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गौरेला–पेण्ड्रा–मरवाही जिले के मँझगवां में आज फोर्स अकादमी के बैच–2 की शुरुआत अत्यंत उत्साहपूर्ण और प्रेरक माहौल में हुई। मौसम प्रतिकूल होने के बावजूद युवाओं का जोश और समर्पण इस आयोजन को खास बना गया। कार्यक्रम की शुरुआत कोच पी. एल. लहरे व बलदाऊ जी की अगुवाई में भूमि-पूजन के साथ की गई। इस अवसर पर बलराम मरावी, उत्तेश प्रजापति, अंकुर प्रजापति और समन्वयक लालजी पड़वार की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
यह अकादमी उन युवाओं के लिए सुनहरा अवसर है जो पुलिस आरक्षक, अग्निशामक, फॉरेस्ट गार्ड, अमीन, पटवारी और अन्य सरकारी सेवाओं की परीक्षाओं की तैयारी करना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक स्थिति के कारण कोचिंग संस्थानों तक नहीं पहुँच पाते। फोर्स अकादमी ने उन्हें एक नई राह दिखाई है। यहाँ न केवल कोचिंग निःशुल्क दी जाती है, बल्कि विद्यार्थियों को अध्ययन सामग्री, पुस्तकें और ड्रेस भी पूरी तरह निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं।
संस्थान के प्रतिनिधियों ने बताया कि “फोर्स अकादमी” का उद्देश्य ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के युवाओं को वह अवसर देना है, जो सामान्यतः बड़े शहरों के छात्रों को प्राप्त होते हैं। शिक्षा और सेवा-भावना के इस संगम में युवाओं को आत्म-विश्वास और अनुशासन के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा दी जा रही है।
इस अकादमी की स्थापना और संचालन के पीछे हैं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रायपुर डॉ. लाल उमेंद सिंह (IPS) — जिनका संकल्प है “हर युवा बने देश का सिपाही”। उनके मार्गदर्शन में यह पहल अब युवाओं की ज़िंदगी बदलने वाला अभियान बन चुकी है। डॉ. सिंह का मानना है कि “हर युवा में एक सिपाही छिपा है, बस उसे जगाने की ज़रूरत है।” यही विचार इस संस्थान की आत्मा बन चुका है।
डॉ. लाल उमेंद सिंह ने अपने सेवा-काल में हमेशा समाज के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया है। उनका मानना है कि यदि युवाओं को उचित मार्गदर्शन और अवसर मिलें, तो वे न केवल अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि देश और समाज की सेवा में अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं।
फोर्स अकादमी की पहली बैच की सफलता ने यह सिद्ध किया कि समर्पण और मेहनत के बल पर सीमित संसाधनों के बावजूद भी बड़ी उपलब्धियाँ हासिल की जा सकती हैं। कई विद्यार्थियों ने पहली बैच के बाद राज्यस्तरीय भर्ती परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर अपने क्षेत्र का नाम रोशन किया। अब बैच-2 की शुरुआत के साथ संस्था ने नए लक्ष्यों की ओर कदम बढ़ाया है।
कार्यक्रम स्थल पर विद्यार्थियों का जोश देखते ही बनता था। बारिश और ठंड के बावजूद दर्जनों युवक-युवतियाँ सुबह से ही आयोजन स्थल पर एकत्र हुए। उनके चेहरों पर उम्मीद और आत्म-विश्वास की झलक साफ देखी जा सकती थी। भूमि-पूजन और प्रेरक संबोधनों के बाद कोचिंग कक्षाओं का शुभारंभ किया गया, जिसमें विद्यार्थियों को नियम-अनुशासन और प्रशिक्षण प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी गई।
समन्वयक लालजी पड़वार ने बताया कि इस अकादमी का संचालन पूर्णतः पारदर्शी और समाज-सेवी भावना से किया जा रहा है। किसी भी विद्यार्थी से प्रवेश शुल्क या अन्य राशि नहीं ली जाती। यहाँ शिक्षकों और गाइड्स का उद्देश्य केवल युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना है।
फोर्स अकादमी का यह प्रयास उन सभी ग्रामीण प्रतिभाओं के लिए प्रेरणा-स्रोत बन गया है, जो बड़े सपने देखते हैं लेकिन सीमित साधनों में जूझते रहते हैं। यह संस्थान इस बात का प्रमाण है कि सच्ची नीयत और सेवा-भाव से शुरू किया गया कोई भी अभियान समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
आने वाले समय में संस्था का लक्ष्य है कि वह जिले के अन्य क्षेत्रों में भी अपने प्रशिक्षण-केंद्र स्थापित करे, ताकि अधिक से अधिक युवाओं तक यह पहल पहुँच सके। इस प्रकार, “संघर्ष से सफलता तक” का यह अभियान आज केवल एक कोचिंग नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन बन चुका है — जो यह साबित करता है कि सपनों को पूरा करने के लिए सिर्फ अवसर नहीं, विश्वास और मार्गदर्शन भी जरूरी है।

		
		
		
		
		
		
		
		
		






