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उत्तर प्रदेश में गंगा उत्सव 2025 का आयोजन इस बार पहले से कहीं अधिक भव्य और जनसहभागिता से भरपूर हो रहा है। प्रदेश के सभी 75 जिलों में गंगा तटों पर सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रमों की रंगारंग झलक देखने को मिल रही है। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि इसका उद्देश्य गंगा नदी के संरक्षण, स्वच्छता और जनजागरूकता को नई दिशा देना भी है।
गंगा उत्सव हर वर्ष 4 नवंबर को मनाया जाता है, जो राष्ट्रीय स्तर पर “राष्ट्रीय गंगा उत्सव” के रूप में भी जाना जाता है। इस वर्ष का आयोजन विशेष है क्योंकि इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल “नमामि गंगे परियोजना” के तहत जनसहभागिता अभियान के रूप में विकसित किया गया है। इस बार का थीम “गंगा, संस्कृति और सशक्त भारत” रखा गया है।
सभी जिलों में जिला गंगा समितियों द्वारा उत्सव की रूपरेखा पहले ही तैयार कर ली गई थी। जिला अधिकारियों के निर्देशन में स्थानीय प्रशासन, स्वयंसेवी संस्थाएं, स्कूल-कॉलेज, और आम नागरिक मिलकर इस उत्सव को सफल बना रहे हैं। नदी घाटों की स्वच्छता, गंगा आरती, लोक गीत, नृत्य, पेंटिंग और फोटोग्राफी प्रदर्शनी, निबंध प्रतियोगिताएं जैसी गतिविधियों के माध्यम से जनता में गंगा संरक्षण का संदेश फैलाया जा रहा है।
वाराणसी, प्रयागराज, कानपुर, हरदोई, बुलंदशहर, और मेरठ जैसे शहरों में यह उत्सव सांस्कृतिक रंगों से सराबोर हो गया है। वाराणसी के अस्सी घाट पर प्रातःकाल से ही गंगा आरती और भजन संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय कलाकारों और विद्यार्थियों ने गंगा की महिमा का बखान लोकगीतों के माध्यम से किया। वहीं प्रयागराज में संगम तट पर सैकड़ों लोगों ने मिलकर स्वच्छता शपथ ली और गंगा घाट की सफाई में भाग लिया।
कानपुर में जिला गंगा समिति के तत्वावधान में आयोजित कला प्रदर्शनी ने सबका ध्यान आकर्षित किया। बच्चों ने अपनी कलाकृतियों के माध्यम से यह दिखाया कि गंगा न केवल एक नदी है बल्कि भारत की संस्कृति, सभ्यता और जीवन का आधार है। कला प्रदर्शनी में पर्यावरण संरक्षण और जल प्रबंधन से जुड़े चित्रों को भी प्रदर्शित किया गया।
हर जिले में गंगा समितियों ने स्थानीय समुदायों को जोड़ने पर विशेष ध्यान दिया है। ग्रामीण इलाकों में “ग्राम गंगा सभा” का आयोजन किया गया, जहां लोगों को बताया गया कि स्वच्छता और प्लास्टिक मुक्त जीवन शैली से गंगा को प्रदूषण से कैसे बचाया जा सकता है।
राज्य सरकार ने इस अवसर पर कहा कि गंगा उत्सव का मकसद केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह एक सामाजिक आंदोलन है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि “गंगा हमारी आस्था का केंद्र हैं, लेकिन उससे भी बढ़कर यह हमारी संस्कृति और जीवन का प्रतीक हैं। गंगा को स्वच्छ और अविरल बनाए रखना हर नागरिक का कर्तव्य है।” उन्होंने यह भी कहा कि गंगा की स्वच्छता से पर्यावरण, जैव विविधता और पर्यटन—all क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
लखनऊ में स्थित गंगा कायाकल्प विभाग ने बताया कि इस बार गंगा उत्सव में क्लाइमेट चेंज और जल संरक्षण को भी प्रमुख विषय के रूप में शामिल किया गया है। इसके तहत ‘चलो गंगा की ओर’ अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें युवाओं को गंगा किनारे वृक्षारोपण और सफाई गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है।
गंगा उत्सव 2025 ने यह संदेश स्पष्ट रूप से दिया है कि गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक धरोहर और जीवनरेखा है। इस उत्सव ने प्रदेश के हर कोने में यह चेतना फैलाई है कि जब तक जनसहभागिता नहीं होगी, तब तक गंगा की अविरलता और निर्मलता बनाए रखना संभव नहीं है।
उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में हो रहे इन आयोजनों ने न केवल स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाई है, बल्कि स्थानीय कलाकारों, संगीतकारों और विद्यार्थियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मंच भी दिया है। लोकगीतों और पारंपरिक कलाओं के माध्यम से गंगा की कथा जन-जन तक पहुंच रही है।








