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पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले फेज का मतदान कल, यानी 6 नवंबर को आयोजित किया जाएगा। इस चरण में कुल 121 सीटों पर वोटिंग होनी है, जो कि राज्य की राजनीतिक दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएंगी। चुनावी इतिहास और आंकड़ों पर नजर डालें तो 2020 के विधानसभा चुनाव में इन 121 सीटों में महागठबंधन ने 61 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि NDA ने 59 सीटों पर अपना कब्जा जमाया था। इस हिसाब से देखा जाए तो पहला फेज दोनों ही गठबंधनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होने वाला है।
विशेषज्ञों का कहना है कि पहले फेज की सीटें भविष्य के चुनावी नतीजों का एक संकेत देने का काम करती हैं। इन 121 सीटों का आंकड़ा इस बात की ओर इशारा करता है कि महागठबंधन के लिए यह फेज अपनी पकड़ मजबूत करने का मौका है, वहीं NDA के लिए यह चुनौतीपूर्ण है कि वे पिछली बार की तुलना में अधिक सीटें जीतकर अपनी स्थिति को और मजबूत करें। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि पहले फेज का परिणाम अगले फेज के मतदान पर भी असर डाल सकता है, क्योंकि पार्टियों के कार्यकर्ता और मतदाता उस परिणाम के आधार पर अपनी रणनीति तय करेंगे।
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि पहले फेज की इन 121 सीटों में खास तौर पर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों का मिश्रण है। ग्रामीण क्षेत्रों में जातीय और स्थानीय मुद्दे अधिक प्रभावी रहते हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में विकास, रोजगार और शिक्षा जैसे मुद्दे मतदाताओं के निर्णय में अहम भूमिका निभाते हैं। इसलिए दोनों गठबंधन इन सीटों पर पूरी रणनीति के साथ चुनाव प्रचार कर रहे हैं।
महागठबंधन के नेता पहले फेज में मजबूत प्रदर्शन के लिए स्थानीय मुद्दों के साथ जनता तक अपनी उपलब्धियों और विकास योजनाओं को पहुंचा रहे हैं। वहीं NDA ने अपने राष्ट्रीय नेताओं और राज्य कार्यकर्ताओं की मदद से प्रचार तेज किया है। NDA का लक्ष्य पहले फेज में महागठबंधन के आधार वोट को चुनौती देना और अपने उम्मीदवारों के लिए जीत की राह आसान करना है।
राजनीतिक विश्लेषण में यह भी कहा जा रहा है कि पहले फेज में उम्मीदवारों की लोकप्रियता, जातीय समीकरण, और पिछले चुनावों में हुई जीत-हार के आंकड़े निर्णायक साबित होंगे। एनडीए और महागठबंधन दोनों ही दल इन आंकड़ों का बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं और हर सीट पर अपने उम्मीदवारों की स्थिति को मजबूत करने की रणनीति बना रहे हैं।
मतदान की सुरक्षा और निष्पक्षता को लेकर भी चुनाव आयोग ने पूरी तैयारी कर ली है। पहले फेज में सुरक्षा बलों की तैनाती, मतदान केंद्रों की निगरानी और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) की जांच पर विशेष ध्यान दिया गया है। आयोग ने कहा है कि हर वोट की सुरक्षा और सही तरीके से गिनती सुनिश्चित की जाएगी।
राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि पहले फेज का परिणाम सीधे तौर पर चुनावी माहौल पर प्रभाव डाल सकता है। यदि महागठबंधन यहां अच्छी पकड़ बनाता है तो अगले फेज में उसके उम्मीदवारों को मनोवैज्ञानिक लाभ मिलेगा, वहीं NDA के लिए यह अवसर है कि वे पिछली हार को भूलाकर चुनावी मोर्चे पर मजबूत स्थिति दर्ज कर सकें।
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले फेज का यह मुकाबला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दोनों गठबंधनों की रणनीति और लोकप्रियता का असली परीक्षण है। बिहार के मतदाता इस फेज के माध्यम से अपनी पसंद जाहिर करेंगे और परिणाम आने के बाद राजनीतिक दलों की अगली चाल तय होगी।
चुनाव विशेषज्ञों का मानना है कि पहले फेज की 121 सीटों का परिणाम पूरी राजनीति को प्रभावित करेगा और अगले फेज में उम्मीदवारों और दलों की रणनीति में बदलाव ला सकता है। इस लिहाज से यह फेज पूरी तरह से निर्णायक कहा जा सकता है।








