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    कच्चातिवु द्वीप पर श्रीलंका का बड़ा बयान, विदेश मंत्री बोले- “कभी नहीं छोड़ेंगे यह द्वीप”, भारत के लिए बढ़ सकती है चिंता।

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    कच्चातिवु द्वीप विवाद पर श्रीलंका का कड़ा रुख, राजनयिक बातचीत की पेशकश के बावजूद द्वीप पर दावा बरकरार।

    कच्चातिवु द्वीप पर श्रीलंका का बड़ा बयान, विदेश मंत्री बोले- “कभी नहीं छोड़ेंगे यह द्वीप“, भारत के लिए बढ़ सकती है चिंता।

    भारत और श्रीलंका के बीच विवादित कच्चातिवु द्वीप को लेकर एक बार फिर तनाव बढ़ सकता है। श्रीलंका के विदेश मंत्री विजिता हेराथ ने हाल ही में दिए गए एक बयान में स्पष्ट कर दिया है कि श्रीलंका कभी भी कच्चातिवु द्वीप को भारत को सौंपने के लिए तैयार नहीं होगा।

    उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच राजनयिक बातचीत के रास्ते खुले हैं, लेकिन श्रीलंका इस द्वीप पर अपना दावा कभी नहीं छोड़ेगा।

    क्यों महत्वपूर्ण है कच्चातिवु द्वीप?
    कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका और भारत के तमिलनाडु के बीच स्थित है। इस द्वीप को लेकर लंबे समय से दोनों देशों के बीच मतभेद बने हुए हैं। ऐतिहासिक रूप से यह द्वीप तमिल मछुआरों के लिए धार्मिक और व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण रहा है।

    1974 में भारत और श्रीलंका के बीच हुए समझौते में भारत ने इस द्वीप पर अपना दावा छोड़ दिया था, लेकिन तमिलनाडु के मछुआरों और राजनीतिक दलों का कहना है कि यह फैसला जल्दबाजी में लिया गया और इससे भारत के हितों को नुकसान हुआ।

    विदेश मंत्री विजिता हेराथ का कड़ा रुख
    विजिता हेराथ ने अपने बयान में कहा, “हम कच्चातिवु द्वीप को कभी नहीं छोड़ेंगे। यह हमारे क्षेत्र का हिस्सा है और रहेगा। भारत के साथ राजनयिक बातचीत के लिए हम तैयार हैं, लेकिन इसमें हमारी संप्रभुता से समझौता नहीं होगा।”

    उन्होंने यह भी कहा कि श्रीलंका भारत के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना चाहता है, लेकिन अपनी सीमाओं और अधिकारों की रक्षा करेगा।

    भारत के लिए क्यों बढ़ी चिंता?
    भारत के लिए यह बयान इसलिए चिंता का विषय है क्योंकि तमिलनाडु के मछुआरे अक्सर इस द्वीप के आसपास मछली पकड़ते हैं और उन्हें श्रीलंकाई नौसेना द्वारा परेशान किए जाने की खबरें आती रहती हैं।

    तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टियां और सामाजिक संगठनों ने केंद्र सरकार से कई बार मांग की है कि वह इस द्वीप को भारत के अधिकार क्षेत्र में लाने के लिए प्रयास करे। ऐसे में श्रीलंका के इस सख्त रुख से केंद्र सरकार के लिए कूटनीतिक चुनौतियां बढ़ सकती हैं।

    क्या हो सकता है आगे?
    फिलहाल दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने की संभावना नहीं है क्योंकि श्रीलंका ने बातचीत के दरवाजे खुले रखे हैं। हालांकि, कच्चातिवु द्वीप को लेकर श्रीलंका के सख्त रुख से साफ है कि यह मुद्दा जल्द हल होने वाला नहीं है।

    भारत के विदेश मंत्रालय ने अभी तक इस पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे को लेकर बातचीत का दौर शुरू हो सकता है।

    कच्चातिवु द्वीप को लेकर श्रीलंका का यह बयान भारत के लिए एक नई कूटनीतिक चुनौती बन सकता है। हालांकि दोनों देशों के बीच संवाद की संभावना बनी हुई है, लेकिन श्रीलंका के सख्त रुख के कारण इस मुद्दे का हल निकट भविष्य में मुश्किल नजर आ रहा है। अब देखना होगा कि भारत इस पर क्या रुख अपनाता है और दोनों देश इस विवाद को कैसे सुलझाते हैं।

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