




सऊदी निवेश पाकिस्तान की सोना खदान में: भारत के लिए 5 बड़ी चिंताएं
तिथि: 15 मई 2025 | स्थान: इस्लामाबाद/बलूचिस्तान
सऊदी निवेश और भारत के लिए संदेश
विशेषज्ञों का मानना है कि यह निवेश सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सामरिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान और भारत के बीच चल रहे तनाव के बीच यह सौदा भारत के लिए चिंता का विषय बन सकता है।
रेको डिक का सामरिक महत्व
बलूचिस्तान स्थित यह खदान 2 लाख टन तांबा और 2.5 लाख औंस सोना हर साल निकालने में सक्षम है। 1995 में यहां केवल 4 महीनों में ही 200 किलोग्राम सोना और 1700 टन तांबा निकाला गया था। कनाडा की Barrick Gold और पाकिस्तान सरकार की संयुक्त साझेदारी में चल रही इस परियोजना में अब सऊदी की मनारा मिनरल्स कंपनी 15% हिस्सेदारी खरीदने की तैयारी में है।
भारत के लिए पांच बड़ी चिंताएं
- भारत-सऊदी संबंधों में संभावित दरार
- पाकिस्तान को आर्थिक स्थिरता मिलने की संभावना
- रेको डिक के जरिए सैन्य खर्चों में इजाफा
- चीन-पाक गठजोड़ को नया सहयोगी
- भारत की कूटनीति को झटका
क्या भारत को जवाब देना चाहिए?
भारत को चाहिए कि वह सऊदी अरब के साथ कूटनीतिक वार्ता करे और अपने निवेश हितों को खनन क्षेत्रों में भी मजबूत करे। इस प्रकार की परियोजनाएं सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा होती हैं।
पाकिस्तान की जीडीपी का 42% कर्ज में है, ऐसे में रेको डिक खदान से विदेशी निवेश उसकी अर्थव्यवस्था को राहत दे सकता है।