




भारत की पहली महिला राफेल पायलट शिवांगी सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर में अहम भूमिका निभाई है. उन्होंने बचपन में सपना देखा था और आज वह देश की शान बन चुकी हैं.
जब भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक कर दुनिया को चौंकाया, तब राफेल लड़ाकू विमानों की ताकत एक बार फिर चर्चा में आ गई. इसी राफेल को उड़ाने वाली भारत की पहली और इकलौती महिला पायलट शिवांगी सिंह अब देश की नई प्रेरणा बन चुकी हैं. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी उनकी भूमिका अहम रही, जिसने ये साबित कर दिया कि आज की भारतीय महिलाएं किसी भी मोर्चे पर पीछे नहीं हैं.
वाराणसी की रहने वाली शिवांगी सिंह का सपना बचपन में ही शुरू हो गया था. जब वे महज 9 साल की थीं, तब दिल्ली के एयरफोर्स म्यूजियम में पहली बार फाइटर जेट्स को देखा. उसी पल उन्होंने तय कर लिया कि उन्हें पायलट बनना है. उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की और फिर हैदराबाद स्थित भारतीय वायुसेना अकादमी में दाखिला लेकर ट्रेनिंग शुरू की.
2017 में बनी वायुसेना का हिस्सा
शिवांगी को 2017 में भारतीय वायुसेना में महिला फाइटर पायलट्स के दूसरे बैच में कमीशन मिला. शुरुआती समय में उन्होंने मिग-21 बाइसन जैसे पुराने लेकिन तेज रफ्तार विमान उड़ाए. उनकी काबिलियत और साहस को देखते हुए उन्हें 2020 में राफेल फाइटर जेट उड़ाने के लिए चुना गया. इस तरह वह भारत की पहली महिला राफेल पायलट बन गईं.
राफेल की पहली उड़ान बनी यादगार
शिवांगी ने बताया कि पहली बार मिग-21 उड़ाते समय उन्हें घबराहट हुई, लेकिन जब उन्होंने पहली सोलो उड़ान भरी, तो वो अहसास जिंदगीभर के लिए खास बन गया. राफेल उड़ाने से पहले उन्होंने फ्रांस में बने इन विमानों के लिए सिम्युलेटर ट्रेनिंग भी ली. उनकी मां ने उन्हें हमेशा प्रेरित किया कि वे केवल पढ़ी-लिखी न रहें, बल्कि आत्मनिर्भर और निडर बनें.
अब लक्ष्य अंतरिक्ष मिशन में शामिल होना
अब शिवांगी सिर्फ फाइटर पायलट नहीं, बल्कि भारत के मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन का हिस्सा बनने का सपना भी देख रही हैं. उन्होंने इसके लिए आवेदन दे दिया है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले वक्त में शिवांगी सिंह हमें अंतरिक्ष में भारत का झंडा लहराते हुए नजर आएंगी.