• Create News
  • Nominate Now

    400 साल बाद टूटा राजवंश का श्राप: रानी तृषिका ने बदली किस्मत, सादगी और शालीनता से जीता लोगों का दिल

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

    भारत के इतिहास में ऐसे कई राजघराने हैं जिनकी कहानियां रहस्य, आस्था और परंपरा से भरी हुई हैं। लेकिन हाल के वर्षों में एक ऐसी दास्तान सामने आई है जिसने लोगों को हैरत में डाल दिया। कहा जाता है कि यह राजघराना पिछले 400 सालों से एक श्राप से ग्रस्त था। पीढ़ियों तक इस श्राप की वजह से राजवंश में वारिस नहीं हो पा रहा था। लेकिन जब इस राजवंश के 27वें राजा की शादी रानी तृषिका से हुई, तो न केवल यह श्राप टूटा बल्कि राजपरिवार को वर्षों बाद कुलदीपक भी प्राप्त हुआ।

    रानी तृषिका इस समय देश की सबसे चर्चित और प्रशंसित रानियों में से एक बन गई हैं। वह किसी फिल्मी पृष्ठभूमि या आधुनिक ग्लैमर की वजह से नहीं, बल्कि अपनी सादगी और पारंपरिक भारतीयता की वजह से चर्चा में हैं। वह अकसर पारंपरिक साड़ियों में नजर आती हैं और हर बार उनका रॉयल लुक सोशल मीडिया पर वायरल हो जाता है। उनकी सादगी में एक शाही गरिमा झलकती है जो आज के समय में दुर्लभ मानी जाती है।

    राजघराने की इस अनोखी कहानी की शुरुआत लगभग 17वीं शताब्दी से होती है, जब एक राजा ने एक साधु का अपमान कर दिया था। कहा जाता है कि उसी साधु ने राजवंश को यह श्राप दिया कि उनके घर में कई पीढ़ियों तक पुत्र जन्म नहीं होगा। यह श्राप तब से लेकर अब तक कायम रहा। राजघराने में बेटियों का जन्म तो होता रहा, लेकिन राजगद्दी संभालने वाला उत्तराधिकारी नहीं मिल सका।

    फिर आईं रानी तृषिका, जिन्होंने इस श्राप को समाप्त कर इतिहास रच दिया। तृषिका का विवाह राजघराने के 27वें उत्तराधिकारी राजा आदित्यदेव सिंह से हुआ। शादी के कुछ वर्षों बाद जब उनके घर में बेटे का जन्म हुआ, तो राजमहल में न केवल खुशी की लहर दौड़ गई, बल्कि यह माना गया कि सदियों से चला आ रहा श्राप अब समाप्त हो गया है। स्थानीय लोगों ने इसे एक दैवी चमत्कार बताया।

    रानी तृषिका भले ही एक आधुनिक युग की रानी हैं, लेकिन उनकी जीवनशैली में परंपरा की झलक साफ दिखाई देती है। वह सार्वजनिक कार्यक्रमों में भारी गहनों या डिजाइनर कपड़ों के बजाय सादे बनारसी या चंदेरी साड़ियों में नजर आती हैं। यही उनकी पहचान बन चुकी है। उनके पहनावे में भारतीयता की छवि झलकती है, और यही उन्हें आम लोगों के बीच लोकप्रिय बनाती है।

    कहा जाता है कि रानी तृषिका का मानना है कि “राजसी गरिमा केवल महलों से नहीं, बल्कि आचरण और सादगी से आती है।” वह अकसर समाजसेवा और ग्रामीण महिलाओं के उत्थान से जुड़े कार्यक्रमों में हिस्सा लेती हैं। उन्होंने शिक्षा, महिला स्वावलंबन और पारंपरिक हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए कई पहलें शुरू की हैं।

    उनकी लोकप्रियता केवल उनके रूप या राजसी पृष्ठभूमि के कारण नहीं, बल्कि उनकी संवेदनशील सोच और जनसेवा की भावना की वजह से भी है। हाल ही में उन्होंने महिला सशक्तिकरण पर आधारित एक पहल शुरू की, जिसके तहत ग्रामीण महिलाओं को सिलाई और हस्तकला में प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।

    रानी तृषिका के जीवन का हर पहलू प्रेरणादायक है। जहां एक ओर उन्होंने एक श्राप से ग्रस्त राजवंश को मुक्त कराया, वहीं दूसरी ओर उन्होंने अपने जीवन से यह संदेश दिया कि आधुनिकता का अर्थ परंपरा से दूर जाना नहीं, बल्कि उसे आत्मसात करना है।

    उनकी एक झलक देखने के लिए लोग सोशल मीडिया पर उत्सुक रहते हैं। जब भी वह किसी पारिवारिक या सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल होती हैं, उनके साड़ी लुक और विनम्र मुस्कान की तस्वीरें वायरल हो जाती हैं। हाल ही में एक सांस्कृतिक समारोह में उन्होंने पारंपरिक कोटा डोरिया साड़ी पहनी थी, जो उनकी शालीनता का प्रतीक बन गई।

    रानी तृषिका की कहानी केवल एक राजघराने की परंपरा और श्राप मुक्ति की गाथा नहीं, बल्कि आस्था, नारी शक्ति और भारतीय संस्कृति की जीवंत मिसाल है। उन्होंने दिखाया है कि एक सशक्त स्त्री अपने कर्म और विनम्रता से न केवल अपने परिवार की, बल्कि समाज की दिशा भी बदल सकती है।

    न्यूज़ शेयर करने के लिए क्लिक करें .
  • Advertisement Space

    Related Posts

    नागपुर के पांच साल के कुणाल ने दिखाया हिम्मत का उदाहरण, जहरीली कफ सिरप से दो महीने कोमा में रहने के बाद वेंटिलेटर से हुआ बाहर

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। नागपुर के एम्स अस्पताल में भर्ती पांच साल के कुणाल यदुवंशी ने मुश्किलों और पीड़ा के बीच अद्भुत हिम्मत दिखाई…

    Continue reading
    बांदा का कांशीराम स्मृति उपवन बनेगा बुंदेलखंड का पहला साइंस पार्क, UPCST ने दी मंजूरी

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में स्थित कांशीराम स्मृति उपवन अब एक नए और आधुनिक रूप में विकसित होगा। उपवन,…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *