




अब केवल फॉर्म 16 से नहीं चलेगा काम, आयकर विभाग को देने होंगे ये जरूरी दस्तावेज़, जानें नए नियम क्या हैं।
नई दिल्ली: अगर आप पुरानी टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) के तहत अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की तैयारी कर रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। आयकर विभाग (Income Tax Department) ने वर्ष 2025 के लिए रिटर्न फाइलिंग प्रक्रिया में नया बदलाव किया है। अब केवल फॉर्म 16 या नियोक्ता से मिले प्रमाणपत्रों के आधार पर रिटर्न फाइल करना पर्याप्त नहीं होगा। आपको अपने दावों के समर्थन में अतिरिक्त प्रमाण भी प्रस्तुत करने होंगे।
पारदर्शिता और सख्ती पर फोकस
वित्तीय एक्सपर्ट्स के अनुसार, आयकर विभाग अब पारदर्शिता बढ़ाने और फर्जी टैक्स डिडक्शन के मामलों को रोकने के लिए यह बदलाव लागू कर रहा है। इसके तहत टैक्सपेयर्स को विभिन्न सेक्शन्स के तहत किए गए दावों के लिए आवश्यक रिकॉर्ड्स और दस्तावेज़ तैयार रखने होंगे।
किन मामलों में देना होगा अतिरिक्त प्रमाण?
सेक्शन 80E के तहत एजुकेशन लोन पर ब्याज का दावा कर रहे हैं तो संबंधित लोन के ब्याज भुगतान का विवरण विभाग के पास होना चाहिए, जिससे वह वेरिफाई कर सके।
सेक्शन 80DD और 80U के तहत यदि आप किसी दिव्यांग आश्रित के लिए डिडक्शन का दावा करते हैं, तो इसके लिए:
१. फॉर्म 10-IA
२. डिपेंडेंट का पैन कार्ड या आधार कार्ड
३. यदि संभव हो तो उसका UDID कार्ड भी देना होगा।
४. सेक्शन 80C, 80D और HRA के डिडक्शन के लिए अब प्रूफ देना अनिवार्य होगा।
५. पहले जहां सिर्फ नियोक्ता को डॉक्यूमेंट्स देने पर काम हो जाता था, अब आयकर विभाग को भी दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होंगे।
पहले क्या होता था?
अब तक अधिकांश वेतनभोगी कर्मचारी केवल फॉर्म 16 के आधार पर ITR-1 के जरिए रिटर्न फाइल करते थे।
इसमें नियोक्ता द्वारा एलआईसी, म्युचुअल फंड, हेल्थ इंश्योरेंस आदि में निवेश का विवरण शामिल होता था। रिटर्न फाइलिंग के दौरान अलग से कोई दस्तावेज़ अपलोड करने की जरूरत नहीं होती थी।
नया नियम क्यों?
आयकर विभाग ने इस बदलाव का उद्देश्य स्पष्ट किया है—अब रिटर्न फाइलिंग में ज्यादा पारदर्शिता लाना और गलत या फर्जी डिडक्शन के मामलों को रोकना। इसीलिए रिटर्न दाखिल करते समय व्यापक रिकॉर्ड प्रस्तुत करना टैक्सपेयर्स की जिम्मेदारी होगी।
क्या करना चाहिए टैक्सपेयर्स को?
१. सभी टैक्स सेविंग डॉक्यूमेंट्स को पहले से एकत्रित कर लें।
२. रिटर्न फाइलिंग से पहले संबंधित सेक्शन्स के तहत दावा किए गए डिडक्शन के दस्तावेज़ सही तरीके से तैयार रखें।
३. टैक्स फाइलिंग के दौरान विभाग की ओर से मांगे गए अतिरिक्त दस्तावेज़ तुरंत उपलब्ध कराने के लिए तैयार रहें।
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