




पतंजलि आयुर्वेद के जैविक आंदोलन से खेती में आ रहा है बड़ा बदलाव, किसान हो रहे आत्मनिर्भर, मिट्टी और पर्यावरण को मिल रही संजीवनी।
नई दिल्ली: पतंजलि आयुर्वेद का दावा है कि उसका जैविक आंदोलन भारतीय खेती-किसानी को एक नई दिशा दे रहा है।
बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में पतंजलि, किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ मिट्टी और पर्यावरण को भी स्वस्थ बना रहा है।
इसका सीधा लाभ गांवों की अर्थव्यवस्था को भी मिल रहा है।
किसानों को आत्मनिर्भर बना रही है जैविक खेती
कंपनी के अनुसार, पतंजलि किसान समृद्धि कार्यक्रम के तहत किसानों को जैविक खेती के आधुनिक और पारंपरिक तौर-तरीकों से अवगत कराया जा रहा है।
इसमें फसल चक्र परिवर्तन, हरी खाद तैयार करना, जैविक खाद का निर्माण जैसे तकनीकों पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
रासायनिक खाद के प्रयोग में कमी लाकर मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार किया जा रहा है।
कंपनी द्वारा तैयार जैविक उत्पाद फसलों को स्वस्थ और पोषक बना रहे हैं, जिससे किसानों की आमदनी में भी बढ़ोतरी हो रही है।
डिजिटल ऐप से मिल रही सही जानकारी
पतंजलि ने अपने डिजिटल ऐप और अनुबंध खेती मॉडल के जरिए किसानों को सीधे बाजार से जोड़ दिया है।
इससे किसानों को फसल का उचित मूल्य और समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जा रहा है।
कंपनी ने बताया —
“हमारे ऐप से किसान न केवल बाजार के ताजा भाव जानते हैं, बल्कि उन्नत कृषि तकनीकों की भी जानकारी मिलती है।”
बिचौलियों को हटाकर सीधे किसानों से खरीदारी की जाती है, जिससे उनकी आमदनी में सुधार हो रहा है।
पर्यावरण को मिल रहा लाभ
पतंजलि का कहना है कि जैविक खेती से जल स्रोत शुद्ध रहते हैं और जैव विविधता को बढ़ावा मिलता है।
रासायनिक खाद और कीटनाशकों के उपयोग में कमी आने से पर्यावरणीय संतुलन बना रहता है।
साथ ही मिट्टी की उर्वरता लंबे समय तक बनी रहती है।
ग्रामीण महिलाओं को भी मिल रहा रोजगार
पतंजलि ने बताया कि ग्रामीण महिलाओं को औषधीय पौधों की खेती का प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।
इससे गांवों में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिल रहा है और उनका आर्थिक सशक्तिकरण भी हो रहा है।
गांवों की अर्थव्यवस्था हो रही मजबूत
पतंजलि का दावा है कि उनका जैविक आंदोलन भारतीय गांवों की अर्थव्यवस्था को नई ताकत दे रहा है।
देशभर में लाखों किसान इस अभियान से जुड़ चुके हैं और यह आंदोलन भारत को जैविक खेती में वैश्विक नेतृत्व दिलाने की ओर अग्रसर है।
विशेषज्ञों का मानना है कि पतंजलि का मॉडल खेती के भविष्य को बदल सकता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए सतत और समृद्ध कृषि प्रणाली का मार्ग प्रशस्त करेगा।
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