




IIT दिल्ली का नया ट्रांसफॉर्मर-आधारित AI मॉडल पारंपरिक पूर्वानुमान तकनीकों से अधिक सटीक, हल्का और तेज़; केरल, दिल्ली और हिमाचल की हालिया घटनाओं के बाद यह तकनीक बन सकती है गेम चेंजर।
18 दिन पहले मिलेगा मानसून का सटीक संकेत
IIT दिल्ली का नया AI मॉनसून मॉडल: देश में अब मॉनसून के आने और उसकी दिशा की भविष्यवाणी 18 दिन पहले की जा सकेगी। IIT दिल्ली के वैज्ञानिकों ने एक नया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित मॉडल विकसित किया है, जो पारंपरिक मौसम पूर्वानुमान तकनीकों की तुलना में ज्यादा तेज़ और सटीक है। खास बात यह है कि यह मॉडल ट्रांसफॉर्मर न्यूरल नेटवर्क पर आधारित है — वही तकनीक जो OpenAI के ChatGPT जैसे एडवांस सिस्टम्स में भी प्रयोग होती है।
कैसे काम करता है नया AI मॉडल?
इस रिसर्च को IIT दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. संदीप सुकुमारन और प्रो. हरिप्रसाद कोडमाना के साथ पीएचडी छात्रों अनिरुद्ध और पंकज ने मिलकर अंजाम दिया है। प्रो. सुकुमारन के अनुसार, इस AI मॉडल की त्रुटि दर (Error Growth) पारंपरिक मॉडल्स से कहीं कम है और यह एक साधारण GPU सिस्टम (जैसे गेमिंग लैपटॉप) पर भी काम कर सकता है, जबकि पारंपरिक मॉडल्स को सुपरकंप्यूटर की जरूरत होती है।
5 साल का डेटा, 40 चक्रवातों की जांच
अनिरुद्ध ने बताया कि उन्होंने पिछले 5 वर्षों के मौसम डेटा का विश्लेषण कर AI मॉडल को पारंपरिक मॉडल्स से तुलना में कहीं बेहतर पाया। वहीं पंकज ने 4 वर्षों में आए 40 चक्रवातों पर रिसर्च करते हुए बताया कि यह AI मॉडल ट्रैक और इंटेंसिटी की सटीक भविष्यवाणी करने में सक्षम है, जबकि पारंपरिक सिस्टम 500 किलोमीटर की त्रुटि से ग्रस्त रहते हैं।
IMD के साथ मिलकर हो रहा काम, सरकार से मिली फंडिंग
यह प्रोजेक्ट भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा फंड किया गया है और टीम ने भारतीय मौसम विभाग (IMD) के साथ मिलकर इसका परीक्षण किया है। भविष्य में यह तकनीक बाढ़, चक्रवात और बादल फटने जैसी आपदाओं से पहले चेतावनी देने में अहम भूमिका निभा सकती है।
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