




जापान की जवाबी तैयारी से चीन बौखलाया।
Japan deployed F-35: चीन की आक्रामक विस्तारवादी नीति के खिलाफ जापान ने बड़ा कदम उठाया है। अपने विवादित सेनकाकू द्वीप समूह की सुरक्षा के लिए जापान ने अमेरिकी F-35A फाइटर जेट्स को कोमात्सु एयरबेस (होंशू द्वीप) पर तैनात कर दिया है। यह क्षेत्र पूर्वी चीन सागर में स्थित है, जिस पर चीन दियाओयू द्वीप कहकर अपना दावा करता है।
जापान के रक्षा मंत्री जनरल नाकातानी ने कहा कि यह तैनाती, जापान की वायु रक्षा क्षमता को मजबूत करेगी और पूर्वी सागर में प्रशिक्षण व निगरानी अभियानों को बढ़ावा देगी।
सेनकाकू द्वीप विवाद: चीन बनाम जापान
१. सेनकाकू (जापानी नाम) या दियाओयू (चीनी नाम) द्वीप समूह पर जापान और चीन के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है।
२. 1895 के जापान-चीन युद्ध के बाद जापान ने इन द्वीपों पर नियंत्रण कर लिया था।
३. 1970 के दशक में जब यहां तेल और गैस भंडार का पता चला, तब से चीन ने इन पर अपना दावा जताना शुरू कर दिया।
४. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका ने इन द्वीपों को जापान को लौटा दिया था।
अब चीन इन द्वीपों पर हक जताते हुए कोस्ट गार्ड और लड़ाकू विमान तैनात कर चुका है। उसने क्षेत्र को एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन ज़ोन (ADIZ) भी घोषित किया है।
अमेरिका ने निभाई दोस्ती, चीन की घेरेबंदी शुरू
अमेरिका और जापान के सैन्य गठजोड़ ने इस क्षेत्र में चीन की आक्रामकता पर अंकुश लगाने के लिए F-35A फाइटर जेट्स तैनात किए हैं। पहले ये फाइटर जेट मिसावा एयरबेस तक सीमित थे, लेकिन अब कोमात्सु एयरबेस पर इनकी मौजूदगी चीन के लिए सीधी चुनौती मानी जा रही है। जापान सरकार के अनुसार, भविष्य में और भी उन्नत सैन्य संसाधन इस क्षेत्र में भेजे जाएंगे।
सीधे युद्ध की स्थिति नहीं, लेकिन खतरा बरकरार
फिलहाल जापान और चीन के बीच सीधे युद्ध की स्थिति नहीं है, लेकिन क्षेत्र में सैन्य और नौसैनिक टकराव की आशंका लगातार बनी हुई है। ड्रैगन की हरकतों से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तनाव गहराता जा रहा है।
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