• Create News
  • Nominate Now

    सरकार दे रही अफीम, एडिक्ट लोगों तक औषधि के रूप में पहुंच रही; आरटीआई में खुला चौंकाने वाला सच

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

    हाल ही में आरटीआई (सूचना का अधिकार) के माध्यम से प्राप्त जानकारी ने एक बार फिर से भारत में अफीम वितरण की संवेदनशीलता को उजागर किया है। केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो (CBN) द्वारा आरटीआई के जवाब में यह खुलासा हुआ कि भारत सरकार नियंत्रित तरीके से पंजीकृत अफीम उपयोगकर्ताओं तक औषधि के रूप में अफीम पहुंचा रही है।

    जानकारी के अनुसार, यह प्रक्रिया उन लोगों के लिए अपनाई जाती है, जो गंभीर औषधि निर्भरता (Opioid Dependence) के शिकार हैं और जिन्हें चिकित्सकीय निगरानी में अफीम की आवश्यकता होती है। सरकार का उद्देश्य इन व्यक्तियों को काले बाजार और अवैध स्रोतों से अफीम खरीदने से रोकना और उन्हें नियंत्रित डोज़ में उपलब्ध कराना है।

    CBN ने आरटीआई में बताया कि इस वितरण का पूरा रिकॉर्ड रखा जाता है और केवल पंजीकृत उपयोगकर्ताओं को ही यह सुविधा प्रदान की जाती है। साथ ही, यह वितरण स्वास्थ्य विभाग और केंद्रीय नारकोटिक्स नियंत्रण तंत्र के अधीन होता है।

    विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह का कदम दो तरफा है। एक ओर यह एडिक्ट व्यक्तियों को सुरक्षित तरीके से नशीली दवा उपलब्ध कराने में मदद करता है और उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर कम करता है, वहीं दूसरी ओर यह विषय विवादित भी माना जाता है। लोग अक्सर सवाल उठाते हैं कि क्या सरकार की इस नीति से अवैध अफीम व्यापार को प्रोत्साहन तो नहीं मिल रहा।

    सरकार ने स्पष्ट किया कि यह वितरण केवल चिकित्सकीय उद्देश्यों के लिए है। ऐसे सभी लोग जो पंजीकृत हैं, उन्हें नियमित निगरानी के तहत अफीम उपलब्ध कराई जाती है, ताकि उनके स्वास्थ्य और नशा नियंत्रण दोनों सुनिश्चित हो सकें।

    आरटीआई जवाब में यह भी सामने आया कि प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में नशा नियंत्रण विभाग और स्वास्थ्य विभाग इस वितरण की निगरानी करते हैं। यह वितरण पंजीकृत क्लीनिक और सरकारी अस्पतालों के माध्यम से किया जाता है।

    विशेषज्ञों का कहना है कि इस नीति का लक्ष्य केवल एडिक्ट व्यक्तियों को पुनर्वास के रास्ते पर लाना है। इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि मरीज को आवश्यक दवा मिल रही है, और वह अवैध बाजार की ओर न जाए।

    हालांकि, इस खुलासे ने जनता के बीच सवाल भी खड़े कर दिए हैं। कई लोग मानते हैं कि सरकार को इस प्रक्रिया में और अधिक पारदर्शिता दिखानी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह वितरण केवल जरूरतमंदों तक ही सीमित रहे।

    इस खुलासे के बाद नशा नियंत्रण विभाग ने यह जानकारी दी कि पंजीकृत एडिक्ट उपयोगकर्ताओं की संख्या नियमित रूप से अपडेट की जाती है और उन्हें दिए जाने वाले अफीम की मात्रा भी रिकॉर्ड की जाती है। साथ ही, विभाग ने यह स्पष्ट किया कि गैर-पंजीकृत व्यक्तियों को किसी भी हालत में अफीम नहीं दी जाती।

    आरटीआई से प्राप्त यह जानकारी न केवल सरकार की नीति को उजागर करती है, बल्कि यह समाज को यह भी याद दिलाती है कि एडिक्शन केवल अपराध या नशा नहीं है, बल्कि इसके पीछे गंभीर स्वास्थ्य और सामाजिक कारण भी हैं।

    विशेषज्ञों और अधिकारियों का मानना है कि नियंत्रित तरीके से अफीम वितरण नीति सही दिशा में उठाया गया कदम है। इसे केवल दवा और चिकित्सा के दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए, ताकि एडिक्ट व्यक्तियों को सुरक्षित और नियंत्रित तरीके से जीवन यापन करने में मदद मिल सके।

    न्यूज़ शेयर करने के लिए क्लिक करें .
  • Advertisement Space

    Related Posts

    त्र्यंबकेश्वर-घोटी मार्ग के लिए भूमि अधिग्रहण का किसानों ने किया विरोध, नासिक में बढ़ा आंदोलन

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। नासिक — महाराष्ट्र के नासिक जिले में त्र्यंबकेश्वर-घोटी मार्ग के चौड़ीकरण और विकास परियोजना को लेकर किसानों ने तीव्र विरोध…

    Continue reading
    छत्तीसगढ़ में आवारा पशुओं पर लगेगी लगाम, रायपुर समेत सभी शहरों में एक महीने तक चलेगा विशेष अभियान

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। रायपुर — छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्यभर में आवारा पशुओं की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए एक विशेष अभियान की…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *