




रुपये में इस बढ़त के पीछे साप्ताहिक लाभ समेत कई फैक्टर है. रुपये ने इस हफ्ते में लगभग 2% की बढ़त हासिल की है. इसके अलावा भारतीय इक्विटी में लगातार तेजी देखी गई.
अमेरिकी डॉलर के मूल्यों में लगातार आ रही गिरावट की वजह से भारतीय करेंसी अब अपना दम दिखा रही है. शुक्रवार को रुपया पिछले करीब 7 महीने में सबसे ऊपर चढ़कर 84.09 रुपये प्रति डॉलर पर खुला और इसके बाद रुपया 0.85 पैसा और मजबूती के साथ 83.78 के स्तर पर पहुंच गया. साल 2024 के अक्टूबर के बाद ऐसा पहली बार है जब रुपया प्रति डॉलर 84 के स्तर पर पहुंचा है.
7 महीने में सबसे मजबूत रुपया
रुपये में इस बढ़त के पीछे साप्ताहिक लाभ समेत कई फैक्टर है. रुपये ने इस हफ्ते लगभग 2% की बढ़त हासिल की है. इसके अलावा भारतीय इक्विटी में लगातार तेजी देखी गई. ट्रम्प प्रशासन के तहत अमेरिका और भारत के बीच जल्द होने वाले व्यापार समझौते ने जहां उम्मीदों को और बढ़ाया तो वहीं विदेशी बैंकों की ओर से भारी डॉलर की बिकवाली (संभवतः विदेशी ग्राहकों की ओर से) और मंदी की स्थिति का कम होना भी रुपये के लिए टॉनिक का काम किया है.
पिछले लगातार 11 सत्रों से विदेश संस्थागत निवेशकों ने भारतीय इक्विटी के खरीदार रहे हैं, जो पिछले दो साल में इस तरह का सबसे लंबा सिलसिला है. इसकी वजह से भी रुपये का मजबूती में जरदस्त समर्थन मिला है. एचडीएफसी सिक्योरिटीज में सीनियर रिसर्च दिलीप परमार का कहना है, नवंबर 2022 के बाद भारतीय रुपये में एक दिन में सबसे ज्यादा उछाल है. भू-राजनीतिक तनाव के बावजूद अन्य एशियाई करेंसी में बढ़तर ने भी भारतीय रुपये की मजबूती में मदद की है.
रुपये के पक्ष में कई फैक्टर
रुपये में हाल में आयी मजबूती के बाद बाजार के कई जानकारों को अपनी भविष्यवाणियों पर फिर से विचार कर रहे हैं. जापान का बैंक MUFG अब ये उम्मीद कह रहा है कि 2025 के आखिर तक रुपये 84 के स्तर पर आ जाएगा, जो उसका पूर्वानुमान 87 का था. बैंक ने कहा कि हम ये उम्मीद करते हैं कि डॉलर की कमजोरी और ट्रंप 2.0 की सरकार में भारत के लिए अनुकूल टैरिफ की वजह से अन्य एशियाई करेंसी के मुकाबलेभारतीय रुपया बेहतर प्रदर्शन करेगा. विदेशी बैंकों से लगातार डॉलर की सप्लाई ने भी रुपये को दौड़ लगाने में मदद की है.