




देश की पहली स्वदेशी AI आधारित ‘कटाना’ राइफल भारतीय सेना में शामिल, अब युद्ध होगा तकनीक से।
लद्दाख में तैनात हुआ भारत का डिजिटल सिपाही
डिजिटल सिपाही: भारत के रक्षा क्षेत्र में एक क्रांतिकारी तकनीकी बदलाव की शुरुआत हो चुकी है। अब सीमा पर सिर्फ जवान नहीं, बल्कि सर्किट और स्टील से बना एक ऐसा सिपाही भी है जो सोच सकता है, देख सकता है और निशाना लगा सकता है। भारतीय सेना ने देश की पहली AI बेस्ड स्मार्ट राइफल ‘कटाना’ (Katana) को लद्दाख की बर्फीली चोटियों पर तैनात कर दिया है।
यह राइफल न केवल दुश्मन को पहचान सकती है बल्कि मिलीसेकंड में निर्णय लेकर हमला भी कर सकती है। इसे भारतीय कंपनी Gridbots Technologies ने पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से तैयार किया है।
हर परिस्थिति में अचूक निशाना
कटाना का सबसे बड़ा फायदा है — इसकी सटीकता और स्वत: निर्णय लेने की क्षमता। चाहे अंधेरा हो, कोहरा, धुआं या बर्फबारी — यह हर हालात में दुश्मन की पोजीशन ट्रैक कर सकती है। इसमें लगे मल्टी-सेंसर, GPU प्रोसेसर और AI एल्गोरिद्म इसे बनाते हैं एक डिजिटल योद्धा।
अब युद्ध होगा रिमोट से
कटाना को सैनिक को खुद चलाने की जरूरत नहीं। यह पूरी तरह रिमोट से ऑपरेट होती है। इससे सैनिक अब फायरिंग रेंज में खुद को खतरे में नहीं डालते। यह बॉर्डर सिक्योरिटी, आतंकवाद विरोधी अभियानों और दुर्गम इलाकों की निगरानी के लिए परफेक्ट है।
भारत की आत्मनिर्भरता का नया चेहरा
कटाना केवल एक हथियार नहीं, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ डिफेंस टेक्नोलॉजी की जीत है। इसमें इस्तेमाल हर एल्गोरिद्म, सॉफ्टवेयर कोड, सर्किट और हार्डवेयर भारत में डिजाइन और डेवलप किया गया है।
यह उस सोच को दर्शाता है कि अब भारत न केवल हथियार खरीदता है, बल्कि उन्हें डिज़ाइन, डेवेलप और निर्यात करने की क्षमता भी रखता है।
कटाना राइफल भारत की युद्ध नीति में एक साइलेंट लेकिन गेम-चेंजिंग एंट्री है। यह एक संदेश है कि भारत अब सिर्फ रिएक्ट नहीं करता, बल्कि प्रेडिक्ट करता है और स्मार्ट तरीके से जीतता है। यह राइफल भविष्य का प्रतिनिधित्व करती है — जहां AI, सटीकता और आत्मनिर्भरता ही असली शक्ति है।
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