




ग्लोबल वॉर्मिंग का खतरा 2025 से और बढ़ेगा, वैज्ञानिकों की चेतावनी – “हर साल बढ़ेगा औसत तापमान, बचे नहीं रहेंगे सुरक्षित इलाके”
नई दिल्ली: क्या पृथ्वी विनाश की ओर बढ़ रही है? यह सवाल अब केवल सैद्धांतिक नहीं रहा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक संस्थाओं के ताजा रिपोर्ट्स ने इसकी गंभीरता को रेखांकित किया है। दुनिया की जलवायु अब एक ऐसे मोड़ पर है, जहां एक साथ बाढ़, सूखा, चक्रवात और आग जैसी आपदाएं दस्तक दे सकती हैं।
ब्रिटेन के मौसम विभाग और विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने चेताया है कि 2025 से 2029 के बीच पृथ्वी का औसत तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ सकता है, और यह संभावना 80% तक पहुँच चुकी है। यह स्थिति मानव सभ्यता के अस्तित्व के लिए बेहद घातक साबित हो सकती है।
तापमान वृद्धि से क्या होगा विनाश?
१. लगातार गर्मी की लहरें चलेंगी, जिससे हीट स्ट्रोक और मौतें बढ़ेंगी।
२. हिमनदियाँ पिघलेंगी, समुद्र की सतह ऊँची होगी, जिससे तटीय शहरों पर संकट गहराएगा।
३. कहीं बाढ़, कहीं सूखा, तो कहीं चक्री तूफानों का सिलसिला – एक साथ कई आपदाएं आएंगी।
४. जंगलों में आग, पानी की कमी और खेती की तबाही – इन सबका असर सीधे खाद्य सुरक्षा पर पड़ेगा।
५. शहरों का विस्थापन, जल स्रोतों का खत्म होना, और मूल्यवृद्धि के कारण भूखमरी जैसे हालात बनेंगे।
गरीब देश होंगे सबसे ज्यादा प्रभावित
WHO और अन्य एजेंसियों के अनुसार, इन जलवायु आपदाओं का सबसे अधिक प्रभाव गरीब और विकासशील देशों पर पड़ेगा। लाखों लोग विस्थापित होंगे, करोड़ों की जान और आजीविका खतरे में आएगी।
वैज्ञानिकों ने चेताया है कि अगर ग्लोबल टेम्परेचर की यह वृद्धि नहीं रोकी गई, तो दुनिया के कई इलाके 2030 तक मानव निवास के लायक नहीं रहेंगे।
यह केवल चेतावनी नहीं, बल्कि आपात स्थिति है
विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन अब भविष्य की नहीं, बल्कि वर्तमान की आपदा है। अगर दुनिया ने समय रहते जरूरी कदम नहीं उठाए, तो हम अपनी आंखों के सामने आने वाले दशक में प्रकृति के सबसे क्रूर रूप को देखेंगे।
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