




‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर फिल्म बनाने की प्रतियोगिता; नाम के पेटेंट के लिए 15 निर्माताओं के बीच विवाद।
भारतीय वायुसेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने न सिर्फ सीमा पर बल्कि बॉलीवुड में भी एक तरह की जंग छेड़ दी है। इस घटना पर फिल्म बनाने के लिए बॉलीवुड से 15 से अधिक निर्माता और निर्देशकों ने आवेदन किया है।
भारतीय वायुसेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए पाकिस्तान में आतंकी शिविरों को नष्ट कर दिया है। पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकवादी शिविरों को नष्ट करने वाले ऑपरेशन पर आधारित फिल्म बनाने के लिए कई स्टूडियो के बीच होड़ शुरू हो गई है। ‘टी-सीरीज’, ‘जी स्टूडियोज’, ‘महावीर जैन फिल्म्स’, मधुर भंडारकर, अशोक पंडित समेत कुल 15 से अधिक निर्माता और निर्देशकों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शीर्षक पाने के लिए आवेदन किया है।
ऑपरेशन की पृष्ठभूमि
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 नागरिक मारे गए। इस क्रूर घटना के बाद भारत सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। रात के समय वायुसेना की एक विशेष इकाई ने 25 मिनट के अंतराल में 24 सटीक मिसाइलों की मदद से पाकिस्तान में नौ बड़े आतंकवादी शिविरों को नष्ट कर दिया। इस अभियान में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के गुप्त ठिकाने शामिल थे। इस ऑपरेशन में लगभग 70 आतंकवादी मारे गए और 60 घायल हो गए।
बॉलीवुड में देशभक्ति की लहर का असर
‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’, ‘शेरशाह’, ‘राजी’, ‘बॉर्डर’ जैसी फिल्मों ने देशभक्ति और सैन्य वीरता को वास्तविक रूप से चित्रित करके बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफलता हासिल की है। इसीलिए निर्माताओं को पूरा भरोसा है कि देश के लिए एक रोमांचक और महत्वपूर्ण घटना पर आधारित ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी फिल्म को दर्शकों का शानदार प्रतिसाद मिलेगा।
एफडब्लूआईसीई अध्यक्ष ने क्या कहा?
फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज (एफडब्ल्यूआईसीई) के अध्यक्ष बी.एन. तिवारी ने कहा, ‘हमें 15 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं। इसमें कई नामी प्रोडक्शन हाउस शामिल हैं। समिति जल्द ही बैठक करेगी और निर्णय लेगी कि यह उपाधि किसे दी जानी चाहिए। इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और ईमानदारी पर जोर दिया जाएगा।
मधुर भंडारकर और अन्य निर्माताओं की योजनाएँ
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक मधुर भंडारकर ने कहा, ‘यह महज एक युद्ध नहीं था, बल्कि भारतीय सेना के धैर्य, सटीक योजना और देशभक्ति का प्रतीक था। मैं इस पर फिल्म बनाकर इस वास्तविकता को लोगों के सामने लाना चाहता हूं।’ कुछ निर्माताओं ने तो ऑपरेशन में शामिल सैनिकों के परिवारों का साक्षात्कार भी लेना शुरू कर दिया है। ताकि फिल्म में और अधिक ईमानदारी आए।
शीर्षक पंजीकरण की कानूनी कठिनाइयाँ
किसी फिल्म के शीर्षक के पंजीकरण के लिए भारतीय मोशन पिक्चर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईएमपीपीए), फिल्म राइटर्स एसोसिएशन (एफडब्ल्यूए) और स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन (एसडब्ल्यूए) को अलग-अलग आवेदन प्रस्तुत किए जाते हैं। यदि एक ही शीर्षक के लिए कई आवेदन हों, तो निर्णय इस आधार पर किया जाता है कि कौन सा संगठन पहले पंजीकरण करता है और किस निर्माता के पास अवधारणा को विकसित करने के लिए उपयुक्त साक्ष्य हैं।