




डिजिटल इंडिया के अगले चरण की तैयारी, हर नागरिक के पते को डिजिटल पहचान से जोड़ने की योजना।
नई दिल्ली:भारत सरकार डिजिटल इंडिया पहल को और मजबूती देने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाने जा रही है। आधार और यूपीआई (UPI) जैसी सफल डिजिटल पहलों के बाद अब सरकार एक यूनिक डिजिटल एड्रेस आईडी (Digital Address ID) लाने की तैयारी कर रही है, जिससे देश के हर नागरिक का पता एक डिजिटल मैट्रिक्स के अंतर्गत आ सकेगा।
क्या है डिजिटल एड्रेस ID का मकसद?
सरकार की इस पहल का मुख्य उद्देश्य हर व्यक्ति के पते को एक मानकीकृत डिजिटल फॉर्मेट में बदलना है, ताकि डिलीवरी सेवाओं, सरकारी सुविधाओं और पहचान सत्यापन की प्रक्रियाएं और अधिक सटीक, तेज़ और सुरक्षित बन सकें।
वर्तमान में कोई ऐसी प्रणाली नहीं है जिससे पूरे देश में एकसमान तरीके से लोगों के पते का पता लगाया जा सके। यह नई डिजिटल एड्रेस ID इसी कमी को दूर करने की कोशिश करेगी।
कौन बना रहा है ये सिस्टम?
इस डिजिटल सिस्टम को भारतीय डाक विभाग (Department of Posts) द्वारा तैयार किया जा रहा है और इसकी निगरानी सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) द्वारा की जा रही है। सरकार जल्द ही इसका ड्राफ्ट वर्जन आम जनता के सुझाव के लिए जारी करेगी।
इस साल के अंत तक इसका अंतिम संस्करण आने की संभावना है और शीतकालीन सत्र में संसद में एक कानून लाकर इस पर अमल की संभावना है।
कैसे काम करेगा डिजिटल एड्रेस सिस्टम?
१. हर नागरिक को एक यूनिक डिजिटल एड्रेस कोड मिलेगा।
२. यह कोड पूरी तरह से यूज़र की सहमति से ही शेयर किया जा सकेगा।
३. इससे ऑनलाइन शॉपिंग, फूड डिलीवरी, कूरियर जैसी सेवाएं और सरकारी
योजनाएं और ज्यादा सटीक और विश्वसनीय होंगी।
क्या होगी इसकी सुरक्षा?
१. यह सिस्टम पूरी तरह से डेटा गोपनीयता और सुरक्षा मानकों का पालन करेगा।
२. बिना यूज़र की परमिशन के पता किसी के साथ साझा नहीं किया जाएगा।
३. यह कदम एड्रेस आधारित धोखाधड़ी और डेटा लीक जैसी घटनाओं पर लगाम
लगाने में मदद करेगा।
क्यों जरूरी है डिजिटल एड्रेस?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, गलत या अधूरे पते की वजह से हर साल भारत को लगभग ₹10 से ₹14 अरब (Billions) का नुकसान होता है, जो कि देश की GDP का लगभग 0.5% है।
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