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भारतीय वायुसेना (IAF) अब अपने राफेल बेड़े को और अधिक घातक बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। पाकिस्तान और चीन से लगने वाली सीमाओं पर बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए, भारत मेटियोर एयर-टू-एयर मिसाइलों की नई खेप हासिल करने की योजना बना रहा है। ये मिसाइलें अपनी लंबी दूरी की मारक क्षमता और सटीक लक्ष्य साधने की तकनीक के लिए दुनिया भर में जानी जाती हैं।
सूत्रों के अनुसार, रक्षा मंत्रालय और भारतीय वायुसेना के बीच इस सौदे को लेकर उच्च-स्तरीय चर्चा चल रही है। यदि यह सौदा पक्का होता है, तो भारत की हवाई ताकत में एक बड़ा इजाफा होगा और राफेल फाइटर जेट्स को एक नया घातक हथियार मिल जाएगा, जो पाकिस्तान और चीन दोनों के लिए चिंता का कारण बनेगा।
मेटियोर मिसाइल की खासियत – 150 किलोमीटर दूर से सटीक वार
मेटियोर मिसाइल को यूरोपियन मिसाइल निर्माता कंपनी MBDA ने तैयार किया है। इसे “बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल” (BVRAAM) कहा जाता है। यह मिसाइल 150 किलोमीटर से भी अधिक दूरी पर उड़ रहे दुश्मन के विमान को रडार गाइडेंस सिस्टम की मदद से सटीक रूप से निशाना बना सकती है।
इस मिसाइल की सबसे बड़ी ताकत इसका एयर-ब्रीदिंग रैमजेट इंजन है, जो इसे ऊंचाई पर अधिक गति से उड़ने की क्षमता देता है। मिसाइल हवा में दुश्मन के किसी भी फाइटर जेट, ड्रोन या क्रूज़ मिसाइल को भेद सकती है।
भारतीय राफेल पहले से ही मेटियोर मिसाइल से लैस हैं, लेकिन अब इस नई खेप के जरिए रिजर्व और स्ट्राइक क्षमताओं को और मजबूत करने की योजना है।
राफेल – भारत की हवाई शक्ति का अभेद्य कवच
भारत ने 2016 में फ्रांस के साथ 36 राफेल विमानों की खरीद का समझौता किया था। अब ये सभी विमान वायुसेना के दो एयरबेस—अंबाला (हरियाणा) और हासीमारा (पश्चिम बंगाल)—से परिचालन में हैं।
राफेल विमानों को भारत की हवाई सुरक्षा का “गेम चेंजर” कहा जाता है। इन विमानों में पहले से ही स्कैल्प क्रूज़ मिसाइल और मिका एयर-टू-एयर मिसाइल लगी हुई हैं। लेकिन मेटियोर मिसाइल का जुड़ना वायुसेना को एक बियॉन्ड विजुअल रेंज (BVR) एडवांटेज देगा, जिससे दुश्मन का कोई भी विमान रडार पर आते ही खतरे में पड़ जाएगा।
पाकिस्तान और चीन के लिए बढ़ेगी चिंता
राफेल और मेटियोर की यह जोड़ी भारत की हवाई रणनीति को और सुदृढ़ बनाएगी। पाकिस्तान के पास मौजूद F-16 और JF-17 फाइटर जेट्स की मारक क्षमता लगभग 80–100 किलोमीटर तक सीमित है। वहीं चीन के पास मौजूद J-16 फाइटर जेट्स भी 120 किलोमीटर से अधिक की सटीकता के साथ हमले में सक्षम नहीं हैं।
इस लिहाज से, राफेल-मेटियोर संयोजन भारत को हवाई युद्ध में अद्वितीय बढ़त दिलाता है। यही कारण है कि पाकिस्तान ने पहले भी भारत के राफेल विमानों और मेटियोर मिसाइलों को लेकर चिंता जताई थी।
भारतीय वायुसेना की नई रणनीति – भविष्य की हवाई तैयारी
भारत सरकार और रक्षा मंत्रालय भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, वायुसेना को आधुनिकतम मिसाइल सिस्टम से लैस करने पर काम कर रहे हैं। वायुसेना प्रमुख ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि भारत को अब “नेटवर्क-सेंट्रिक वारफेयर” यानी तकनीक आधारित युद्ध की तैयारी करनी होगी, जहां मिसाइल और रडार सिस्टम एक साथ काम करें।
मेटियोर मिसाइल की खरीद इसी रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है। यह न केवल दुश्मन की सीमा के अंदर तक लक्ष्य भेदने की क्षमता रखती है, बल्कि अपने “नो एस्केप ज़ोन” के कारण दुश्मन के विमान को बच निकलने का कोई मौका नहीं देती।
रक्षा मंत्रालय का फोकस – आत्मनिर्भरता और साझेदारी
हालांकि मेटियोर मिसाइलें यूरोप से खरीदी जाएंगी, लेकिन भारत का लक्ष्य है कि भविष्य में ऐसी तकनीक देश में ही विकसित की जाए। इसके लिए DRDO और भारतीय रक्षा कंपनियों को फ्रांस की Dassault Aviation और MBDA जैसी कंपनियों के साथ सहयोग में काम करने की संभावना पर चर्चा हो रही है।
यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ नीति के तहत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को और मजबूत करेगा।
राफेल विमानों के लिए मेटियोर मिसाइलों की संभावित खरीद भारतीय वायुसेना की रणनीतिक बढ़त को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा देगी। यह न केवल भारत की रक्षा क्षमता को मजबूत करेगी, बल्कि पड़ोसी देशों के लिए भी यह स्पष्ट संदेश होगा कि भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए हर स्तर पर तैयार है।

 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		





