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बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी की चुनावी रणनीति ने एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना दिया है। खासतौर पर “बंदर प्रयोग” के रूप में सामने आई नई शैली ने न केवल विपक्ष को बैकफुट पर धकेला, बल्कि पार्टी की चुनावी छवि को भी सशक्त बनाया। यह प्रयोग इतना सफल रहा कि अब उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसी रणनीति को अपने राज्य में और आक्रामक रूप में दोहराने की तैयारी में हैं।
दरअसल, बीजेपी की चुनावी टीम ने बिहार में जनता से जुड़ने के लिए सांस्कृतिक प्रतीकों और लोककथाओं का इस्तेमाल किया। इस रणनीति को “बंदर प्रयोग” कहा गया, जिसका उद्देश्य था — विपक्ष की नकारात्मक राजनीति के बीच जनता तक सीधा और सरल संदेश पहुंचाना। इसके तहत योगी आदित्यनाथ की सभाओं और भाषणों में धार्मिक प्रतीकों, विशेष रूप से हनुमान जी से जुड़े संदर्भों का कुशलतापूर्वक प्रयोग किया गया, जिसने जनमानस में सकारात्मक प्रतिक्रिया पैदा की।
सीएम योगी आदित्यनाथ की छवि हमेशा से एक सशक्त और निर्णायक नेता की रही है। लेकिन आने वाले यूपी चुनाव में वे इस छवि को और निखारने की तैयारी में हैं। बिहार में जिस तरह उन्होंने विपक्ष की नीतियों पर व्यंग्य करते हुए जनहित की बातों को धार्मिक और सांस्कृतिक रूपकों से जोड़ा, वही शैली अब यूपी में भी देखने को मिलेगी। सूत्रों के मुताबिक, योगी का यह नया अंदाज — ‘सॉफ्ट स्पिरिचुअलिज्म विद स्ट्रॉन्ग पॉलिटिक्स’ — आगामी चुनावों में बीजेपी की मुख्य रणनीति का केंद्र रहेगा।
बिहार में हुए “बंदर प्रयोग” के तहत पार्टी ने जमीनी स्तर पर धार्मिक भावना, विकास और राष्ट्रवाद के मेल को नया रूप दिया। परिणामस्वरूप, ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बीजेपी की पकड़ मजबूत हुई। चुनावी सभाओं में सीएम योगी के भाषणों को लोगों ने बड़ी संख्या में सुना और सोशल मीडिया पर साझा किया। इस रणनीति ने न केवल बीजेपी की विचारधारा को जनमानस तक पहुंचाया, बल्कि विपक्ष की पारंपरिक जातिगत राजनीति को भी चुनौती दी।
बिहार चुनाव के दौरान विपक्षी दलों ने सीएम योगी और बीजेपी पर सांप्रदायिक राजनीति करने का आरोप लगाया था, लेकिन जनता ने इसे “आस्था और विकास का संगम” मानते हुए स्वीकार किया। इस सफलता ने विपक्ष की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि उत्तर प्रदेश में भी यह फॉर्मूला असरदार साबित हो सकता है।
अब योगी सरकार उत्तर प्रदेश में इस रणनीति को लागू करने के लिए प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर सक्रिय है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, आने वाले महीनों में सीएम योगी कई रैलियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए जनता से सीधा संवाद करेंगे। खासतौर पर पश्चिमी और पूर्वी यूपी के अर्ध-शहरी इलाकों में ‘बंदर प्रयोग’ की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई देगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि योगी आदित्यनाथ ने धार्मिक भावनाओं को राजनीतिक दृष्टिकोण से जोड़ने की कला को नए स्तर पर पहुंचा दिया है। वे केवल धर्म की बात नहीं करते, बल्कि उसे विकास, सुरक्षा और राष्ट्रवाद की धारा में पिरो देते हैं। यही कारण है कि उनका हर भाषण जनता में गहरी छाप छोड़ता है।
बिहार में मिली सफलता ने यह साबित कर दिया कि बीजेपी की “बंदर रणनीति” केवल चुनावी जुमला नहीं, बल्कि एक गहराई से सोची-समझी योजना है। अब जब उत्तर प्रदेश चुनाव का माहौल गर्म हो रहा है, तो सीएम योगी आदित्यनाथ का यह नया और अधिक आत्मविश्वासी रूप विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बिहार का यह प्रयोग यूपी में भी उतनी ही मजबूती से काम करता है या नहीं।








