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    हमारी प्यारी बहनों को अप्रैल का वेतन देने के लिए इन दोनों विभागों के फंड में कटौती की गई!

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    इस बात पर संदेह पैदा होने लगा है कि क्या मुख्यमंत्री की प्यारी बहना योजना सरकार के लिए कांटा बन गई है।

    विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में महागठबंधन सरकार ने प्यारी बहन योजना शुरू की। इसके तहत महिलाओं के खातों में 1500 रुपये डाले गए। इस बीच यह भी वादा किया गया कि चुनाव के बाद यह राशि बढ़ाकर 2100 कर दी जाएगी। अब प्यारी बहनें 2100 रुपए की उम्मीद कर रही हैं। लेकिन हमने ऐसा कभी नहीं कहा, यह तो महागठबंधन के नेता कह रहे हैं। लेकिन तस्वीर यह उभर रही है कि सरकार को अपनी प्यारी बहनों को भुगतान करने के लिए अपना खजाना खाली करना पड़ रहा है। जानकारी मिली है कि दो विभागों की वेतन पर्चियों को अप्रैल की वेतन पर्चियों के भुगतान के लिए डायवर्ट कर दिया गया है।

    इस बात पर संदेह पैदा होने लगा है कि क्या मुख्यमंत्री की प्यारी बहन योजना सरकार के लिए कांटा बन गई है। क्योंकि वित्त विभाग ने अनुसूचित जाति और नव-बौद्ध समुदायों के लिए आदिवासी विकास विभाग और सामाजिक न्याय विभाग से धन को प्रिय बहनों को भुगतान करने के लिए दे दिया है। वित्त विभाग ने कहा है कि अन्य विभागों से धनराशि लिए बिना प्रिय बहनों को भुगतान करना संभव नहीं है।

    प्यारी बहन योजना कब शुरू हुई?
    विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन सरकार ने मुख्यमंत्री प्यारी बहन योजना शुरू की थी। अब महाराष्ट्र की प्यारी बहनों को अप्रैल की किस्त का इंतजार है। राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे द्वारा सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर दी गई जानकारी के अनुसार, महत्वाकांक्षी योजना ‘मुख्यमंत्री माझी प्यारी बहन’ के अंतर्गत अप्रैल माह की मानदेय निधि पात्र लाभार्थी लड़की बहिनों के आधार लिंक्ड बैंक खातों में जमा करने की प्रक्रिया आज से शुरू की जा रही है। मंत्री अदिति तटकरे ने बताया कि यह प्रक्रिया अगले 2 से 3 दिनों में पूरी हो जाएगी और सभी पात्र लाभार्थियों को सीधे उनके खातों में धनराशि प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए सरकार का संकल्प और मजबूत हो रहा है।

    जनजातीय विभाग के कोष से कितनी कटौती की जाएगी?
    प्यारी बहन योजना की लगभग 2 करोड़ 34 लाख महिलाएं लाभार्थी हैं। इस योजना की मासिक किस्तों का असर कई सरकारी योजनाओं पर पड़ रहा है। हाल ही में संपन्न बजट सत्र में आदिवासी विभाग की निधि में 4,000 करोड़ रुपये और सामाजिक न्याय विभाग की निधि में 3,000 करोड़ रुपये की कटौती की गई। सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट ने इस पर खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की है। अब राज्य सरकार ने आदिवासी विकास विभाग और सामाजिक न्याय विभाग को प्यारी बहन योजना के लिए दी जाने वाली राशि को महिला एवं बाल विकास विभाग को दे दिया है। आदिवासी विभाग से 335.70 करोड़ रुपये और सामाजिक न्याय विभाग से 410.30 करोड़ रुपये की धनराशि महिला एवं बाल विकास विभाग को दे दी गई है। राज्य सरकार के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि आदिवासी, अनुसूचित जाति और नवबौद्ध समुदायों के लिए कई योजनाओं में कटौती करनी पड़ेगी।

    प्यारी बहन की योजना कभी ख़त्म नहीं होगी’
    महाराष्ट्र में प्यारी बहन योजना की शुरुआत करने वाले उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का कहना है कि महाराष्ट्र में प्यारी बहन योजना कभी बंद नहीं होगी। उन्होंने विपक्ष पर ऐसी अफवाहें फैलाने का आरोप लगाया है। उन्होंने नागरिकों से झूठी सूचनाओं पर विश्वास न करने की अपील की। पार्टी के चुनाव घोषणापत्र के पूर्ण कार्यान्वयन का आश्वासन देते हुए एकनाथ शिंदे ने कहा, “हम मुद्रण त्रुटियों का बहाना नहीं बनाएंगे।” मैं आपसे जो वादा करता हूं वह पूरा होगा और जो असंभव है वह नहीं होगा।’

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