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    महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप में मुंबई की मिसाल: डी.वाई. पाटिल स्टेडियम से 63 टन कचरा इकट्ठा कर किया गया प्रोसेस

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    महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप 2025 के दौरान मुंबई ने न सिर्फ खेल के मैदान पर बल्कि पर्यावरण के मोर्चे पर भी एक शानदार उदाहरण पेश किया। नवी मुंबई स्थित डी.वाई. पाटिल स्टेडियम में खेले गए मैचों के दौरान कुल 63 टन कचरा एकत्र किया गया, जिसे आधुनिक तकनीकों की मदद से पूरी तरह प्रोसेस और रीसायकल किया गया।

    यह उपलब्धि मुंबई महानगरपालिका (BMC) और स्थानीय पर्यावरण संगठनों के संयुक्त प्रयासों का नतीजा है। बीएमसी ने बताया कि यह अब तक का सबसे बड़ा “ग्रीन इवेंट” मैनेजमेंट अभियान रहा, जिसमें स्टेडियम परिसर और आसपास के क्षेत्रों को “जीरो वेस्ट जोन” में बदला गया।

    बीएमसी के अधिकारी ने बताया कि महिला वर्ल्ड कप के दौरान स्टेडियम में रोजाना औसतन 8 से 10 टन कचरा जमा होता था। इस कचरे में प्लास्टिक बोतलें, खाद्य अपशिष्ट, पेपर वेस्ट और पैकेजिंग मटेरियल शामिल थे। सभी कचरे को अलग-अलग डिब्बों में जमा किया गया और बाद में प्रोसेसिंग प्लांट में भेजा गया।

    खेल के साथ स्वच्छता की मिसाल
    स्टेडियम प्रबंधन ने कचरा पृथक्करण की व्यवस्था को अत्याधुनिक स्तर पर लागू किया था। प्रत्येक ब्लॉक में “वेट वेस्ट” और “ड्राई वेस्ट” के लिए अलग-अलग डस्टबिन रखे गए। मैच के दौरान और उसके बाद सफाई कर्मचारियों की टीम ने तुरंत कार्रवाई कर स्टेडियम को साफ-सुथरा बनाए रखा।

    स्टेडियम के भीतर लगाए गए कलेक्शन प्वाइंट्स से कचरा सीधे नवी मुंबई म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुँचाया गया, जहां जैविक कचरे को कम्पोस्ट में बदला गया और प्लास्टिक तथा धातु को रीसायकल के लिए भेजा गया।

    स्थानीय संगठनों का योगदान
    इस अभियान में कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी सक्रिय भूमिका निभाई। पर्यावरण संस्था “ग्रीन मुंबई फाउंडेशन” और “सस्टेनेबल स्पोर्ट्स इंडिया” ने जागरूकता अभियान चलाकर दर्शकों को स्वच्छता और जिम्मेदार अपशिष्ट प्रबंधन के प्रति प्रेरित किया। उन्होंने दर्शकों को मैचों के दौरान सिंगल-यूज़ प्लास्टिक से परहेज़ करने और अपने कचरे को निर्दिष्ट स्थानों पर डालने की अपील की।

    बीएमसी की स्वच्छता शाखा के प्रमुख अधिकारी ने बताया कि “हमारा उद्देश्य केवल स्टेडियम को साफ रखना नहीं था, बल्कि एक नई सोच पैदा करना था—कि बड़े आयोजनों में भी पर्यावरण की रक्षा संभव है।”

    सस्टेनेबल स्पोर्ट्स की दिशा में कदम
    डी.वाई. पाटिल स्टेडियम में हुए इस अभियान को देशभर में “सस्टेनेबल स्पोर्ट्स मॉडल” के रूप में सराहा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल भविष्य में भारत में होने वाले बड़े खेल आयोजनों के लिए एक प्रेरणा बनेगी।

    पर्यावरणविदों का कहना है कि अगर हर खेल आयोजन इसी तरह कचरा पृथक्करण और रीसाइक्लिंग के मानकों को अपनाए, तो देश भर में सालाना हजारों टन कचरे को पुनः उपयोग में लाया जा सकता है।

    खिलाड़ियों ने भी दी स्वच्छता की सीख
    महिला क्रिकेट टीम की कई खिलाड़ियों ने इस मुहिम की सराहना की। भारतीय कप्तान हरमनप्रीत कौर ने कहा, “यह देखकर गर्व होता है कि हमारे मैच सिर्फ खेल के लिए नहीं बल्कि एक सकारात्मक बदलाव के प्रतीक बन रहे हैं। हमें अपने पर्यावरण की जिम्मेदारी भी उतनी ही गंभीरता से लेनी चाहिए।”

    भविष्य के लिए योजना
    बीएमसी ने घोषणा की है कि भविष्य में सभी अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में “जीरो वेस्ट पॉलिसी” को लागू किया जाएगा। इस मॉडल को अब वानखेड़े स्टेडियम और ब्रेबोर्न स्टेडियम में भी लागू करने की तैयारी है।

    नवी मुंबई के मेयर ने कहा कि “महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप ने न केवल भारत को गौरवान्वित किया, बल्कि यह दिखाया कि हम पर्यावरण संरक्षण में भी दुनिया को राह दिखा सकते हैं।”

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