




भारत-ब्रिटेन ने मंगलवार को एक ‘ऐतिहासिक’ व्यापार समझौता पूरा कर लिया जो चमड़े, जूते एवं कपड़ों जैसे श्रम-बहुल उत्पादों के निर्यात पर शुल्क हटा देगा, जबकि ब्रिटेन से व्हिस्की और कारों का आयात सस्ता हो जाएगा.
भारत और ब्रिटेन ने करीब 3 साल तक चली लंबी बातचीत के बाद ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते पर मुहर लगा दी. दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था भारत और छठी बड़ी अर्थव्यवस्था ब्रिटेन के बीच व्यापार समझौता पूरा होने का मंगलवार को ऐलान किया गया. पीएम मोदी ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टार्मर से फोन पर बात होने के बाद इन समझौतों के संपन्न होने की घोषणा की.
पीएम मोदी ने इसे ‘ऐतिहासिक मील का पत्थर’ बताते हुए कहा कि भारत-ब्रिटेन ने दोहरे अंशदान समझौते के साथ एक महत्वाकांक्षी औप पारस्परिक रूप से लाभकारी मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को सफलतापूर्वक संपन्न किया है. उन्होंने कहा कि ये ऐतिहासिक समझौते हमारी व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करेंगे. साथ ही, दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं में व्यापार, निवेश, विकास, रोजगार सृजन और नवोन्मेषण को बढ़ावा देंगे.’’
समझौते से क्या होगा?
‘ऐतिहासिक’ व्यापार समझौते के बाद चमड़े, जूते और कपड़ों जैसे श्रम-बहुल उत्पादों के निर्यात पर शुल्क हटा देगा, जबकि ब्रिटेन से व्हिस्की-कारों का आयात सस्ता हो जाएगा. इस समझौते से साल 2030 तक दोनों इकॉनोमी के बीच व्यापार दोगुना होकर 120 अरब डॉलर होने की उम्मीद है.
एफटीए लागू होने पर ब्रिटेन के बाजार में 99 प्रतिशत भारतीय उत्पादों पर शुल्क शून्य हो जाएगा, जबकि भारतीय श्रमिकों को ब्रिटेन की आव्रजन प्रणाली में बदलाव के बगैर ही यात्रा करने की अनुमति होगी. इसके अलावा भारतीय वस्त्र, फ्रोजन झींगे, आभूषण और रत्नों के निर्यात पर करों में कटौती की जाएगी.
ब्रिटेन से व्हिस्की पर शुल्क में कटौती
इसी तरह ब्रिटेन से व्हिस्की और जिन जैसी शराब किस्मों के आयात शुल्क में भी कटौती की जाएगी. दोनों पक्षों के कोटा के तहत वाहनों के आयात पर शुल्क 10 प्रतिशत हो जाएगा, जिससे टाटा-जेएलआर जैसी वाहन कंपनियों को लाभ होगा. ब्रिटेन में शून्य शुल्क पर प्रवेश करने वाले भारतीय उत्पादों में खनिज, रसायन, रत्न एवं आभूषण, प्लास्टिक, रबड़, लकड़ी, कागज, कपड़े, कांच, सिरेमिक, यांत्रिक एवं बिजली मशीनरी, हथियार/गोला-बारूद, परिवहन/वाहन, फर्नीचर, खेल के सामान, पशु उत्पाद और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ शामिल हैं.
एफटीए के तहत दो देश अधिकतम उत्पादों के व्यापार पर सीमा शुल्क को या तो समाप्त कर देते हैं या काफी कम कर देते हैं. इसके अलावा सेवाओं एवं द्विपक्षीय निवेश में व्यापार को बढ़ावा देने के मानदंडों को भी आसान बनाया जाता है. भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2023-24 में 21.34 अरब डॉलर रहा था. वित्त वर्ष 2024-25 के पहले 10 महीनों में वस्तुओं का व्यापार 21.33 अरब डॉलर रहा.
सेब-पनीर में कोई रियायत नहीं
मुक्त व्यापार समझौते के तहत भारत डेयरी उत्पादों, सेब और पनीर जैसी संवेदनशील कृषि वस्तुओं पर आयात शुल्क में ब्रिटेन को कोई रियायत नहीं देगा. करीब 10 प्रतिशत शुल्क लाइनें संवेदनशील वस्तुओं की सूची में हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया है कि डेयरी उत्पाद, सेब, पनीर आदि कृषि उत्पादों को किसी भी शुल्क रियायत से बाहर रखा गया है. इससे भारत को अपने किसानों के हितों की रक्षा करने में मदद मिलेगी.
भारत ने पिछले साल मार्च में हस्ताक्षरित ईएफटीए (यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ) व्यापार समझौते के तहत स्विट्जरलैंड और नॉर्वे को भी डेयरी क्षेत्र में कोई शुल्क रियायत नहीं दी है.ब्रिटेन भारत के विशाल बाजार को देखते हुए इन उत्पादों पर कुछ शुल्क रियायतों की उम्मीद कर रहा था. देश में दूध और दूध उत्पादों पर करीब 30 प्रतिशत आयात शुल्क है.