आने वाले समय में यह कंपनी भारत को न सिर्फ “स्पेस इकॉनमी” का हिस्सा बनाएगी, बल्कि शायद विश्व मंच पर “स्पेस लीडर” भी बना देगी।

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