




लद्दाख, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भी इसी तारीख से होगी शुरुआत, पहली बार जातिगत और आर्थिक आंकड़ों की डिजिटल गणना।
जनगणना 2026: जम्मू-कश्मीर से होगी शुरुआत, जाति और आर्थिक आधार की भी होगी गणना
भारत में वर्षों से लंबित जनगणना की प्रक्रिया अब गति पकड़ती दिख रही है। सूत्रों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में 1 अक्टूबर 2026 से जनगणना शुरू हो सकती है। यह जनगणना न केवल जनसंख्या की गिनती तक सीमित होगी, बल्कि इसमें जातिगत और आर्थिक स्थिति की भी विस्तार से जानकारी जुटाई जाएगी।
यह पहला मौका होगा जब जातिगत जनगणना डिजिटल माध्यम से की जाएगी, जिससे पारदर्शिता और समय की बचत होगी। सरकार का लक्ष्य है कि पूरी प्रक्रिया 3 वर्षों में पूरी की जाए, जबकि पहले इसमें करीब 5 साल तक का समय लगता था।
डिजिटल होगी जातिगत जनगणना
सूत्रों ने बताया कि इस बार की जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी, जिसमें घर की प्रकृति (पक्का/कच्चा), वाहन की उपलब्धता, आय का स्रोत, जैसे सामाजिक-आर्थिक पहलुओं को भी दर्ज किया जाएगा। इस प्रक्रिया में परिवार की जाति से जुड़ी जानकारी भी इकट्ठा की जाएगी।
1 मार्च 2027 से होगा जनगणना का दूसरा चरण
हिमालयी राज्यों के बाद 1 मार्च 2027 से देश के अन्य हिस्सों में जनगणना की प्रक्रिया आरंभ होगी। यह समय यूपी जैसे बड़े राज्य में विधानसभा चुनाव के आस-पास का भी है, जिससे यह प्रक्रिया राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बनती है।
केंद्र सरकार का रुख: राजनीति से अलग, पारदर्शी सर्वे का लक्ष्य
30 अप्रैल 2025 को केंद्र सरकार की कैबिनेट ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए मुख्य जनगणना में ही जातिवार गणना शामिल करने की घोषणा की थी। सरकार ने स्पष्ट किया कि अब तक कुछ राज्यों ने जातिवार सर्वेक्षण किए हैं, लेकिन वे पारदर्शिता और उद्देश्य की दृष्टि से भिन्न रहे हैं।
सरकार का कहना है कि: “इन सभी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए तथा सामाजिक ताने-बाने को राजनीतिक दबाव से मुक्त रखने हेतु मुख्य जनगणना में ही जातिवार गणना कराने का निर्णय लिया गया है।”
जातिगत जनगणना पर राजनीतिक प्रतिक्रिया
जातिगत जनगणना को लेकर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आरजेडी जैसी विपक्षी पार्टियां लगातार बीजेपी को घेरती रही हैं। हालांकि जब केंद्र सरकार ने इसे लागू करने का निर्णय लिया, तो विपक्षी दलों ने इसका श्रेय लेने की कोशिश की।
वर्ष 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भी जातिवार जनगणना पर विचार के लिए मंत्रियों का एक समूह गठित किया था, लेकिन तब कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका।
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